व्यवसाय विचार

गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस और इसके मानकों को, भूलकर भी न करें नजरअंदाज

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 29, 2023 - 3 min read
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गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस फॉर्मास्युटिक्ल एक्सपोर्ट अवसरों को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होती है। यही वजह है सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए इसे जरूरी करार दिया गया है। कारण यह है कि अगर दवाएं निर्धारित किए गये मानकों पर खरी उतरती हैं तो उनके व्यवसाय में किसी तरह की बाधा नहीं आती।

गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) एक ऐसी प्रणाली, जहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि उत्पादित वस्तु उसके लिए तय किये गए विशेष मानकों को पूरा करती है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर्स यानी कि ‘फाइव पी‘ को भी शामिल किया गया है, जिसके साथ ही यह सुनिश्चितता आती है कि ग्राहक इनपर आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर दवाओं में जीएमपी न देखा जाए तो खराब क्वॉलिटी न केवल सेहत के लिए नुकसानदायक है बल्कि सरकार और क्रेता दोनों को ही इसका वित्तीय नुकसान झेलना पड़ता है। अगर आप भी दवाओं संबंधित व्यापार में इंट्रेस्टेड हैं और जीएमपी नहीं जानते तो आइए जान लें कि क्या होता है जीएमपी, इसके प्रमुख बिंदु पांच पी और आखिर इसके फायदे क्या-क्या हैं?

जीएमपी यानी कि गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस फॉर्मास्युटिक्ल एक्सपोर्ट अवसरों को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होती है। यही वजह है सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए इसे जरूरी करार दिया गया है। कारण यह है कि अगर दवाएं निर्धारित किए गये मानकों पर खरी उतरती हैं तो उनके व्यवसाय में किसी तरह की बाधा नहीं आती। हालांकि यह बात भी उतनी ही सही है कि दवाओं में कभी भी कोई ऐसा पदार्थ नहीं डाला जाता जो नुकसानदायक हो, लेकिन कई बार किसी पदार्थ की मात्रा कम या ज्यादा होने से यह मरीजों के लिए कारगर साबित नहीं होती। कई ऐसे भी देश हैं जहां जीएमपी न होने से दवाओं की क्रय-विक्रय पर पाबंदी भी लगा दी गई है। ऐसे में सरकारों का प्रयास रहता है कि फॉर्मास्युटिकल्स कंपनीज दवाओं के उत्पादन में जीएमपी के नियमों का विशेष ध्यान रखें, खासतौर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग।

गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस के महत्वपूर्ण ‘फाइव पी‘

गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जिन्हें हम ‘फाइव पी‘ के नाम से जानते हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

1-प्रॉडक्ट 

जीएमपी विनिर्माण में प्रयोग होने वाले कच्चे माल की गुणवत्ता बताता है। सभी उत्पादों की विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान उनकी क्वॉलिटी को यह चेक करता है। साथ ही साथ उत्पादन पूरा होने तक नियमिततौर पर यह जांच होती रहती है ताकि कहीं भी कुछ छूटे नहीं। यानी कि माल पूर्ण रूप से जीएमपी के मानकों के ही अनुरूप होना चाहिए। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए और भी जरूरी हो जाता है ताकि उनको व्यापार करने में किसी तरह की दिक्कत न आए।

2-पीपल 

जीएमपी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसे जांचने वाले अधिकारी-कर्मचारी कुशल हों, उन्हें मानकों पर वस्तुओं के कच्चे माल से लेकर उत्पादन खत्म होने तक के सभी पैरामीटर्स चेक करना आता हो। इसमें सबसे ज्यादा फोकस साफ-सफाई पर किया जाता है। इसके बाद उत्पादन के रिकॉर्ड मेनटेन, लेबलिंग और संबंधित उपकरणों की उचित देखभाल करना आना भी बेहद जरूरी है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए जो भी नियम-कानून बनाए गये हैं उनका इस प्रक्रिया में शामिल सभी व्यक्तिओं के लिए सख्ती से पालन किया जाना बेहद जरूरी है। इसे नियमिततौर पर चेक भी किया जाता रहता है। ताकि सभी अपर्न कार्य को पूरी जिम्मेदारी से करें और किसी भी तरह की कोई लापरवाही न हो।

