प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाली में अमेरिका के दौरे के दोरान विदेशी कंपनियों से मुलाकात की और उन्हे भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि भारत सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के विभिन्न हिस्सों में प्रतिस्पर्धी लाभ प्रदान कर सकता है। इस दौरे के बाद भारत की एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स कंपनी ने घोषणा करते हुए कहा कि वह अमेरिका में ईवी बैटरी कंपोनेंट प्लांट स्थापित करने के लिए 650 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 53.3 अरब रूपये) का निवेश करेगी।
एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स कंपनी के मैनेजिग डायरेक्टर विक्रम हांडा ने ऑपर्चुनिटी इंडिया से बात करते हुए कहा कि :-
एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स (ईएएम) अमेरिका में ईवी बैटरी कंपोनेंट प्लांट के लिए 650 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी। कंपनी भारत के बजाय अमेरिका में प्लांट क्यों लगाना चाहती है ?
एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स ने पहले ही कर्नाटक में 9000 करोड़ के निवेश की घोषणा की है और 100,000 टन की सुविधा बनाने का लक्ष्य रखा है। पहले चरण का निर्माण साल के अंत से पहले शुरू हो जाएगा। हम अमेरिकी ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने और उन्हें मुद्रास्फीति कटौती अधिनियम के तहत छूट प्रदान करने के लिए अमेरिका में फैक्ट्री का निर्माण कर रहे हैं।
ईएएम अमेरिका में किस क्षेत्र में प्लांट लगाना चाहती है?
स्थान को अंतिम रूप देने के लिए हम अभी भी अमेरिका के कई राज्यों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
क्या ईएएम अमेरिकी कंपनी के साथ सहयोग करेगी, यदि हाँ, तो किस कंपनी के साथ?
फिलहाल हम किसी ज्वाइंट वेंचर पर विचार नहीं कर रहे हैं। सुविधा के अनुसार निर्माण और संचालन एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स द्वारा किया जाएगा। हम कारखानों से सामान लेने के लिए ग्राहकों से चर्चा कर रहे हैं।
आप किस तरह से निवेश करेगे फेज वाइज या इक्खाटा ?
निवेश दो चरणों में किया जाएगा:
1.पहले चरण में कंपनी वर्ष 2026 तक पहली 30,000 टीपीए इकाई लॉन्च करने की योजना बना रही है।
2.दूसरे चरण में कंपनी ने वर्ष 2028 तक 20,000 टीपीए इकाई बनाने की योजना बनाई है।
3.प्रति वर्ष कुल 50,000 टन के साथ, हम प्रति वर्ष दस लाख ईवी के लिए महत्वपूर्ण बैटरी मटेरियल उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।
अमेरिका में प्लांट लगाने से भारतीय लोगों को क्या फायदा होगा ?
वर्तमान में बैटरी मटेरियल के लिए भारतीय बाजार शुरुआती चरण में है और इसे विकसित होने में चार से पांच साल लगेंगे जबकि अमेरिकी बाजार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मुझे लगता है कि यह गर्व का क्षण है कि भारत में विकसित एक टेक्नोलॉजी अमेरिका में बड़े निवेश का नेतृत्व कर रही है। मुझे विश्वास है कि स्थानीय कुशल श्रमिकों को अमेरिका में कारखाने में काम करने, अपने ज्ञान और विशेषज्ञता को आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा।
अमेरिका में ईवी बैटरी कंपोनेंट प्लांट स्थापित करने के लिए क्या नियम हैं और किन दस्तावेजों की आवश्यकता है?
बैटरी मटेरियल के उत्पादन के लिए कारखानों को स्थापित करने के लिए अमेरिका में कड़ी शर्तें हैं। एप्सिलॉन की अनूठी टेक्नोलॉजी उच्चतम मानकों का पालन करती है, और हमें विश्वास है कि हम एक विश्व स्तरीय सुविधा का निर्माण करेंगे। हमारा ध्यान इन बैटरी मटेरियल का उत्पादन करने और सप्लाई चेन को स्थानीय बनाने के लिए गैर-कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने पर है, क्योंकि जब हम ईवी का उत्पादन करते हैं तो बैटरी मटेरियल के उत्पादन का कार्बन फुटप्रिंट बहुत महत्वपूर्ण होता है।
भारत में आपके कितने प्लांट है और कौन सी जगह पर है ?
कर्नाटक के बेल्लारी में हमारा एक प्लांट है, यह बैटरी मटेरियल टेक्नोलॉजी के लिए हमारे सभी अनुसंधान एवं विकास और इनोवेशन का केंद्र है। हम बेल्लारी में अपने बड़े पैमाने की शुरुआत कर रहे हैं, जो 2030 तक भारत में सबसे बड़ी ग्रेफाइट एनोड सुविधा बन जाएगी।
यह कब पूरा होगा?
भारतीय प्लांट 2025 में शुरू होने की संभावना है और अमेरिकी प्लांट को 2026 में शुरू करने और वर्ष 2030 तक अपनी पूर्ण क्षमता उपयोग तक पहुंच जाएगा।
भारत ने विभिन्न ईवी बैटरी कंपनियों के साथ सहयोग करने के लिए कई समझौते किए हैं और यह भारत के ईवी बैटरी कंपोनेंट के निर्माण में मदद कर सकता है। अमेरिका में ईवी बैटरी कंपोनेंट कंपनियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।