देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के शेयरों को सूचीबद्धता के पहले दिन मंगलवार को वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसकी निवेशकों और बाजार को उम्मीद थी। कंपनी के शेयर बीएसई (पूर्ववर्ती नाम बांबे स्टॉक एक्सचेंज) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई पर अपने ऑफर प्राइस के मुकाबले करीब आठ प्रतिशत गिरकर बंद हुए। कंपनी ने अपने शेयरों के लिए 949 रुपये का ऑफर प्राइस रखा था। इसके मुकाबले बीएसई पर एलआईसी के शेयरों की खरीद-फरोख्त की शुरुआत ही करीब नौ प्रतिशत गिरावट के साथ 867.20 रुपये पर हुई।
हालांकि इंट्रा-डे में थोड़े उत्साही निवेशकों के दम पर बीएसई पर कंपनी के शेयर 920 रुपये प्रति शेयर से ऊपर तक पहुंचे। लेकिन कारोबार के आखिर में बीएसई पर एलआईसी का शेयर भाव 73.55 रुपये टूटकर 875.45 रुपये और एनएसई पर 76 रुपये लुढ़ककर 873 रुपये रह गया।
बीएसई पर कंपनी के शेयरों में इस गिरावट का असर यह हुआ कि एलआईसी का जो बाजार पूंजीकरण सूचीबद्धता से पहले करीब छह लाख करोड़ रुपये था, वह पहले दिन के कारोबार के आखिर में घटकर 5.54 लाख करोड़ रुपये के आसपास रह गया।
हालांकि अधिकतर जानकारों का कहना है कि शेेयर बाजार में पहले दिन की खराब शुरुआत से एलआईसी जैसी कंपनियों के शेयरों पर नकारात्मक असर नहीं पड़ना चाहिए और अभी तो कंपनी के वर्तमान व भविष्य के निवेशकों के लिए बेहतर दिनों की शुरुआत हुई है।
थोड़े दिन टिकें निवेशक
एलआइसी के शेयरों के प्रदर्शन पर जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर का कहना था कि पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजारों में जिस तरह की अस्थिरता रही, उसे देखते हुए कंपनी के शेयरों का ऑफर प्राइस से कम पर सूचीबद्ध होना हैरानी की बात नहीं थी। बहुत से विश्लेषक इसकी पहले से संभावना जता रहे थे। पिछले कुछ दिनों में बीमा सेक्टर के कुल वैल्यूूएशन में गिरावट देखी गई और उसका असर एलआइसी के शेयरों पर दिखना लाजिमी था।
वैसे, नायर ने यह भी कहा कि मध्यम से लेकर लंबी अवधि की बात करें, तो एलआईसी के शेेयरों में निवेशकों के लिए बेहतरीन अवसर हैं। उनके अनुसार बीमा सेक्टर का भविष्य बहुत अच्छा है और इसके आउटलुक को लेकर निवेशकों में कोई संदेह नहीं है। ऐसे में निवेशकों के लिए लंबी अवधि में लाभप्रद यही रहेगा कि वे हड़बड़ाहट में कोई कदम नहीं उठाएं।
निवेशकों को महीनों से इंतजार था
एलआईसी के प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (आईपीओ) का निवेशक बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। इसकी वजह भी थी। इसे भारत के सबसे बड़े आईपीओ के रूप में पेश किया गया था। पहले सरकार ने कंपनी की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था और इसके माध्यम से करीब 67,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य था। कंपनी के आईपीओ से संबंधित सभी कदम पर्याप्त समय लेकर पूूरी तैयारी से उठाए गए थे।
हालांकि बाद में सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बाजार की सकल परिस्थितियों को देखते हुए आईपीओ का आकार घटाकर 21,000 करोड़ रुपये कर दिया। इसके बावजूद यह देश में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ था। इस पूंजी के लिए सरकार ने एलआईसी की साढ़े तीन प्रतिशत हिस्सेदारी बेची है।
जैसी कि सरकार को उम्मीद थी, आकार घटनेे और बाजार का सकल रुख निराशाजनक रहने के बाद भी निवेशकों ने इस आईपीओ को हाथोंहाथ लिया। कंपनी को ऑफर के मुकाबले निवेशकों की तरफ से 2.95 गुना अधिक आवेदन मिले। कंपनी ने आईपीओ के तहत शेयर भाव 949 रुपये रखा था। इसमें कंपनी के कर्मचारियों को व खुदरा निवेशकों को 45 रुपये और पॉलिसी धारकों को 60 रुपये प्रति शेयर का डिस्काउंट दिया गया था।
बाजार के जानकारों का कहना है कि एलआईसी के आईपीओ में सूचीबद्धता के दिन जो गिरावट देखी गई है, वह शेयर बाजारों की वर्तमान हालत की वजह से है। सूचीबद्धता के बाद एलआईसी के 10 शेयर खरीदने वाले एक खुदरा निवेशक का कहना था कि कंपनी की मजबूत बुनियाद और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए उसने गिरावट के बावजूद कंपनी के शेयर खरीदे, क्योंकि उसे आने वाले दिनों में इसकी भरपाई की पूरी उम्मीद है।
वैसे, एलआईसी पहली कंपनी नहीं है जिसके शेयरों में सूचीबद्धता के दिन उम्मीद के विपरीत गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले बीते वर्ष पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्यूनिकेशंस ने 18,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लांच किया था, जो उस वक्त तक देश का सबसे बड़ा आईपीओ था। लेकिन कंपनी के शेयर सूचीबद्धता के दिन ही 2,150 रुपये के अपने ऑफर प्राइस के मुकाबले करीब 28 प्रतिशत टूटकर बंद हुए। हालांकि पेटीएम के शेयर अभी तक निवेशकों को लाभ नहीं देे पाए हैं। बुधवार को कंपनी के शेेयर 586.30 रुपये पर बंद हुए।
ट्विटर पर मीम्स
एलआईसी के आईपीओ की सुस्त शुरुआत के बाद निवेशकों और अन्य यूजर्स ने कई मीम्स भी बनाए और चुटकी ली। एक यूजर ने कहा कि उसने कंपनी के शेयर खरीदने के लिए ही एलआईसी की पॉलिसी ली थी। लेकिन मजा नहीं आया। एक अन्य यूजर ने एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि सड़क पर कई बाधाएं हैं और असुविधा के लिए खेद है। एक अन्य यूजर ने तो खुद को कदम खींचने में चैंपियन बताया। उसनेे लिखा कि पेटीएम के बाद मैंने एलआईसी के आईपीओ में भी निवेश से कदम वापस खींच लिए और मैं पीछे हटने में चैंपियन हूं।