भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा सिस्टमों में से एक हैं। यहां पर 2 मिलियन से भी ज्यादा स्कूलों में 260 मिलियन से भी ज्यादा छात्र हैं। वर्तमान में भारत में करीब 35.7 मिलियन छात्रों ने नामांकन कराया हैं। ग्लोबल इंडस्ट्री एनालिस्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा इंडस्ट्री बहुत तेज विकास का अनुभव कर रही है और जिस गति में है उससे 2022 तक यह 227.2 मिलियन डॉलर की इंडस्ट्री बन जाएगी। भारत 2025 तक सबसे बड़ा घरेलू उच्च शिक्षा का बाजार बन जाएगा।
अगर आप शिक्षा सैक्टर में व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहें है तो यह समय एकदम उपयुक्त है। हालांकि एक अच्छा और नया स्कूल खोलने में बहुत सी चुनौतियां हैं। यह सबसे अच्छी परिस्थितियों में भी बहुत जटिल है। इसमें व्यवसाय योजना, निर्माण, वित्तीय, लॉजेस्टिक, इनोवेटिव व्यवसाय विकल्प और मार्केटिंग शामिल हैं। यह इतना जटिल है कि कई बार इसे संभालना कार्य अनुभवी एजुकेटरों के अनुभव के बाहर की बात हो जाता हैं।
यह समय है निवेश का
लीना अशर, फाउंडर, कंगारू किड्स के अनुसार, “शिक्षा में निवेश करने का इससे बेहतर समय नहीं होगा। इसके मुख्य दो कारण हैं - गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मांग इससे पहले कभी ज्यादा नहीं थी और दूसरा इस सैक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत ध्यान केन्द्रित हो रहा है न सिर्फ सरकार द्वारा बल्कि निजी सैक्टर भी सक्रिय रूप से इस सैक्टर में भागीदारी कर रहें हैं।“
अपना स्कूल खोलने से न सिर्फ आप व्यवसाय के चलनों में शामिल हो पाएंगे जो आपको सही दिशा में आगे बढाएंगे बल्कि यह आपको अवसर देगा कि आप हर रोज बच्चों के जीवन में एक सकारात्मक अंतर बना सकें।
क्यों फ्रेंचाइज़िंग ?
शिक्षा फ्रेंचाइज़ बच्चों के विकास को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण सर्विस प्रदान करता है। प्री-स्कूल व्यवसाय अवसरों से लेकर परीक्षा की तैयारी तक के व्यवसाय में शिक्षा फ्रेंचाइज़ में वास्तव में लाभकारी करियर है किसी भी उस व्यक्ति के लिए जो कभी अपना स्वयं का बॉस बनना चाहता है।
भारतीय शिक्षा सिस्टम में स्कूलों के साथ फ्रेंचाइज़िंग मॉडल कमाल कर रहे है। व्यवसाय के असफल होने के कम से कम जोखिम फ्रेंचाइज़ सिस्टम का सबसे बड़ा लाभ बनता जा रहा है। इसका कारण है क्योंकि अच्छा फ्रेंचाइज़र का सत्यापित, पहले जांचा और परखा बाजार इस व्यवसाय की अवधारणा बनता है। इसलिए ज्यादातर कार्य आसानी से हो जाते है और फ्रेंचाइज़ के मालिक को मिलने वाली चुनौतियां खत्म हो जाती है।
भारत में शिक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और विकास करने वाला सैक्टर बन गया है। इसलिए यह व्यवसाय जगत में प्रवेश करने वाले लोगों को बहुत से व्यवसाय अवसर प्रदान करता है। ऐसे बहुत से अकादमिक और इंस्टीट्यूट हैं जोकि बहुत अच्छे व्यवसाय में है और उन्होंने पूरे देश में अपनी बहुत सी ब्रांचों को पेश कर दिया हैं। फ्रेंचाइजिंग की अवधारणा ने बहुत से सैक्टरों का विकास किया है जिसमें शिक्षा सैक्टर भी शामिल है।
उच्च सफलता की दर के कारण आजकल शिक्षा फ्रेंचाइज़ व्यवसाय को शुरू करना बहुत आम होता जा रहा है।
फ्रेंचाइज़िंग के लाभ :
लीना अशर ने कहा, “कुछ साल पहले स्कूल पर सरकार का प्रभुत्व होता था। वे पूरी तरह से या आंशिक रूप से अनुदान प्राप्त थे या अन्य विकल्प होता था कॉन्वेट स्कूल में जाने का। सिंगल प्रोपर्टी प्राइवेट स्कूल में बहुत ही कम गुण हैं जिसकी वजह से वह अलग दिख पाया मगर उनकी सीमित उपस्थिति के कारण उनकी पहुंच बहुत कम थी। मगर आज बहुत से प्राइवेट स्कूल हैं जिन्होंने फ्रेंचाइज़िंग के रास्ते को चुना हैं। उन्होंने माता-पिता को बहुत से विकल्प का अधिकार दिया फिर चाहे अलग-अलग बोर्ड की बात हो या सुविधाओं के लिए फीस पॉइंट हो या फिर संपूर्ण पाठ्यक्रम। माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ये स्कूल अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करते है और वे पाठ्यक्रम और अध्यापन की मनोविज्ञान को अपग्रेड करने के लिए कार्य करते हैं।“