व्यवसाय विचार

कर्नल गोपाल करूणाकरण ने भविष्य के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों के निर्माण के लिए अपने विचारों को साझा किया

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jul 01, 2019 - 3 min read
कर्नल गोपाल करूणाकरण ने भविष्य के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों के निर्माण के लिए अपने विचारों को साझा किया image
“सर्वश्रेष्ठ इनोवेशन के लिए सर्वश्रेष्ठ अनुशासन की भी आवश्यकता होती है।“ ऐसा कहना है रिटायर कर्नल गोपाल करूणाकरण का।

दुनिया के कठोर सिस्टमों में से एक भारतीय शिक्षा तंत्र ने के12 के स्कूलों पर जोर देना शुरू किया है और विभिन्न बोर्डों के पुरानी तकनीकों को स्थापित किया है जोकि बढ़चढ़ काम करने में सक्षम नहीं है। और इसी पुराने फैशन के शिक्षा के प्रकार ने बहुत सी समस्याओं में योगदान दिया है और जिसे आज के समय में अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

स्कूल वर्तमान में भविष्य को लाने के लिए प्रयास कर रहें हैं। ज्ञान को सक्रिय रूप से सीखने वालों का पूर्वाज्ञान, दृष्टिकोण और मूल्यों का आधार स्कूल होता है। ज्ञान की खोज के लिए अत्याधुनिक तकनीकें मौजूद है।

कर्नल गोपाल करूणाकरण, सीईओ, शिव नादर स्कूल ने कहा, “एक महान स्कूल के निर्माण पर एक बड़ा प्रश्न है जहां पर बुनियादी तौर पर स्कूल चलाने के समय की आवश्यकता है। ऐसी कौन सी चुनौतियां है जिससे संबंधित स्कूलों के भविष्य का खुलासा किया जाना है?

सीईओ के पद पर कार्य करने से पहले कर्नल गोपाल करूणाकरण ने शिव नादर स्कूल में डायरैक्टर के पद पर कार्य किया है जिसमें उन्होंने हमारी संस्था की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कर्नल गोपाल इससे पहले इंडस वर्ल्ड स्कूल ऑफ दि करियर लॉन्चर ग्रुप के वाइस-प्रेसीडेंट थे। जहां पर उन्होंने के12 (किंडरगार्डन से 12वीं कक्षा तक) के स्कूलों के विस्तार के समूह का नेतृत्व किया था।

संस्कृति और इनोवेशन है इसकी कुंजी

आज भी प्राचीन 19वीं सदी का रटने पर आधारित लर्निंग मॉडल, ‘चॉक -एंड-टॉक‘ सिस्टम जहां पर टीचर अकेले ही अंतहीन बातें करता है और छात्र उसे निष्क्रिय होकर सुनता है। जोकि कक्षा में प्रश्न पूछने, खोज, प्रयोग और आवेदन को हतोत्साहित करता है।

इस पर विचार प्रकट करते हुए गोपाल करूणाकरण ने कहा, “ अगर कोई इनोवेशन की संस्कृति है, तो इसके विरोधाभासी होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। बल्कि यह तो तारीफ के योग्य है। आमतौर पर यह माना जाता है कि कुशल प्रणाली जो प्रक्रिया का पालन करती है उसमें कोई इनोवेशन नहीं होता है या उसमें कोई इनोवेशन की संस्कृति नहीं होती है। यह जरूरी सच नहीं है। महान इनोवेशन के लिए महान अनुशासन की भी आवश्यकता होती है। यह ज्यादातर एक ऐसी प्रक्रिया को लेकर आ रहा है जहां पर आपके पास इनोवेशन का अभ्यास है और नयेपन को प्रोत्साहन करना है। इनोवेशन जो एक संस्थान/इंस्टीट्यूट में उस तरह की संस्कृति को लाएगा।“

“अपने पैरों का फुर्तीला, लचीला और हल्का होना जिसका अर्थ है दुनिया में क्या चल रहा है उस पर नजर रखना और सभी ेबिंदुओं को जोड़ पाने में में सक्षम होना। यह एक निरंतर अभ्यास है जो आपके सफल होने की गारंटी माना जाता है।“ ऐसा कहना है शिव नादर स्कूल के सीईओ का।

स्कूलों में तकनीक

हम अपने शुरूआती दिनों में है जब आर्टिफिशियल इंटैलिजेंसी हमें कैसे प्रभावित करती है जब बात शिक्षा के बारें में हो। स्कूलों में एआई के विषय पर कर्नल करूणाकरण ने कहा, “मुझे ऐसा लगता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर स्कूली शिक्षाविदों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि दुनिया और कार्यबल कैसे बदलेगा इसके संदर्भ में प्रभाव जबर्दस्त और गहरे है। इसे कम उम्र में ही पेश कर देना चाहिए और हमें बदलाव के लिए तैयार रहने की जरूरत है।“

“शिक्षक प्रशिक्षण किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए मूलभूत है। आज यह और आवश्यक है क्योंकि तकनीक परिवर्तन को आगे बढ़ा रहीं है और शिक्षक प्रशिक्षण इस परिवर्तन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।“

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