नेशनल हाईवे पर अब तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन दौड़ते रहे हैं। लेकिन बदलते समय के साथ-साथ नई टेक्नॉलोजी और नए इनोवेशन हो रहे है जो भारत को उन्नति की तरफ लेकर जा रहे है। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर पिछले दिनों इलेक्ट्रिक बसों और कारों का ट्रायल रन शुरू हुआ है।
नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल (एनएचईवी) लोगों को नेशनल हाईवे पर इलेक्ट्रिक बस और कैब के माध्यम से कम खर्च में आरामदायक सुविधा देना चाहता है। एनएचईवी ने दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पर इलेक्ट्रिक बस और कैब का टेक ट्रायल रन किया। इसका उद्देश्य यह पता करना था कि नेशनल हाईवे पर इलेक्ट्रिक बस और कैब कितनी सक्षम हैं। इसके साथ ही परिचालन के दौरान इनमें आने वाली किसी भी संभावित खामी का पता लगाना, उसे समय पर ठीक करना और इस पूरी प्रक्रिया में लगने वाली अवधि को कम से कम रख पाने की तैयारी करना भी इस रन का एक प्रमुख उद्देश्य था। इसके साथ ही नेशनल हाईवे के इस खंड पर दर्जनों चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर भी काम किया जा रहा है।
नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रोग्राम डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने गुरुग्राम में एक चार्जिंग स्टेशन पर बात करते हुए कहा दिल्ली से जयपुर के बीच 12 स्टेशन होंगे। अभी हर एक स्टेशन के लिए 2-3 प्रस्तावित साइट हैं, जिनका ट्रायल के बाद चयन किया जाएगा। वर्तमान में दिल्ली से आगरा के बीच आठ स्टेशन हैं, जिन्हें जोड़कर निकट भविष्य में ऐसे स्टेशन की संख्या बढ़कर 20 हो जाएगी। वहीं, गुरुग्राम में दो स्टेशन बना दिये गए हैं, जबकि नोएडा में भी दो और स्टेशन बनाए जाने है। इसके अलावा बस के डिपो होंगे, जहां पर बसों को चार्ज किया जाएगा। इन सब को जोड़कर देखेंगे तो 500 किलोमीटर के हाइवे में 30 स्टेशन की जरूरत होगी। बस को फास्ट चार्जर से चार्ज करने में एक से सवा घंटे का और स्लो चार्जर से करीब सवा चार घंटे का समय लगता है। इलेक्ट्रिक कार को करीब 50 मिनट से 120 मिनट तक का समय लगता है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल का किराया होगा कम
जिनके पास इलेक्ट्रिक व्हीकल है और जिनके पास नहीं है, दोनों को इस हाईवे पर चलने में सुविधा होगी।। इलेक्ट्रिक व्हीकल मालिकों का पेट्रोल-डीजल के मुकाबले प्रति किलोमीटर खर्च भी पेट्रोल-डीजला चालित वाहनों के मुकाबले काफी कम हो जाएगा।
इलेक्ट्रिक बस से दिल्ली से नीमराणा तक का सफर
इलेक्ट्रिक बस और कार का ट्रायल रन दिल्ली से जयपुर तक का था, लेकिन कुछ दिक्कत की वजह से कैब जयपुर तक नही जा पाई। इस बारे में अभिजीत सिन्हा ने बताया जो कैब दिल्ली से जयपुर तक नई गई उनमे कुछ कनेक्टिविटी की दिक्कत आई जैसे चार्जर कनेक्ट नही हो पाए, कस्टमर केयर ड्राइवर के साथ नही जुड पाए, इस तरह की छोटी-छोटी चुनौतियां ट्रायल रन के दौरान सामने आई। मैने बस को आते समय भी चेक किया और वापस जाते समय भी। हमने कंट्रोल रूम को या आस पास के स्टेशन को कोई सूचना नही दी। 18-20 मिनट के अंदर हमारी बैकअप बस आ गई यह सोचते हुए की शायद बस खराब हो गई है। जो हमारे पार्टनर है उनको ईवी के माध्यम से मापदंडों पर पूरा उतरना पढ़ेगा। समस्या, संतुष्टि और समाधान इन तिनों को अपने साथ लेकर चलना पढ़ेगा, ताकि सफर के दौरान किसी यात्री को परेशानी न हो पाए। आपको लोगों की संतुष्टि, सुरक्षा और उनकी समस्या का समाधान सड़क पर ही देना होगा। अगर कोई तकनीकी खराबी आती है, तो उसकी समस्या का हल निकालना पड़ेगा।
कितने मिनट में आएगा बैकअप
हम 30 मिनट में किसी भी ब्रेक डाउन व्हीकल पर पहुंच सकते हैं जिसमें एनएचईवी टेक्नॉलोजी के एप्लीकेशन लगे हुए है। अगर कोई इलेक्ट्रिक बस खराब होती है, तो उसे सबसे पहले चार्जिग स्टेशन में भेजा जा सकता है। उसके बाद उसकी टेक्निकल खराबी को एनालाइज किया जा सकता है। स्टेशन का टर्न अराउंड टाइम 2 घंटे का होता है अगर वहा पर भी व्हीकल रिपेयर नही हो पाता है तो फिर ओईएम को दिया जाता है। ओईएम उसे मैन्यूफैक्चरिंग यूनियट से रिपेयर करके वापस लाया जाता है। मार्च 2023 तक यह सब स्टेशन काम करना शुरू कर देंगे।