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- एमएसएमई को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का लाभ दिलाने में मदद करेंगे निर्यात केंद्र
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सक्षम करने और देश में ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कई जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में डीजीएफटी ने अमेजॅन इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू के तहत अमेजॅन और डीजीएफटी चरणबद्ध तरीके से विदेश व्यापार नीति 2023 में बताए गये निर्यात हब पहल के हिस्से के रूप में डीजीएफटी द्वारा पहचाने गए जिलों में एमएसएमई के लिए क्षमता निर्माण सत्र, प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का एक साथ मिलकर आयोजन करेंगे। ताकि इस पहल के जरिए ग्रामीण और दूरदराज जिलों के स्थानीय उत्पादकों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़ा जा सके। इस सहयोग का उद्देश्य निर्यातकों और एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्राहकों को अपने देश में यानी कि भारत में निर्मित उत्पाद बेचने में सक्षम बनाना है। यह समझौता ज्ञापन संतोष सारंगी (अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक, डीजीएफटी), चेतन कृष्णास्वामी (उपाध्यक्ष, सार्वजनिक नीति - अमेजॅन) और भूपेन वाकणकर (निदेशक वैश्विक व्यापार - अमेजॅन इंडिया) की मौजूदगी में साइन किया गया।
इस सहयोग के जरिए डीजीएफटी-क्षेत्रीय प्राधिकरणों के सहयोग से विभिन्न क्षमता निर्माण और आउटरीच गतिविधियों को शुरू करने के लिए संपूर्ण देश में अलग-अलग ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों द्वारा जिलों की पहचान करेगी। इसके बाद वहां पर संबंधित गतिविधियों को संचालन किया जाएगा। इसके अलावा क्षमता निर्माण सत्र का आयोजन करके उसके जरिए एमएसएमई को इमेजिंग, अपने उत्पादों की डिजिटल कैटलॉगिंग, कर सलाहकार सहित अन्य के बारे में सीखने की जानकारी दी जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि इससे भारतीय उद्यमी अपने ई-कॉमर्स निर्यात व्यवसाय और वैश्विक ब्रांड बना सकते हैं। अमेजॅन इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन के तहत, ऐसे क्षमता निर्माण और हैंडहोल्डिंग सत्रों के लिए भी 20 जिलों की पहचान की गई है।
डीजीएफटी डिस्ट्रिक्ट्स ऐज एक्सपोर्ट हब पहल के तहत देश के अन्य जिलों में भी इसी तरह का सहयोग करने के लिए फ्लिपकार्ट, वॉलमार्ट, ई-बे, रिवेक्सा, शॉपक्लूज, शिपरॉकेट, डीएचएल एक्सप्रेस आदि जैसे अलग-अलग ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ भी बातचीत कर रहा है। यह नए और पहली बार निर्यात करने वाले और अन्य एमएसएमई उत्पादकों को भारत से निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित करने, मदद करने के डीजीएफटी के प्रयासों को पूरा करेगा, जिससे वर्ष 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के माल निर्यात के लक्ष्य पूर्ति के भी प्रयास किये जाएंगे।