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- एमएसएमई और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग बढ़ाएं: पीयूष गोयल
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत और अफ्रीका दोनों देशों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना। उन्होंने ज्यादा रोजगार सृजित करने, एमएसएमई को समर्थन देने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को बेहतर बनाने का आह्वान किया। उन्होंने दोनों पक्षों के एमएसएमई के बीच संबंधों के विस्तार करने को प्रोत्साहित किया और सहयोग के ज़रिए भारत और अफ्रीका में स्टार्टअप इकोसिस्टम की क्षमता पर जोर दिया।
खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करते हुए, गोयल ने कहा कि भारत अफ्रीका के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने भारत में तिलहन, दलहन और अन्य फसलों की बढ़ती मांग का उल्लेख किया और भारत को निर्यात के लिए अफ्रीका में खेती के क्षेत्र में सहयोग का सुझाव दिया।
मंत्री ने भारत-अफ्रीका संबंधों की अपार संभावनाओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा हमारी इच्छाएं, महत्वाकांक्षाएं और आकांक्षाएं एक जैसी हैं। हम अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर, अधिक निवेश तथा आर्थिक विकास और समृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, हमारा व्यापार और निवेश मजबूत रहा है, लेकिन हम साथ मिलकर और भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। उन्होंने भारत और अफ्रीका के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए सीआईआई इंडिया अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव के प्रयासों की सराहना करते हुए, प्रतिभागियों से महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें हासिल करने के लिए लगन से काम करने का आग्रह किया।
गोयल ने ग्लोबल साउथ के देशों के बीच एक वैश्विक समझौते के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को दोहराया, जो आपसी हितों और विस्तारित सहयोग के लिए नए रास्ते खोलेगा। उन्होंने 196 लाइन ऑफ क्रेडिट के माध्यम से अफ्रीका को भारत की सहायता का भी उल्लेख किया, जिसकी राशि 12 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जिससे 42 से अधिक देशों को लाभ हुआ है।
अफ्रीकन यूनियन (एयू) को पूर्ण सदस्य के रूप में जी20 में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला। गोयल ने कहा कि विभिन्न वैश्विक मंचों पर अफ्रीका के मुद्दों को उठाने के भारत के प्रयास, भारत और अफ्रीका के बीच मजबूत साझेदारी की शुरुआत का प्रतीक हैं।
गोयल ने अपने भाषण में कहा कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और मजबूत करने के लिए अफ्रीका और भारत की क्षमता को पहचानना ज़रूरी है। उन्होंने विकासशील और कम विकसित देशों को बड़े सपने देखने और अपने लोगों की भलाई के लिए मिलकर काम करने की सलाह दी। यह भारत के 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के साथ मेल खाता है।