केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) उद्यमों को सभी गैर कर लाभ में छूट दी है। सरकार ने अधिसूचना जारी करके कहा कि सभी पंजीकृत एमएसएमई को हर तरह के गैर-कर लाभ तीन वर्ष तक मिलते रहेंगे। एमएसएमई उद्योमों को प्लाट और मशीनरी के निवेश की शर्तों में बदलाव होने पर ये लाभ मिलते रहेंगे। इसका लाभ बदलाव होने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि तक लिए जा सकेंगा।
एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि एमएसएमई शेयरधारकों के साथ हुई बातचीत और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत यह फैसला लिया गया है। एमएसएमई मंत्रालय और भारत सरकार ने पंजीकृत एमएसएमई को लगातार इस गैर-कर लाभ को देने की मंजूरी दी। गैर- कर लाभ में सरकारी योजनाओं के फायदों को शामिल किया गया है। इसमें भुगतान में देरी, सरकारी वसूली नीति आदि हैं।
एमएसएमई क्या है
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है। एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं। मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली युनिट, दूसरा सर्विस एमएसएमई युनिट। यह मुख्य रुप से सेवा देने का काम करती हैं। एमएसएमई कारोबारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई तरह से प्रोत्साहन दिया जा रहे है। देश के विकास में एमएसएमई क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सरकारी बैंक के साथ ही साथ प्राइवेट क्षेत्र की नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियां (एनबीएफसी) भी कम ब्याज दर बिजनेस लोन प्रदान कर रही हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए उद्योग का एमएसएमई रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य होता है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया था। नई परिभाषा के तहत अब एक करोड़ रुपये तक के निवेश वाली और पांच करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली यूनिट सूक्ष्म सेगमेंट कैटेगरी में आने लगी हैं। इसी तरह दस करोड़ रुपये तक के निवेश और 50 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियां छोटे बिजनेस में गिनी जाती हैं। अब 50 करोड़ रुपये तक के निवेश और 250 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली यूनिट मध्यम उद्यमों के तहत आती हैं।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से अलग-अलग प्रकार की योजनाएं देश के नागरिकों के लिए आरंभ की गई थी, जिससे कि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकें। आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना है जिससे कि देश की इकॉनमी वापस पहले जैसी हो सके। उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का आरंभ किया गया। इस योजना के तहत घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे कि देश में निर्यात बड़े तथा आयात कम हो।
इस योजना के तहत अगले पांच वर्ष के लिए दो लाख करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया था। आत्मनिर्भर मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम में दस नए सेक्टर जोड़े गए थे। इस योजना के अंतर्गत एडवांस केमिकल सेल बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक एंड टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, फार्मास्यूटिकल ड्रग्स, टेलीकॉम एंड नेटवर्किंग प्रोडक्ट, टेक्सटाइल उत्पादन, फूड प्रोडक्ट, सोलर पीवी माड्यूल, व्हाइट गुड्स तथा स्पेशलिटी स्टील को शामिल किया गया ।