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- क्लिनिक बिजनेस के बारे में कितना जानते हैं आप? यहां जानिए कैसे कर सकते हैं शुरुआत?
हमारे देश में हेल्थ सेक्टर सबसे बड़े उद्योगों में से एक है, जिसकी अनुमानित वृद्धि दर सालाना 20 प्रतिशत है। हालांकि प्रमुख शहरों के बाहर अधिकांश आवासीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। कारण है कि 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जिन्हें तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है। ऐसे में क्लिनिक बिजनेस एक ऐसे व्यवसाय के रूप में उभर रहा है, जिसमें मुनाफा अधिक और हानि लगभग न के बराबर है। अगर आप भी यह बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके बहुत काम का है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं...
ऐसे समझें इस व्यवसाय को...
क्लिनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम भारत में सभी चिकित्सा सुविधाओं के पंजीकरण और विनियमन का प्रावधान करता है। अधिनियम बुनियादी ढांचे और दवाओं के प्रकार को बताता है, जो अनिवार्य हैं। क्लिनिक या तो सामान्य अभ्यास हो सकता है या विशेष क्लिनिक, जैसे दंत चिकित्सा या बाल चिकित्सा क्लिनिक। क्लिनिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं और आमतौर पर एक ही चिकित्सा व्यवसायी के स्वामित्व या संचालन में होते हैं। यहां चिकित्सक रोगी की देखभाल, उपचार, क्लिनिक प्रबंधन और व्यवसाय की वित्तीय गतिशीलता पर व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते हैं। वहीं पॉलीक्लिनिक की बात करें तो यह अस्पताल की अपेक्षाकृत छोटा होता है, इसमें विभिन्न प्रकार के विशिष्ट चिकित्सा चिकित्सक (जैसे बाल रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सामान्य चिकित्सक, आदि) हैं। इसमें सेवाओं का वर्गीकरण भी है (जैसे पैथोलॉजी परीक्षण, छोटी शल्य चिकित्सा प्रक्रियाएं)। एक पॉलीक्लिनिक रोगियों को चिकित्सा समाधानों तक सुविधाजनक और अधिक संपूर्ण पहुंच प्रदान करता है। हालांकि क्लिनिक की तुलना में इसमें अतिरिक्त वित्तपोषण की आवश्यकता होती है। ये तो बात हुई वर्गीकरण के आधार पर आपको कौन सा क्लिनिक बिजनेस शुरू करना है। अब जानते हैं इसके लिए जरूरी प्रक्रिया क्या है?
सबसे पहले तो इन बातों को जान और समझ लें
क्लिनिक या पॉलीक्लिनिक बिजनेस का कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय या एमसीए के साथ पंजीकृत होना आवश्यक है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के मामले में, सबसे अच्छा विकल्प सीमित देयता भागीदारी फर्म (एलएलपी) है। कम से कम एक या अधिक साझेदारों को लाइसेंस प्राप्त और पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी होना आवश्यक है। एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 ने कुछ प्रकार के स्वास्थ्य देखभाल व्यवसाय को सेवा कर पंजीकरण से मुक्त कर दिया है। छूट की सूची के लिए, भारत सरकार की वेबसाइट जरूर देख लें।
इन लाइसेंस के बिना नहीं शुरू कर सकते हैं आप क्लिनिक बिजनेस
क्लिनिक बिजनेस शुरू करने से पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से मेडिकल प्रैक्टिशनर लाइसेंस लेना अत्यंत जरूरी है। इसके अलावा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बायोमेडिकल प्रबंधन और हैंडलिंग का लाइसेंस भी प्राप्त करना होता है। भारतीय फार्मेसी काउंसिल से फार्मेसी लाइसेंस लेना भी महत्वपूर्ण है। इन लाइसेंस के अलावा राज्य परिषद से स्थानीय क्लिनिक का पंजीकरण होना जरूरी है।
क्लिनिक बिजनेस से पहले जरूरी है यह रूपरेखा बनाना
सबसे पहले तो व्यवसाय की एक रूपरेखा बना लें ताकि आपको व्यवसाय को चलाने के लिए एक दिशानिर्देश मिले। इसके बाद अपने उपलब्ध और अनुमानित वित्त का आंकलन करें और अपने लक्षित बाजार और प्रतिस्पर्धा को परिभाषित करें। ध्यान रखें कि आपकी बिजनेस वेबसाइट इस तरह डिजाइन करें कि लोग अधिक संख्या में और आसानी से पहुंच सकें। क्लिनिक अनुभव वाले नवीकरणकर्ताओं को चुनें। पेशेवर जोखिमों के खिलाफ कवरेज का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसके अलावा मुख्य भूमिकाओं में प्रैक्टिस मैनेजर, हेड नर्स और एक विश्वसनीय प्रशासक भी लिस्ट तैयार कर लें। अब बात आती है ऐप्स, इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (ईएचआर), ग्राहक प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) और बिलिंग सॉफ्टवेयर में निवेश की और विज्ञापन की। विज्ञापन में ऑनलाइन उपस्थिति बढ़ाने और आपके व्यवसाय में ग्राहकों की संख्या अधिकतम करने के लिए आसानी से संचालित होने वाली वेबसाइट होनी चाहिए।