अमेज़न ने भारत में अपने डिलीवरी बेड़े में 10,000 इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को शामिल करने का लक्ष्य अक्टूबर 2024 में, निर्धारित समय से एक साल पहले ही पूरा कर लिया है। ये इलेक्ट्रिक वाहन दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों सहित 500 शहरों में परिचालित हैं, जिसमें लेह से गंगटोक तक का विस्तृत नेटवर्क शामिल है।
यह उपलब्धि अमेज़न की वैश्विक "क्लाइमेट प्लेज" पहल के तहत 2040 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण कदम है। डीजल चालित वाहनों की जगह ईवी का उपयोग करके, कंपनी ने भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में मील का पत्थर हासिल किया है।
अमेज़न ने बेंगलुरु-चेन्नई हाईवे पर लॉन्ग-रेंज इलेक्ट्रिक हेवी ट्रकों का परीक्षण भी शुरू किया है। यह परीक्षण "क्लाइमेट प्लेज लेनशिफ्ट इनिशिएटिव" का हिस्सा है, जिसमें अशोक लीलैंड, बिलियन-ई और चार्जज़ोन जैसे प्रमुख उद्योग साझेदार शामिल हैं। इसका उद्देश्य लंबी दूरी के माल परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक ट्रकों की क्षमता का पता लगाना है।
भारतीय वाहन निर्माताओं, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं और डिलीवरी सेवा साझेदारों के साथ मिलकर, अमेज़न ने अपने इलेक्ट्रिक बेड़े का विस्तार किया है। इसमें वोल्वो आइशर, टाटा मोटर्स, महिंद्रा इलेक्ट्रिक, अशोक लीलैंड और अल्टीग्रीन जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी करके कस्टमाइज्ड EVs तैयार की गई हैं। इसके अलावा, अमेज़न ने फिनटेक फर्मों, NBFCs और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) जैसे संस्थानों के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और ट्रकों के लिए किफायती वित्तपोषण विकल्प उपलब्ध कराए हैं।
अमेज़न ने भारत सरकार की "शून्य" और नीति आयोग की "ई-फास्ट" पहल में भागीदारी करके ई-मोबिलिटी को बढ़ावा दिया है। ये प्रयास भारत के 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ मेल खाते हैं।
अमेज़न इंडिया के ऑपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट, अभिनव सिंह ने शून्य टेलपाइप उत्सर्जन वाले वाहनों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने लॉजिस्टिक्स उद्योग में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और रेंज की चिंता जैसी चुनौतियों का जिक्र करते हुए, इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।