भारत में तपेदिक (टीबी) जैसी पुरानी बीमारियों और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप नैदानिक उपकरणों का उपयोग बढ़ रहा है। एक प्रमुख डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा का अनुमान है कि इस पृष्ठभूमि में, भारत का एक्स-रे सिस्टम बाजार 2023 और 2033 के बीच लगभग 3 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है। ग्लोबलडाटा की नवीनतम रिपोर्ट, भारत एक्स-रे सिस्टम बाजार का आकार (मूल्य, मात्रा, एएसपी) खंडों और पूर्वानुमान, 2015-2033 के अनुसार, से पता चलता है कि वर्ष 2023 में भारत का एक्स-रे सिस्टम बाजार एशिया-प्रशांत बाजार का लगभग 15 प्रतिशत है।
ग्लोबलडाटा में चिकित्सा उपकरण विश्लेषक नंदिनी नागपाल के अनुसार “एक्स-रे सिस्टम चिकित्सा के क्षेत्र में अपरिहार्य उपकरण रहे हैं, लेकिन इनकी अपनी भी विसंगतियां रही हैं। विकिरण जोखिम और तस्वीर की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों से लेकर पोर्टेबिलिटी जैसी सीमाओं तक, ये चुनौतियां एक्स-रे प्रणालियों की दक्षता बढ़ाने के लिए नवीन समाधानों की लगातार आवश्यकता को उजागर करती हैं।
दक्षिण कोरियाई रेडियोलॉजी फर्म, रेमेडी कंपनी लिमिटेड, भारतीय फर्म इनवेंसर हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के साथ बातचीत कर रही है। लिमिटेड भारत में एक हैंडहेल्ड एक्स-रे प्रणाली रिमेक्स केए-6 पेश करेगी। अपने पेटेंट किए गए समायोज्य सक्रिय क्षेत्र कोलिमेटर के साथ, रिमेक्स केए-6 से विकिरण जोखिम को कम करते हुए उच्च गुणवत्ता वाली एक्स-रे छवियां और उन्नत नैदानिक कवरेज प्रदान करने की उम्मीद है। नागपाल ने कहा कि वर्तमान में उपलब्ध डायग्नोस्टिक इमेजिंग समाधान भारतीय आबादी की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में। इसलिए, यह जरूरी है कि रेडियोलॉजिस्ट को तेजी से और अधिक सटीक निदान देने में सक्षम बनाने के लिए इस क्षेत्र में और प्रगति की जाए, जिससे अंततः बेहतर रोगी अनुभव प्राप्त होगा।
एक्स-रे प्रणाली को भी जान लें
एक्स-रे उच्च-ऊर्जा वाली रेडिएशन तरंगें हैं, जो अधिकतर पदार्थों में अलग-अलग डिग्री तक प्रवेश कर सकती हैं। एक्स-रे की बहुत कम मात्रा का इस्तेमाल इमेज बनाने के लिए किया जाता है, ताकि डॉक्टरों को रोग का निदान करने में सहायता मिले।
एक्स रे के नुकसान
वैसे तो डायग्नोस्टिक एक्स-रे प्रक्रियाएं आम तौर पर सुरक्षित और बहुत प्रभावी होती हैं, लेकिन इससे निकलने वाली विकिरण का कुछ जोखिम भी होता है। हालांकि, शीघ्र पता लगाने और उपचार के लाभ जोखिमों से कहीं अधिक हैं। कुछ लोगों को कंट्रास्ट मीडिया से एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है, जिसका उपयोग कुछ नैदानिक एक्स-रे में किया जाता है। बात अगर एलर्जी प्रतिक्रिया के लक्षणों की करें तो इसमें एक्स रे कराने वाले व्यक्ति को खुजली, जी मिचलाना,सांस लेने में कठिनाई या फिर शरीर में कमजोरी महसूस होना शामिल है। किसी भी व्यक्ति को एक्स रे के बाद यहां बताए गये कोई भी लक्षण नजर आएं तो बेहतर होगा कि तुरंत ही अपने डॉक्टर, रेडियोलॉजिस्ट या इमेजिंग टेक्नोलॉजिस्ट को बताएं। एक्स-रे कराते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर रोगी को कंट्रास्ट मीडिया या आयोडीन से किसी भी तरह की एलर्जी है तो यह जानकारी अपने टेक्नोलॉजिस्ट को जरूर दे दें। इसके अलावा डॉक्टर को बताएं कि क्या रोगी को पहले कंट्रास्ट माध्यम से प्रतिक्रिया हुई है या यदि कोई महिला रोगी हो और वह गर्भवती हो तो भी पूर्व में होने वाली किसी भी दिक्कत को छिपाए नहीं बल्कि डॉक्टर को बता दें क्योंकि विकिरण के संपर्क में आने से शिशु को जन्म दोष हो सकता है।
निष्कर्ष: चिकित्सा जगत में एक्स-रे की अपनी ही महत्वपूर्ण भूमिका है। एक्स-रे जहां कई गंभीर बीमारियों को शुरुआतीदौर में ही पहचान कर मरीज को आगाह कर देता है। वहीं कुछ मरीजों पर एक्स-रे के दौरान निकलने वाली विकिरणों के दुष्प्रभाव भी देखे गए हैं। एक्स-रे को लेकर अधिकतर चिकित्सक यह सलाह जरूर देते हैं कि अगर किसी भी मरीज को पूर्व में किसी भी तरह का विकिरण से कोई रिएक्शन हुआ हो तो अपने चिकित्सक या फिर रेडियोलॉजिस्ट को इसकी जानकारी जरूर दे दें।