ओला दुनियाभर में अपना सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब भारत को बनाएगी। कंपनी ने तमिलनाडु सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। वह इकोसिस्टम को तैयार करने के लिए 7600 करोड़ रूपये का निवेश करेगी। इस निवेश से राज्य में 3,111 नौकरियों पैदा होंगी।
ओला इलेक्ट्रिक ने बताया कि तमिलनाडु के कृष्णागिरी और धर्मपुरी जिलों में स्थित ये प्लांट जल्द ही दुनिया के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग सेंटर होंगे। यह दो हजार एकड़ तक फैला हुआ है।
ओला इलेक्ट्रिक तमिलनाडु में ईवी हब स्थापित करेगी। इसमें हाई क्वालिटी सेल, ईवी मैन्युफैक्चरिंग, सेलर और सप्लायर पार्क समेत अन्य सुविधाएं होंगी।
ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भाविश अग्रवाल ने कहा हम ईवी के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने के लिए सही रास्ते पर हैं। हमारा उद्देश्य ईवी वैल्यू चेन बनाने का है, ताकि सारे सामानों की लोकल मैन्युफैक्चरिंग हो। ओला का ईवी हब पूरे ईवी इकोसिस्टम को एक ही छत के नीचे लाएगा।
पिछले वर्ष, ओला ने लिथियम आयन सेल एनएमसी-2170 का अनावरण किया, जो कि बेंगलुरु में अपने अत्याधुनिक बैटरी इनोवेशन सेंटर में बनाया गया था। इसमें 500 मिलियन अमरीकी डालर का निवेश हुआ था। बैटरी इनोवेशन सेंटर सेल से संबंधित रिसर्च और डिवेलपमेंट के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए 200 से ज्यादा लेबोरेटरी बनाई गई हैं।
पिछले वर्ष सितंबर में ओला ने कहा कि वह नेपाल में जाने के बाद यह लैटिन अमेरिका, एशियान और यूरोपीय यूनियन के देशों में विस्तार करने योजना पर काम कर रही है।
तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति पेश की थी जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में तेजी लाते हुए 50,000 करोड़ रुपए का निवेश लाना और 1.50 लाख रोजगारों का सृजन करना है।
देश से लगभग एक-तिहाई वाहनों का निर्यात तमिलनाडु से होता है। अब यह राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रही है। इसके लिए राज्य ने इस हफ्ते जो पॉलिसी जारी की है, उसमें इलेक्ट्रिक गाडिय़ों के लिए रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन चार्ज और पर्मिट फीस से राहत दी गई है।