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क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024 जारी, आईआईटी दिल्ली को मिला 5वां स्थान

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Apr 11, 2024 - 3 min read
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रैंकिंग के इस संस्करण में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय (30 प्रविष्टियां), आईआईटी बॉम्बे (28 प्रविष्टियां) और आईआईटी खड़गपुर (27 प्रविष्टियां) हैं।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (QS World University Rankings) 2024 में 69 भारतीय विश्वविद्यालयों ने विषय के आधार पर 424 एंट्रीज (प्रविष्टियों) के साथ रैंकिंग में जगह बनाई। यह पिछले वर्ष की 355 प्रविष्टियों से 19.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

दिलचस्प बात यह है कि इस साल 72 प्रतिशत भारतीय प्रविष्टियां या तो सूची में नई हैं, जिन्होंने अपने स्तर में सुधार दिखाया है या अपनी स्थिति बनाए रखी है, जबकि केवल 18 प्रतिशत ने गिरावट का अनुभव किया है। कुल मिलाकर, भारत ने साल-दर-साल 17 प्रतिशत की प्रगति दिखाई है। यह सूची वैश्विक उच्च शिक्षा विशेषज्ञों क्यूएस क्वाक्वेरेली साइमंड्स द्वारा संकलित की गई है।

आईआईटी मद्रास में 22 प्रविष्टियां

भारतीय विश्वविद्यालयों के केवल एक अंश का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 उत्कृष्ट संस्थान (आईओई), देश की कुल प्रविष्टियों में 40 प्रतिशत का योगदान करते हैं, जो 180 है। इसके अलावा, आईओई रैंकिंग के 14वें संस्करण में 69 शीर्ष-100 भारतीय पदों में से 47 और 55 शैक्षणिक विषयों और पांच संकाय क्षेत्रों में 21 पदों में से 14 के साथ सबसे आगे है।

रैंकिंग के इस संस्करण में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय (30 प्रविष्टियां), आईआईटी बॉम्बे (28 प्रविष्टियां) और आईआईटी खड़गपुर (27 प्रविष्टियां) हैं। इस वर्ष आईआईटी मद्रास में 22 प्रविष्टियां थीं, जिनमें से आठ में सुधार हुआ, छह में गिरावट आई और चार में कोई बदलाव नहीं हुआ। आईआईटी दिल्ली 19 प्रविष्टियों के साथ पांचवें स्थान पर रहा, जिनमें से 11 में सुधार हुआ, तीन में गिरावट आई और तीन में कोई बदलाव नहीं हुआ।

दो सर्वोच्च रैंक वाले विश्वविद्यालय

हालांकि, भारत का सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय है, जिसने पहली बार डेवलपमेंट स्टडीज (विकास अध्ययन) विषय में एंट्री की है, विश्व स्तर पर 20वां स्थान पाया है। इन तालिकाओं में अगले दो सर्वोच्च रैंक वाले विश्वविद्यालय हैं- आईआईएम अहमदाबाद और सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज (डीम्ड विश्वविद्यालय)। आईआईएम अहमदाबाद, जो (बिजनेस एंड मैनेजमेंट स्टडीज) व्यवसाय और प्रबंधन अध्ययन में 22वें स्थान पर है, और सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज (डीम्ड विश्वविद्यालय), जिसने दंत चिकित्सा में विश्व स्तर पर 24वां स्थान हासिल किया है और क्यूएस संकेतकों में से यह, एकमात्र ऐसा भारतीय विश्वविद्यालय है, जिसने शत-प्रतिशत स्कोर (100/100) हासिल किया है अर्थात् दंत चिकित्सा तालिका के अंतर्गत एच इंडेक्स के इस मीट्रिक में रैंकिंग नंबर एक।

आईआईटी गुवाहाटी को डाटा साइंस और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विषयों के अध्ययन के लिए, दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक के रूप में नामित किया गया है, जिसने 51-70 की वैश्विक रैंकिंग हासिल की है, और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में इसे वैश्विक स्तर पर 51-100वां स्थान मिला है। इसके अतिरिक्त, आईआईटी गुवाहाटी के चार विषयों में इस वर्ष रैंक में सुधार देखा गया है, जिनमें शामिल हैंः रसायन विज्ञान- पिछले वर्ष 301-250 से इस वर्ष 251-300 तक; जैविक विज्ञान- पिछले वर्ष 451-500 से इस वर्ष 401-450 तक; पर्यावरण अध्ययन-पिछले वर्ष 301-350 से इस वर्ष 201-250 तक; आर्थिक और अर्थशास्त्र- पिछले वर्ष 501-530 से इस वर्ष 451-500 तक।

आईआईटी गुवाहाटी की विषयवार रैंक

क्यूएस की सीईओ जेसिका टर्नर ने कहाः "भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक शैक्षिक है- विस्फोटक मांग के सामने उच्च गुणवत्ता वाली तृतीयक शिक्षा प्रदान करनाः इसे 2020 की एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) द्वारा मान्यता दी गई थी, जिसने 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था। इसलिए यह कुछ आश्वासन प्रदान करना चाहिए कि हमारी 55 विषय रैंकिंग और पांच व्यापक संकाय क्षेत्रों में भारतीय कार्यक्रमों की संख्या इस वर्ष बढ़कर 355 से 454 हो गई है। क्यूएस ने यह भी नोट किया कि भारत के तीन निजी रूप से संचालित इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस में कई कार्यक्रमों ने इस वर्ष प्रगति की है, जो भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को बढ़ाने में अच्छी तरह से विनियमित निजी प्रावधान की सकारात्मक भूमिका को दर्शाता है।"

टर्नर ने निष्कर्ष निकालाः "हालांकि, मानकों में सुधार, उच्च शिक्षा तक पहुंच, विश्वविद्यालयों की डिजिटल तैयारी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए अभी भी बहुत काम किया जाना है, यह स्पष्ट है कि भारत सही दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।"

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