भारत में शिक्षा प्रणाली, छात्रों को पूरा सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करती है और परीक्षा में अर्जित अंकों के आधार पर उन्हें रैंक करती है। फिर भी जब वास्तव में आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान की बात आती है, तो कार्यक्षेत्र में टॉपर्स उस सिद्धांत को लागू करने में असफल हो जाते हैं, जिसे रटने के लिए उन्हें मजबूर किया गया था।
यही कारण है कि भारत के शीर्ष 30-50 महाविद्यालयों के अलावा दूसरे महाविद्यालयों से निकले स्नातक वह बुनियादी कौशल दिखाने में भी असफल हो जाते हैं, जिसकी अपेक्षा उनकी डिग्री या डिप्लोमा देखकर कार्यक्षेत्र में की जाती है।
हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार भारत के 5 मिलियन स्नातकों में से केवल 34 प्रतिशत ही किसी उद्योग में नियोजनीय है।
2022 तक 500 मिलियन लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की चुनौती है।
औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा जारी डाटा के अनुसार अप्रेल 2000 से मार्च 2017 तक भारत के शिक्षा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रवाह की कुल राशि 1.42 बिलियन अमरीकी डॉलर थी।
कौशल भारत मिशन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कौशल विकास, रोजगार उत्पादन और लाखों युवाओं को आजीविका प्रदान करने के लिए रूपये 17000 करोड़ (2.55 बिलियन अमरीकी डॉलर) आवंटित किए हैं।
इससे निजी कौशल प्रशिक्षण कंपनियों के विकास के लिए एक बड़ा अवसर मिला है। कौशल प्रशिक्षण कंपनी शुरू करना कोई आसान काम नहीं है। केवल धन से आवश्यकताएं पूरी नहीं होंगी, बल्कि मजबूत दृढ़ संकल्प भी आवश्यक है।
यहाँ पर उन आकांक्षी उद्यमियों और व्यावसायियों के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं, जो भारत को कुशल छात्रों से सज्जित करने के कार्य में भाग लेना चाहते हैं।
योग्यता प्रत्यायक
यह उसी प्रकार है जैसे ‘उपदेश देने के पहले खुद अमल करें।’
अगर आप एक पूरी पीढ़ी को आवश्यक व्यावसायिक कौशल से सज्जित करना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि आपके पास ज्ञान, शिक्षा और प्रमाण है जो साबित करें कि आप उन विषयों से अच्छी तरह से अवगत है जिन्हें आप पीढ़ियों को सिखाना चाहते हैं।
इसके अलावा लोगों को अगर आपकी योग्यताओं के बारे में पता चलेगा तो वह खुद ही आपका प्रचार करेंगे और लोगों को आपका प्रशिक्षण संस्थान या कंपनी में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
यहाँ तक कि अगर आपको लगता है कि छात्रों को पढ़ाने के लिए आप सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को नियुक्त करेंगे, तो भी यह महत्वपूर्ण है कि छात्रों के लिए सही शिक्षक का चयन करने या आंकलन करने के लिए आप पर्याप्त शिक्षित हो।
प्रतिबद्धता और होशियारी से भरा रवैया
इस काम के लिए बहुत सारे धन की जरूरत होती है, लेकिन केवल धन से आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती। व्यक्ति को कुछ ऐसी चीजों में प्रारंभिक असफलताओं और अस्वीकरण को सहन करना पड़ता है, जिन्हें पैसे से खरीदा नहीं जा सकता। जैसे नाम, प्रसिद्धि और सफलता।
पूरे संस्थान को स्थापित होने में कुछ समय लगता है। इसलिए व्यक्ति को थोड़ी होशियारी से काम लेना चाहिए और बुनियादी ढांचे को बनाने में ही पूरा पैसा खर्च नहीं करना चाहिए।
अधिकांश नए प्रशिक्षण संस्थान नुकसान और मुसीबतों के साथ ज्यादा दिन टिके रहने के लिए संघर्ष करते हैं। व्यवसाय शुरू के पहले पैसा वितरित करने में व्यक्ति को होशियारी से काम लेना चाहिए। एक छोटा से ढांचे में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है, एक बार जब ब्रांड बन जाता है, तब जैसे-जैसे संस्थान विकसित होता है, उसके चारो तरफ ऊंची दीवारें बनाई जा सकती हैं।
अधिक अभिव्यक्तिपूर्ण बने
यह एक ऐसा समय है, जहाँ लोग जो सुनते, देखते और समझते हैं, उस पर ज्यादा विश्वास करते हैं। इसलिए बड़े बैनर लगाएं और हर उपलब्ध माध्यम में विज्ञापन करें।
रचनात्मकता के स्पर्श के साथ समय-समय पर याद दिलाने से लोग जुड़े रहेंगे और साथ ही आप उनके दिमाग में बने रहेंगे।
विज्ञापनों, लेखों, ब्लॉग्स, प्रेस विज्ञप्ति और केस स्टडीज के माध्यम से लोगों को अपनी कंपनी और उसके विकास के बारे में जानकारी दे।
यदि समय-समय पर लोग आपकी कंपनी के बारे में देखते, सुनते और समझते हैं, तो इससे यह सुनिश्चित होता है कि उनके दिमाग के किसी कोने में आपकी कंपनी की मूल छवि बन गई है।
जनसमूदाय या संभावित आबादी से उस भाषा में जुड़ने की कोशिश करें जिसे वह समझते हैं और जुड़ाव महसूस करते हैं। उन्हें अपनी कार्पोरेट या व्यावसायिक भाषा से परेशान न करें, जो उन्हें बिल्कूल अनजानी लगेगी।