आत्मनिर्भर बनने की रेस में भारत अब एक और कदम आगे बढ़ाने की तैयारी में है। जल्द ही भारत सरकार देश का अपना ब्राउजर लाॅन्च कर रही है। यानि अब भारत में गूगल क्राॅम, मोजिला फायरफाॅक्स, माइक्रोसाॅफ्ट एज, ओपेरा जैसे विदेशी ब्राउजर्स की बजाय 'आत्मनिर्भर ब्राउजर' का प्रयोग किया जाएगा। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है हमारी सुरक्षा। आज जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैै, ऐसे में जरूरी है कि हम विदेशी वेब ब्राउजर्स पर निर्भर न रहें, ताकि हमारी सुरक्षा के साथ कोई भी देश खिलवाड़ न कर सके।
इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत तेजी से डिजिटाइज हो रहा है। ऐसे में ऑनलाइन सुरक्षा और निजता हमारे लिए अहम मुद्दा बन गया है। यही वजह है कि मोदी सरकार ऐसा इंटरनेट ब्राउजर बनाना चाहती है, जो भारत के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना भी कर पाए। इलेक्ट्राॅनिक्स और आईटी मंत्रालय की देखरेख में इस भारतीय वेब ब्राउजर को तैयार किया जाएगा। इसके लिए 3 करोड़ रुपये के फंड की व्यवस्था की गई है।
भारत सरकार को उम्मीद है कि स्वदेशी वेब ब्राउजर का विकास और लाॅन्च अगले साल 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके विकास के लिए भारत सरकार ने स्वदेशी स्टार्टअप, शैक्षणिक संस्थानों, निगमों और साॅफ्टवेयर की टीम को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, जो भारतीय इंटरनेट ब्राउजर विकसित करने का काम करेंगे। इसके तैयार होने के बाद इसे सिक्योरिटी सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसके बाद यूजर्स स्वदेशी ब्राउजर का प्रयोग कर पाएंगे। सरकार घरेलू वेब ब्राउजर्स को अपनाने में मदद भी करेगी। उन्हें वेब 3 के अनुरूप होना होगा और क्रिप्टो टोकन के माध्यम से डिजिटल हस्ताक्षर सक्षम करने होंगे, साथ ही उसमें भारतीय भाषाओं के समर्थन जैसी स्वदेशी विशेषताएं भी मौजूद होंगी।
बता दें कि गूगल और मोजिला फायरफाॅक्स जैसे इंटरनेट ब्राउजर अपने रूट स्टोर में भारतीय प्रमाणन एजेंसियों को शामिल नहीं करते हैं। रूट स्टोर को ट्रस्ट स्टोर कहा जाता है, जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम और इस ऐप्लीकेशन की जानकारी दी जाती है कि वह सुरक्षित है या नहीं? इसके सर्टिफिकेशन में किसी भी भारतीय एजेंसियों को शामिल नहीं किया गया है। सामान्य भाषा में कहें तो किसी भी ब्राउजर का भारत सरकार के साथ भारतीयों की सुरक्षा और निजता को लेकर तालमेल नहीं है, जिसकी वजह से भारत खुद का इंटरनेट ब्राउजर बनाने की तैयारी कर रहा है।
लगभग 850 मिलियन यूजर्स वाले विशाल भारतीय इंटरनेट बाजार में अमेरिकी कंपनियों का कब्जा है। भारत में गूगल क्राॅम का प्रयोग सबसे ज्यादा हो रहा है। अकेले भारत में इसकी हिस्सेदारी 88.47 प्रतिशत है। इसके बाद 5.22 प्रतिशत के साथ सफारी दूसरे नंबर पर, दो प्रतिशत के साथ माइक्रोसाॅफ्ट एज तीसरे, 1.5 प्रतिशत के साथ सैमसंग इंटरनेट चौथे और 1.28 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ मोजिला फायरफाॅक्स पांचवें स्थान पर है।