नए नियमों के अनुसार दो वित्तीय वर्ष के लिए शुद्ध संपत्ति को लेकर जारी किये गये हैं नियम
सार्वजनिक शेयरधारकों को लेकर भी बदले हैं कुछ नियम
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने हाल ही में छोटे व मध्यम उद्यम (एसएमई) के लिए पूर्व से चले आ रहे नियमों में कुछ तब्दीलियां की हैं। इसके तहत एसएमई आवेदक के पास पिछले दो वित्तीय वर्षों के लिए कम से कम 15 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) होनी चाहिए। इसके अलावा आवेदन करने वाली कंपनी यानी कि फर्म का कम से कम तीन वर्षों के लिए एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध होना भी जरूरी किया गया है। साथ ही मुख्य बोर्ड में जाने से पहले उसके पास 250 सार्वजनिक शेयरधारकों की अनिवार्यता भी रखी गई है।
छोटे व मध्यम उद्यम के लिए बदले गए अन्य नियमों में एसएमई की अन्य आवश्यकताओं में तीन वित्तीय वर्षों में से कम से कम दो वर्ष के लिए सकारात्मक परिचालन लाभ और प्रवासन के लिए आवेदन करने के तत्काल वित्तीय वर्ष में सकारात्मक कर पश्चात लाभ (पीएटी) को शामिल किया गया है। इसके अलावा आवेदक की चुकता इक्विटी पूंजी दस करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए और बाजार पूंजीकरण कम से कम 25 करोड़ रुपये होना चाहिए। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि आवेदक एमएसई किसी भी कानूनी कार्रवाई में न पड़ी हो। या फिर कंपनी को किसी भी रूप में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़ा हो। इसके अलावा एमएसई के खिलाफ बीते तीन वर्षों में कोई महत्वपूर्ण नियामक कार्रवाई न की गई हो, उदाहरण के तौर पर व्यापार संबंधित किसी काूननी प्रक्रिया या फिर व्यवसाय निलंबन जैसी किसी स्थिति में न पड़ा हो। इसके अलावा एमएसई आवेदक प्रवर्तकों और उसकी सहायक कंपनी को पूंजी बाजार नियामक सेबी द्वारा प्रतिबंधित भी नहीं किया जाना चाहिए।
नए साल से लागू होंगे नए नियम
छोटे व मध्यम उद्योगों के लिए जारी किये गए ये नए दिशा-निर्देश नए साल यानी कि आगामी 1 जनवरी 2024 से मान्य होंगे। प्लेटफॉर्म के आंकड़ों के अनुसार, अब तक, 464 कंपनियों को बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से 181 मुख्य बोर्ड में स्थानांतरित हो गई हैं। बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने इन कंपनियों की लिस्टिंग को सुविधाजनक बनाने और लागत प्रभावी तरीके से विकास और विस्तार के लिए इक्विटी पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए मार्च 2012 में एसएमई के लिए समर्पित प्लेटफॉर्म लॉन्च किए।
एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए एनएसई ने किया बंगाल सरकार के साथ करार
एनएसई यानी कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार के साथ करार किया है। एनएसई ने सरकार के साथ यह समझौता राज्य में एमएसएमई के बीच जागरूकता फैलने के लिए और आईपीओ के माध्यम से धन जुटाने के संबंध में किया है। बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के मौके पर हस्ताक्षरित इस एमओयू के तहत एनएसई राज्य सरकार के सहयोग से एनएसई इमर्ज पर धन जुटाने के लिए राज्य भर के उद्यमों का मार्गदर्शन करने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों यानी कि सेमिनार, एमएसएमई शिविर, ज्ञान सत्र, रोड शो और कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाएगा। इन कार्यक्रमों के जरिए एमएसएमई को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। पश्चिम बंगाल सरकार के एमएसएमई और कपड़ा विभाग के प्रधान सचिव राजेश पांडे ने इस समझौता ज्ञापन पर कहा कि पूंजी बाजार में सूचीबद्ध होने से उन्हें अपनी विकास की गति को बढ़ावा देने के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह एनएसई इमर्ज प्लेटफॉर्म निवेशकों के एक बड़े समूह को अपने व्यवसाय को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करेगा। राजेश पांडे ने कहा कि एमओयू के एक हिस्से के रूप में, हम एमएसएमई के लिए जागरूकता सत्र आयोजित करेंगे और संयुक्त रूप से उन्हें धन जुटाने की प्रक्रिया और स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग के लाभों को समझाने में मदद करेंगे। एनएसई के मुख्य व्यवसाय विकास अधिकारी राम कृष्णन ने कहा कि एनएसई और राज्य सरकार एमओयू के अनुसार राज्य एमएसएमई के लिए एक वैकल्पिक फंड प्लेटफॉर्म भी स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि हम राज्य में अधिक से अधिक संख्या में एमएसएमई से आगे आने और एनएसई इमर्ज के माध्यम से वित्तपोषण के नए स्रोत का लाभ उठाने का आग्रह करते हैं।
ओडिशा सरकार भी कर चुकी है ऐसे प्रयास
एसएमई लिस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा सरकार भी पूंजी जुटाने का प्रयास कर चुकी है। इस प्रक्रिया के तहत ओडिशा सरकार ने सितंबर में ही एनएसई या बीएसई से जुटाई गई कुल पूंजी का 2 प्रतिशत या पूंजी जुटाने के लिए किए गए व्यय का 20 प्रतिशत तक एकमुश्त अनुदान या वित्तीय सहायता की घोषणा की थी। एमएसएमई मंत्रालय के डैशबोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 21 नवंबर 2023 तक पश्चिम बंगाल में 8.21 लाख उद्यम-पंजीकृत एमएसएमई थे। सबसे अधिक 99,373 एमएसएमई उत्तर 24 परगना में, उसके बाद 94,554 कोलकाता में और 63,282 दक्षिण में 24 परगना में आधारित थे।
क्या होता है प्रारंभिक पब्लिक ऑफरिंग
प्रारंभिक पब्लिक ऑफरिंग यानी कि आईपीओ शेयर जारी करके एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की एक प्रक्रिया है। इसके तहत जनता के लिए शेयर जारी करने से कंपनी को पूंजी एकत्र करने और सामान्य जनता के लिए उस निवेश पर रिटर्न अर्जित करने का अवसर मिलता है। आईपीओ की शुरुआत में एक प्राइवेट कंपनी अपने प्रारंभिक निवेशकों, संस्थापकों और हितधारकों के साथ बढ़ती है। जब किसी कंपनी ने एक विशिष्ट लक्ष्य प्राप्त किया है जहां प्रबंधन को पता चलता है कि वे सेकेंड (सिक्योरिटीज और एक्सचेंज कमीशन) के नियमों को संभालने, आम शेयरधारकों को विविधता प्रदान करने के लिए पर्याप्त हैं, तो कंपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश प्रदान करने का निर्णय करती है। आईपीओ से कंपनी में शेयरों के माध्यम से आम शेयरधारकों की भी कंपनी में सहभागिता हो जाती है। इस तरह कंपनी आमतौर पर आईपीओ पूंजी जुटाने के लिए लॉन्च करती है।