कृषि में कॉरपोरेट जगत की हिस्सेदारी सिर्फ खाद, बीज और कीटनाशक बेचने तक ही सीमित रही है।समय के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से परिस्थितियों में बदलाव आ रहा है, जैसे की अब कृषि क्षेत्र कारोबार से जुड़ रहे है और इसका पूरा श्रेय स्टार्टअप कंपनियों को जाता है, जिनकी संख्या वर्ष 2013 तक सिर्फ 43 थी और अब इसकी संख्या बढ़कर लगभग 1450 तक पहुंच चुकी है। अब बात करते है की स्टार्टअप कृषि उद्दमों के आने से ऐसा क्या बदला है की उन्हें नए युग की शुरुआत माना जाए।
स्टार्टअप कृषि उद्दमों के विकास ने किसानों के साथ जुड़ कर कॉरपोरेट वर्ल्ड को बदला है। पहले की बात करे तो किसान सिर्फ कंपनियों के लिए मुनाफा कमाने का एक जरिया था, लेकिन अब उद्यमियों के लिए वह पार्टनर बन चुके है। पहले कॉरपोरेट के लिए पानी और जमीन सिर्फ मुनाफा वाले माध्यम थे, अब कंपनियों में पर्यावरण और सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के लिए एक संवेदनशीलता है। समय के साथ इन दोनों चीजों ने एग्रीप्रेन्योरशिप का पूरा चेहरा बदल दिया है।
पहले के समय में कंपनियां टेक्नोलॉजी का उपयोग सिर्फ उत्पादन को सरल बनाने के लिए करती थी और किसानों की भागीदारी न के बराबर थी। किसानों को इसमे उतने का ही हिस्सेदार बनाया जाता था, जितना उनसे पैसा कमाने के लिए जरूरी था। समय के साथ- साथ कृषि क्षेत्र में बहुत बदलाव आ रहे है। एग्रीप्रेन्योरशिप टेक्नोलॉजी को खेतों तक लेकर जा रही है और किसानों को सुलभ बना रही है। अब इस क्षेत्र में बिजनेस चलाने वाली कंपनियों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि उन्हें अब एग्रीटेक स्टार्टअप के तौर पर जाना जाने लगा है। विदेशी कंपनियां भी भारत के एग्री स्टार्टअप में निवेश कर रही है।
लीड्स कनेक्ट के सीएमडी नवनीत रविकर ने अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) की एक रिपोर्ट के अनुसार बताया भारतीय एग्रीटेक स्टार्टअप किसानों को पैदावार बढ़ाने, उत्पादन को अनुकूलित करने, सुधार करने और उनकी सेवाओं के साथ स्थिरता बढ़ाने में सहायता कर रहे हैं। भारतीय एग्रीटेक क्षेत्र में नवीनतम टेक्नोलॉजी को इसके मूल में एकीकृत करके 2025 तक 24 बिलियन डॉलर(लगभग 1.90 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने की क्षमता है।
भारतीय किसानों को कई समस्याएं प्रभावित करती हैं, जिनमें असमान जल वितरण, मशीनीकरण की कमी, बाजारों से जुड़ने में समस्या, अपर्याप्त भंडारण सुविधाएं आदि शामिल हैं। भारत की कृषि गतिविधियों के बड़े क्षेत्रों को मुख्य रूप से मानव हाथों द्वारा पारंपरिक उपकरणों जैसे लकड़ी की दरांती, लकड़ी के हल आदि का उपयोग किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण मानव श्रम अपशिष्ट और प्रति वर्कर कम पैदावार होती है। अधिकांश किसान अभी भी सिंचाई के लिए प्राचीन बाढ़ सिंचाई तकनीकों का उपयोग करते हैं। कृषि इकोसिस्टम में किसानों को विभिन्न हितधारकों से जोड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, और डिजिटल ऐप और प्लेटफॉर्म जैसे अत्याधुनिक एग्रीटेक समाधानों को लागू करके कृषि में प्रमुख समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
किसानों के लिए सही समय पर फंड जुटाना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण वह साहूकारों के चुंगल में फंस जाते है और उन्हें मजबूरी में अपनी फसल कम दाम में बेचनी पड़ती है। इसी वजह से वे अपने खेत में सही समय पर खाद, दवा या मशीन का प्रयोग नही कर पाते है। ऐसे में एग्रीफिनटेक स्टार्टअप किसानों के लिए मददगार के रूप में उभरे है। बैंको और एनबीएफसी से लोन लेने के नियम बहुत कठिन होते है, जिसकी वजह से किसानों को लोन मिलना मुशकिल हो जाता है। इसके अलावा देश के सभी सरकारी और निजी बैंक मिलकर भी सिर्फ 41 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसानों को कवर करते है। ऐसे में कई स्टार्टअप आसान शर्तों पर और कम से कम कागजी कार्रवाई के साथ बाजार दरों पर किसानों को फंड मुहैया करा रहे है। इसके अलावा स्टार्टअप बीमा और मार्केट लिंकेज में भी किसानों की मदद कर रहे है।
हालही में सह्याद्रि फार्म्स ने यूरोपीय निवेशकों के एक समूह से 310 करोड़ रुपये की विकास पूंजी जुटाई है। फंडिंग के इस राउंड में इंकोफिन, कोरयस, एफएमओ, प्रोपार्को ने भाग लिया। यह भारत में किसान के नेतृत्व वाले कंपनी में अपनी तरह का पहला अंतरराष्ट्रीय इक्विटी निवेश है। सह्याद्रि इस पूंजी का उपयोग अपनी फल और सब्जी प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार करने, एग्री और फूड वेस्ट से बिजली उत्पन्न करने के लिए एक पैकहाउस और बायोमास प्लांट स्थापित करने के लिए करेगा। एल्पेन कैपिटल ने इस लेन-देन के लिए सह्याद्री फार्म्स के एक्सक्लूसिव स्ट्रेटेजिक एडवाइजर के रूप में काम किया है।
सहयाद्रि फार्म के संस्थापक और प्रबंध निदेशक विलास शिंदे ने कहा कि वे किसानों को उद्यमियों की तरह सोचना चाहते हैं और कंपनी को स्थायी, स्केलेबल और लाभदायक बनाना चाहते हैं। यह कंपनी प्रत्येक छोटे और सीमांत किसान के लिए खेती को लाभदायक बनाना चाहती है। कंपनी ने पिछले पांच वर्षों में अपने राजस्व को दोगुना से अधिक 786 करोड़ रुपये कर दिया और वित्त वर्ष 2022 के दौरान 15.50 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह अपने उत्पादों का 60 प्रतिशत 42 देशों को निर्यात करते है।
इनकोफिन इंडिया के पार्टनर राहुल राय, जो इन्वेस्टर कंसोर्टियम का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होने कहा कि सह्याद्री फार्म खेती के लिए साझेदारी-आधारित दृष्टिकोण के लिए एक वैश्विक मॉडल होगा, जिसके परिणामस्वरूप स्थायी वित्तीय प्रभाव, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और समावेशी विकास होगा। एफएमओ के सीईओ माइकल जोंगनील ने कहा कि सह्याद्री फार्म छोटे किसानों की पहचान करने, सहायता करने और किसानों को अपने व्यवसाय को फलने-फूलने में मदद करने में सक्षम है। सह्याद्री फार्म किसान-स्वामित्व वाली और संचालित कंपनी है।