इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बढ़ती लोकप्रियता ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में इनोवेसन की मांग को तेज कर दिया है। भारत जैसे विकासशील देश में यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आधुनिक, प्रभावी और टिकाऊ चार्जिंग समाधान अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए कई पहल की जा रही हैं। बैटरी की बढ़ती क्षमता और वाहनों की बड़ी रेंज की मांग को पूरा करने के लिए उच्च पावर चार्जिंग तकनीक पर ध्यान दिया जा रहा है। यह केवल चार्जर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संपूर्ण सिस्टम शामिल है जैसे ग्रिड कनेक्शन, मीडियम वोल्टेज पैनल, ट्रांसफॉर्मर, और लो वोल्टेज बोर्ड।
ग्रिड कंजेशन और ऊर्जा वितरण की समस्याओं को हल करने के लिए स्मार्ट सॉफ़्टवेयर समाधानों का विकास हो रहा है। यह न केवल चार्जिंग की प्रक्रिया को तेज करेगा, बल्कि ऊर्जा की दक्षता भी बढ़ाएगा। चार्जिंग स्टेशनों पर सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। डीसी माइक्रोग्रिड आधारित सिस्टम का उपयोग कर, चार्जिंग स्टेशन को कोयले से बनी बिजली पर निर्भरता से मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए कंपनियां दीर्घकालिक योजनाएं बना रही हैं।
बढ़ती बिजली की मांग और उच्च पावर चार्जिंग की दिशा में कदम
श्नाइडर इलेक्ट्रिक, वाइस प्रेसिडंट कंवलजीत सिंह कुकरेजा ने चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कहा कि बाजार की जरूरतें तेजी से बदल रही हैं। बैटरी का आकार और पावर की मांग बढ़ रही है, जिसके चलते चार्जर की पावर रेटिंग भी बढ़ाने की आवश्यकता है। ऐसे में, कंपनियां उच्च पावर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यह सिर्फ चार्जर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ग्रिड कनेक्शन, मीडियम वोल्टेज पैनल, ट्रांसफॉर्मर, लो वोल्टेज बोर्ड और अन्य आवश्यक उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। भारत में अब तक चार्जर और वाहनों को चार्ज करने पर ध्यान दिया गया है, लेकिन भविष्य में ग्रिड कंजेशन और डिस्कॉम्स की चुनौतियों को हल करने के लिए समग्र सॉफ़्टवेयर समाधान की आवश्यकता होगी।
स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर अग्रसर
कंवलजीत ने कहा स्थिरता को ध्यान में रखते हुए, कंपनियां यह सुझाव दे रही हैं कि चार्जिंग स्टेशन पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सोलर रूफटॉप और बैटरी स्टोरेज सिस्टम, को जोड़ा जाए। आज, हालांकि बसें और कारें इलेक्ट्रिक हो रही हैं, लेकिन उनके चार्ज के लिए उपयोग की जाने वाली बिजली कोयला जलाकर उत्पन्न की जा रही है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, डीसी माइक्रोग्रिड आधारित सिस्टम के विकास पर जोर दिया जा रहा है।
2025 की योजनाएं और वर्तमान प्रोजेक्ट्स
उन्होने आगे बताया कंपनियां मीडियम वोल्टेज से लेकर चार्जर तक पूरे चार्जिंग सिस्टम पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में भी इनोवेशन जारी रहेगा।
लागत और निवेश
शुरुआती दिनों में लागत अधिक हो सकती है, लेकिन जैसे-जैसे बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा, लागत में कमी आएगी। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र और भी विकसित होगा।
निष्कर्ष
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा को भी बढ़ावा देगा। उन्नत सॉफ़्टवेयर और नवीन तकनीकों के साथ, यह क्षेत्र आने वाले समय में भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।