सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। यह क्षेत्र देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है। इस क्षेत्र की कंपनियां देश की जीडीपी में लगभग 29 प्रतिशत का योगदान करती हैं। एमएसएमई कारोबारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं। पहला, मैन्युफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई और दूसरी सर्विस एमएसएमई इकाई, जो मुख्य रूप से सर्विस देने का काम करती है। केंद्र सरकार भी इस क्षेत्र में योजनाओं और कार्यक्रमों के द्वारा उद्यमियों के विकास के लिए अपना पूरा सहयोग दे रही हैं।
वर्ल्ड एमएसएमई डे को 27 जून को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य उद्यमियों को एमएसएमई के प्रति जागरूक करना और इसके महत्व के बारे में उन्हें बताना है। देश की अर्थव्यवस्था और विकास की दर को बढ़ाने में एमएसएमई के योगदान को सराहना के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। यह दुनिया में 60 से 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने वाला एक स्रोत है।
वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन ने अपनी महासभा में एक प्रस्ताव पास करते हुए हर वर्ष 27 जून को वर्ल्ड एमएसएमई डे मनाने की घोषणा की थी। दुनियाभर के साथ-साथ भारत के आर्थिक विकास में भी एमएसएमई ने बेहद अहम भूमिका निभाई है। देश में वर्तमान में छह करोड़ से ज्यादा एमएसएमई सक्रिय हैं। ये ना सिर्फ देश की जीडीपी में बड़ा योगदान कर रहे हैं बल्कि एक बड़ी आबादी के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराने में सहयोग कर रहे हैं।
एमएसएमई व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार कई प्रकार की सहायता राशि दे रही है। इससे देश में छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिल सकेगा। छोटे उद्योगों में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। एमएसएमई व्यवसाय छोटी जगहों और कम लागत में शुरू किया जा सकता है। इसी महत्व को देखते हुए भारत सरकार और यूएन मिलकर भारत के लोगों को बहुत से छोटे व्यवसाय के लिए सब्सिडी भी उपलब्ध करा रहे हैं।
आपको बता दें कि इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के लिए बड़ा ऐलान किया था। जैसे कि एमएसएमई के लिए इमरजेंसी क्रेंडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) को मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया है। इस स्कीम के तहत 1.3 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई को अतिरिक्त कर्ज दिया जाता हैं। इन कंपनियों के कर्ज के लिए सरकारी गारंटी कवर भी बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इस क्षेत्र में शामिल होने वाले उद्यमों को नए व्यवसाय शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा, यह बेरोजगार लोगों को लाभ उठाने के लिए एक विशाल अवसर देता है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 1.2 मिलियन (12 लाख) ग्रेजुएट पैदा होते हैं, जिनमें से इंजीनियरों की कुल संख्या लगभग 0.8 मिलियन ( आठ लाख) है। अभी तक ऐसी कोई अर्थव्यवस्था नहीं है जो केवल सालाना इतनी बड़ी संख्या में फ्रेशर्स प्रदान कर सके। भारत में नई प्रतिभाओं के लिए एमएसएमई सेक्टर एक वरदान की तरह है। एमएसएमई ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, नए ग्रेजुएट और बेरोजगार के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा किए हैं। इसने एमएसएमई क्षेत्र को उद्यमों को अधिक लोन देने के लिए बैंकों के अवसरों को भी बढ़ाया है।