3-प्रॉसेस 

जीएमपी के मानकों को पूरा करने में सभी मानकों मसलन संबंधित दस्तावेजों का सही रख-रखाव और मैन्युफैक्चरिंग की पूरी प्रक्रिया पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ऑडीटर्स नियमिततौर पर लेबोरटीज विजिट करते हैं और जीएमपी नॉर्म्स को ऑडिट करते रहते हैं ताकि क्वॉलिटी में किसी तरह की कोई समस्या नहीं आए। इसमें वह सारी प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से दर्ज भी करते रहते हैं। निर्माता चाहें तो वह इन प्रक्रियाओं को समझकर अपने टीम के सदस्यों में कार्य बांट सकते हैं। इससे निर्धारित मानक पूरे हो रहे हैं या नहीं इनकी जानकारी आसानी से होती रहती है।

4-प्रॉसीजर्स

जीएमपी के तहत प्रॉडक्ट, पीपल और प्रॉसेस तक की चरणबद्ध कार्रवाई पूरी होने के बाद प्रॉसीजर की बारी आती है। इसमें सभी कर्मचारियों का निपुण होना बेहद जरूरी है क्योंकि यह गाइडलाइन्स की एक श्रृंखला है। जिसके तहत वांछित परिणाम को स्पष्ट किया जाता है। ऑडिट करते समय मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया को बेहद गंभीरता से चेक किया जाता है। इससे अगर कहीं कोई कमी रह गई है तो उसे आसानी से सुधारा जा सकता है।

5-प्रिमाइसेस

मैन्युफैक्चरिंग में लैब और उसमें प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों का सही और प्रभावी ढ़ंग से कार्य करना जरूरी है। ऐसे में इनकी साफ-सफाई और समय रहते ही मेंटीनेंस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। ताकि बेहतर तरीके से उत्पादन किया जा सके। यह सारी प्रक्रिया सुचारू रूप से कार्य करती है तो प्रॉडक्ट्स भी मानकों के अनुरूप होते हैं, इससे ज्यादा से ज्यादा मरीजों को राहत दिलाई जा सकती है। इसके अलावा ग्राहकों और मैन्युफैक्चरिंग में लगे सदस्यों के लिए भी यह लाभप्रद साबित होता है।

गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस के फायदे

जीएमपी को विस्तार से जानने के बाद जरूरी है कि आप यह भी जान लें कि इससे क्या-क्या फायदे होते हैं? बात अगर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) की जाए तो सबसे पहले तो ग्राहकों को इस बात की संतुष्टि मिलती है कि वे जो भी वस्तु खरीद रहे हैं वह एक निरीक्षण प्रक्रिया से गुजरी है और उसके प्रयोग में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसमें अगर व्यापारी वर्ग हैं तो संबंधित एमएसएमई के प्रति उनका विश्वास बढ़ता है और इस तरह छोटे उद्योगों को लाभ मिलता है। इसके अलावा जीएमपी की वजह से ग्राहकों में जागरूकता भी आयी है कि वह वस्तुओं को देख-परखकर खरीदते हैं। ताकि किसी भी तरह की परेशानी न हो। जीएमपी इस बात की गारंटी होती है कि खरीदी जाने वाली वस्तु गारंटीड क्वॉलिटी की है। इससे कंपनी को अच्छा रेवन्यु मिलता है। बड़ी कंपनियों को तो देश-विदेश कहीं भी व्यापार करने में किसी तरह की समस्या भी नहीं आती। एमएसएमई भी इससे लाभान्वित होते हैं।

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