स्पा इंडस्ट्री लगातार स्वास्थ्य और सौंदर्य में नई चीजें लेकर आ रही है। केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की सुंदरता और वेल्नेस बाजार 2017-2018 तक 80,370 करोड़ रुपए तक होगा। इसमें सौंदर्य प्रोडक्ट्स, ब्यूटी सैलून और स्पा व्यवसाय शामिल हैं। ग्लोबल स्पा बाजार 2017 से 2021 तक 5.66% की अनुमानित संयुक्त वृद्धि दर पर भी बढ़ने की उम्मीद है।
इंडस्ट्री में स्टाफिंग एक महत्वपूर्ण मुद्दा
वेल्नेस और स्पा इंडस्ट्री में उभरती सबसे बड़ी समस्याओं में स्टाफिंग एक बड़ी समस्या है। स्पा इंडस्ट्री लोगों को संतोषजनक सेवा प्रदान करते हुए उचित योग्य कर्मचारियों को ढूंढने में असमर्थ है। इससे मालिक और प्रबंधक पर बोझ बढ़ जाता है जो ब्रांड की बिक्री को प्रभावित करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में अनुमानित 2.8 मिलियन लोग दुनिया भर में स्पा द्वारा भर्ती किए जाएंगे, और 2020 में इंडस्ट्री द्वारा अतिरिक्त 4,70,000 चिकित्सक और स्पा प्रबंधकों/ निर्देशकों की आवश्यकता होगी।
स्पा को बदलाव की जरूरत
आज दुनिया आधुनिकीकरण की तरफ बढ़ रही है, बावजूद इसके लोग अभी भी पूर्ण व्यवसाय करियर के बजाए वैकल्पिक व्यापार अवसर के रूप में स्पा व्यवसाय पर विचार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का दावा है की अधिकांश स्पा व्यवसायी/ महिलाएं कुछ अन्य व्यवसायों में अपनी विफलता के कारण इस इंडस्ट्री में चली गईं।
इंडस्ट्री की छवि बदलना इस समस्या का समाधान है। इसके लिए फ्रैंचाइज़र अभियान आयोजित कर सकते हैं, लोगों को स्पा, वेल्नेस और सैलून में काम करने के लाभों के बारे में सूचित कर सकते हैं। विभिन्न संगठनों के साथ साझेदारी नौकरी तलाशने वालों को आकर्षित कर सकती हैं और स्पा इंडस्ट्री सुधार सकती है।
कर्मचारी अधिक काम कर रहे हैं और उन्हें कम भुगतान मिल रहा हैं
स्पा मालिकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है की वे अपने कर्मचारियों को उचित वेतन दें। यह जगह के हिसाब से हो सकता है लेकिन उन्हें एक अच्छा भुगतान करना आवश्यक है। आप खुद को उनकी जगह रखकर सोचिए, एक दिन में दस से अधिक मालिश करने के लिए आवश्यक ऊर्जा कितनी ज्यादा चाहिए।
एक कठिन कार्य होने के बावजूद ज्यादातर लोगों को कम वेतन मिलता है।