उत्तराखण्ड सरकार ने एमएसएमई नीति 2023 का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत सरकार ने उद्यमियों से सुझाव मांगे हैं। इस मसौदा के अनुसार एक तरफ माइक्रो यानी सूक्ष्म इकाईयों का दायरा बढ़ाया गया है तो दूसरी तरफ उनकी अनुदान राशि भी बढ़ा दी गई है। नई मसौदा नीति में कहा गया है कि अब एक करोड़ रुपये तक की माइक्रो यानी सूक्ष्म इकाई स्थापना के लिए 20 प्रतिशत यानी 20 लाख तक का अनुदान सरकार से मिल सकता है। वहीं, स्मॉल यानी लघु इकाई में पांच करोड़ तक के निवेश पर 60 लाख तक, पांच से 10 करोड़ तक के निवेश वाली लघु इकाईयों पर 90 लाख रुपये और मीडियम यानी मध्यम इकाई में 10 से 50 करोड़ रुपये तक के निवेश पर 1.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान मिल सकता है।
एमएसएमई नीति 2023 में सूक्ष्म उद्योग का आकार बढ़ाकर एक करोड़ रुपये मूल्य तक का कर दिया गया है। वहीं, इससे पहले सूक्ष्म उद्यम सिर्फ 25 लाख रुपये निवेश तक ही सीमित था। लघु उद्यम को 10 करोड़ रुपये तक के निवेश में 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार को रखा गया है,जबकि वर्ष 2015 की नीति में सिर्फ पांच करोड़ रुपये तक के निवेश को लघु उद्यम कहा गया। वहीं मध्यम उद्यम को 50 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 250 करोड़ रुपये के कारोबार तक रखा गया है। जबकि वर्ष 2015 की नीति के हिसाब से पहले मध्यम उद्यम 10 करोड़ रुपये तक के निवेश को ही माना जाता था।
उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2015 में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) नीति बनाई थी और यह 31 मार्च तक प्रभावी थी जिसे अब खत्म कर दिया गया है। पूर्व एमएसएमई नीति इकाई के पूंजी निवेश का 15 प्रतिशत अधिकतम 15 लाख रुपये तक अनुदान मिलता था।
नई नीति के पांच प्रस्तावित फायदे
1. उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के प्रवाह को बढ़ाना
2.रोजगार के ज्यादा से ज्याद अवसर उत्तपन करना
3.प्रति व्यक्ति आय में वद्धि कर लोगों के जीवन स्तर को उपर उठाना
4.राज्य में उद्योगों के लिए अनुकुल वातावरण का सृजन, जिसमें राज्य सरकार औद्योगिक विकास के लिए एक सूत्रधार की भूमिका निभाएगी
5.उत्तराखण्ड राज्य को उच्च विकास पथ पर लाना
बता दें उत्तराखण्ड में प्रस्तावित एमएसएमई नीति 2023 के संबंध में बुधवार को डीएम युगल किशोर पंत ने उद्योगपतियों के साथ बैठक की गई । इस बैठक में उद्यमियों ने कहा कि नीति को ऐसा बनाया जाए जो उद्यमियों को राज्य में निवेश के लिए आकर्षित करे।
उद्यमियों ने उत्तर प्रदेश की नीति का अध्ययन करने, सब्सिडी स्लैब व्यावहारिक बनाने सहित विभिन्न सुझाव दिए। उद्योग मंत्रालय में महाप्रबंधक विपिन कुमार ने बताया कि नई एमएसएमई नीति 2023 लागू होने के बाद भी जिले में कई और उद्योग स्थापित किए जाएंगे।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्या है
सूक्ष्म उद्यम वह है जिसमें प्लांट और मशीनरी अथवा उपकरण में एक करोड़ रूपये से ज्यादा का निवेश नहीं होता है। कारोबार पांच करोड़ रूपये से ज्यादा नहीं होता है।
लघु उद्यम वह है जिसमें प्लांट और मशीनरी अथवा उपकरण में दस करोड़ रूपये से ज्यादा का निवेश नहीं होता है। कारोबार 50 करोड़ रूपये से ज्यादा नहीं होता है।
मध्यम उद्यम वह है जिसमें प्लांट और मशीनरी अथवा उपकरण में 50 करोड़ रूपये से ज्यादा का निवेश नहीं होता है तथा उसका कारोबार 250 करोड़ रूपये से ज्यादा नहीं होता है।
राज्य सरकार प्रदेश में पूंजी निवेश और रोजगार के अवसरों के सृजन के लिए आगे आई है, जिसके तहत एमएसएमई सहित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत व्यवस्थाओं में वित्तीय प्रोत्साहन दिये गये हैं। इसका विजन राज्य में उपलब्ध संसाधनों के उत्पादक उपयोग के लिए उपलब्ध संसाधनों का समुचित दोहन और उन्हें उत्पादक उपयोग में लाना है।