व्यवसाय विचार

गोरखपुर में प्रदेश का एमएसएमई टेस्टिंग लैब बनेगा

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Aug 04, 2022 - 2 min read
गोरखपुर में प्रदेश का एमएसएमई  टेस्टिंग लैब बनेगा image
गोरखपुर में टेस्टिंग स्टेशन बनने से उद्यमियों को अपने उत्पादों की क्वालिटी जांच कराने के लिए किसी प्राइवेट लैब के पास नहीं जाना होगा। समय के साथ गोरखपुर के उद्योगों के उत्पाद न सिर्फ देशभर मे बिक रहे है, बल्कि इनका निर्यात भी हो रहा हैं।

गोरखपुर में एमएसएमई मंत्रालय का प्रदेश का पहला टेस्टिंग स्टेशन (लैब) खुलेगा। अधिकारियों ने चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों से जानकारियां मांगी हैं, ताकि टेस्टिंग स्टेशन के लिए उच्चीत मशीन खरीदे जाए। इससे गोरखपुर के उद्यमियों को अपने उत्पादों की क्वालिटी जांच कराने के लिए किसी प्राइवेट लैब के पास नहीं जाना होगा। समय के साथ गोरखपुर के उद्योगों के उत्पाद न सिर्फ देश के विभिन्न राज्यों में बल्कि विदेशों में भी निर्यात होने लगे हैं। उत्पादों को तभी भेजा जा सकता है, जब किसी मानक वाले टेस्टिंग लैब से इसकी क्वालिटी की जांच हुई हो।

एमएसएमई मंत्रालय के पदाधिकारियों ने पिछले दिनों चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों के साथ चर्चा के बाद स्टील, टेक्सटाइल और फूड प्रोडक्ट का लैब शुरू करने पर सहमति दी है। कानपुर हेड क्वार्टर से आए संयुक्त निदेशक वीके वर्मा, सहायक निदेशक एसके पांडेय, सहायक निदेशक एसके अग्निहोत्री ने पूर्वांचल के उद्योगों को लेकर सर्वे भी किया है।

एमएसएमई सहायक निदेशक एसके अग्निहोत्री ने कहा कि चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज की मांग पर गोरखपुर में एमएसएमई के टेस्टिंग सेंटर की संभावना ढूंढी गई है। चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों से फूड, टेक्सटाइल और लोहा संबंधी उत्पादों संबंधी टेस्टिंग के लिए विभिन्न जानकारियां मांगी गई हैं। इसके आधार पर यह तय हो सकेगा कि गोरखपुर में बनने वाले टेस्टिंग स्टेशन में किन मशीनों की आवश्यकता पड़ेगी। इसके बाद यह प्रस्ताव मंत्रालय को भेज दिया जाएगा। कारोबारियों को अभी कानपुर के प्राइवेट लैब या गाजियाबाद में स्थापित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के टेस्टिंग लैंब में सैंपल जांच के लिए भेजना होता है। अभी देश के चार मेट्रो शहरों में एमएसएमई का टेस्टिंग सेंटर और सात शहरों में टेस्टिंग स्टेशन हैं।

इससे पहले जिला उद्योग और उद्यम प्रोत्साहन केंद्र ने शासन को हाथरस में हींग की क्वालिटी की जांच के लिए जल्द ही प्रयोगशाला बनाने का प्रस्ताव भेजा था। प्रयोगशाला बनने से हींग की 125 छोटी-बड़ी फैक्टरी के संचालकों को जांच के लिए बाहर नहीं जाना होगा। जिले में करीब दो करोड़ रुपये की लागत से यह प्रयोगशाला बनाई जाएगी।

वन डिस्ट्रिक्ट -वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के तहत जिले में हींग उत्पाद को कई वर्ष पहले शामिल किया गया था। इसकी जांच के लिए प्रयोगशाला की स्थापना की मांग लंबे समय से उद्यमियों द्वारा की जा रही है। हींग से उत्पादन से जुड़े लोगों का ग्रुप भी बना लिया है। प्रयोगशाला बनाने में करीब दो करोड़ रुपये की लागत आएगी। 90 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

अभी तक हींग की क्वालिटी की जांच के लिए उद्यमियों को आगरा, दिल्ली और अहमदाबाद जाना पड़ता है, लेकिन अब उन्हें यह सुविधा यहीं मिल जाएगी। उनके समय की बचत भी होगी। उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र दुष्यंत कुमार का कहना है कि हींग की जांच की प्रयोगशाला के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। प्रयोगशाला बनने से उद्यमियों को फायदा मिलेगा।

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