व्यवसाय विचार

चुनौतियों और परेशानियों के बावजूद इलेक्ट्रिक वाहन ही परिवहन सेक्टर का भविष्य हैं: उदय नारंग

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Apr 28, 2023 - 8 min read
चुनौतियों और परेशानियों के बावजूद इलेक्ट्रिक वाहन ही परिवहन सेक्टर का भविष्य हैं: उदय नारंग image
हम लगातार देश के छोटे शहरों और दूरदराज के कस्बों तक पहुंचने के लिए काम कर रहे हैं। हमने ऐसी बैटरीज और पावरट्रेन विकसित की हैं, जो बिहार-झारखंड के मैदानी इलाकों से लेकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दुर्गम पहाड़ी स्थानों में भी आराम से चलेंगी। ऐसे राज्यों में हमारे उत्पाद बहुत जल्द नजर आने लगेंगे।

पर्यावरण की चौतरफा अनदेखी और इसके विनाशकारी प्रभावों को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। खासतौर पर वायु प्रदूषण में परिवहन सेक्टर की बड़ी हिस्सेदारी ने पूरे सेक्टर के समक्ष पर्यावरण-अनुकूल वाहन और संबंधित ढांचा पेश करने की चुनौती रखी है। जिन कारोबारियों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर पर्यावरण मुहैया कराने की ठानी, उनमें उदय नारंग का नाम प्रमुख है। ओमेगा सेकी मोबिलिटी (ओएसएम) के संस्थापक उदय नारंग देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी ईवी फैक्ट्री स्थापित कर रहे हैं और लोगों को डीलरशिप के मौके भी दे रहे हैं। उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक, देश की सड़कों को ध्यान में रखकर ओएसएम अपनी गाड़ियां ला रही है, ताकि वह सभी की जरूरतों को पूरा कर सके। 'अपॉर्च्युनिटी इंडिया' की वरिष्ठ संवाददाता सुषमाश्री के साथ विशेष साक्षात्कार के दौरान नारंग ने सेक्टर की चुनौतियों और भविष्य समेत ओएसएम की संभावनाओं पर विशेष चर्चा की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

प्रश्न: इस कारोबार में आपके उतरने और अपनी कंपनी ओमेगा के बारे में बताएं।

ओमेगा का इतिहास 54 साल पुराना है। मेरे पिताजी ने ओमेगा की स्थापना की थी, जो देश की सबसे बड़ी स्टील प्रोसेसर कंपनियों में शामिल है और यह पांच दशकों से परिचालन में है। ओमेगा और ओमेगा सेकी मोबिलिटी (ओएसएम), दोनों दो अलग कंपनियां हैं। ओमेगा की गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा हैं। जहां तक ओमेगा सेकी का प्रश्न है तो ओमेगा ओम और सेकी प्रेसिजन या कहें कि यथार्थ, प्योर, शुद्ध से मिलकर बना नाम है। ऑटोमोटेड पार्ट्स में हमारा काफी काम चल रहा है। पिछले साल स्टील और ऑटोमोटेड पार्ट्स बिजनेस में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पुणे, हरियाणा समेत पूरे देश में हमारी 17 फैक्ट्रीज हैं।

प्रश्न: आपकी जिंदगी का अधिकतर हिस्सा विदेश में गुजरा है, लिहाजा उन बाजारों पर आपकी गहरी पकड़ है। ओमेगा सेकी को इस अनुभव से कितना फायदा हुआ है?

यह सच है कि 17 साल की उम्र में मैं अमेरिका चला गया था। मैंने बीए और एमए की पढ़ाई न्यूयॉर्क से ही की है। अमेरिका के अलावा लंदन, स्विट्जरलैंड और यूरोप के कई अन्य बाजारों में मैंने अपनी जिंदगी के तीन दशक से अधिक व्यतीत किए हैं। मैंने वहां हरित ऊर्जा और स्थिरता में कई साल तक काम किया है। अमेरिका और यूरोप में हुए बिजली विनियमन और कार्बन ट्रेडिंग में मेरा काफी योगदान रहा। कमोडिटीज में भी मेरी पृष्ठभूमि काफी मजबूत है। सात-आठ वर्ष पहले भारत लौटने के बाद मैं व्हीकल बनाने या उनके पुर्जे के कारोबार में से एक चुनने की कशमकश में था। ऑटोमोटेड पार्ट्स, स्टील, सीट मेटल, तो हमारे डीएनए में था ही, लेकिन विदेश के मेरे अनुभवों और दुनियाभर में मौजूद तकनीक में मेरे रिश्ते से ओमेगा को इतना फायदा जरूर मिला कि पावर ट्रेन, मोटर, बैट्रीज वगैरह का निर्माण हम बेहतर ढंग से कर पा रहे हैं।

प्रश्न: आप अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के किसी भी कारोबार में कदम रख सकते थे। लेकिन आपने ईवी जैसे नए सेक्टर को क्यों चुना?

मेरे ख्याल से यह कारोबार भी है और देश की सेवा भी। प्रकृति को बचाने के क्रम में किया जा रहा यह व्यवसाय आज सबसे जरूरी और सबसे बेहतर है। मैं मानता हूं कि पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण, ढुलाई, संचालन और क्रियान्वयन, हरित ऊर्जा, स्वच्छ वायु, ये सभी बहुत जरूरी और कीमती हैं। इन्हीं से इस देश का भविष्य लिखा जाएगा। ऐसे में इस व्यवसाय के सामने मुझे दूसरा कोई कारोबार नजर नहीं आता।

एक और वजह है। एक दिन मैं अपने लंदन ऑफिस में बैठा था। अचानक मुझे लगा कि मैं समाज हित के क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय काम नहीं कर रहा हूं। समाज सिर्फ पैसा कमाने वाले को नहीं, बल्कि उसे समाज में वापस लौटाने वाले को याद रखता है। इसी सोच के साथ जबसे मैं भारत वापस लौटा हूं, हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) में लगा हुआ हूं। मैं प्रयोग, प्रमाणीकरण, सबकुछ कर रहा हूं। थाइलैंड, कोरिया, हर देश में मेरे अनुसंधान और विकास केंद्र (आरएंडडी सेंटर्स) हैं। अमेरिका और यूरोप में भी मैं काम कर रहा हूं। मैं ओमेगा सेकी को यूनिकॉर्न बनाने या नहीं बनाने के पीछे काम नहीं कर रहा, एक विचार के तहत काम कर रहा हूं।

प्रश्न: ओईएम के अब तक के सफर को आप कैसे देखते हैं?

ओईएम की स्थापना मैंने साल 2018 में की थी, जिसमें लगभग 500 कर्मचारी हैं। बिना इक्विटी इन्फ्यूजन के कंपनी का विकास दर प्रतिवर्ष 300 प्रतिशत है। वर्तमान में दोपहिया और तीन पहिया वाहन तथा पैसेंजर और कमर्शियल ट्रक को मिलाकर ओईएम के कुल 15 प्रॉडक्ट हैं। हम आईएम3एनवाई यूएसए, लॉग9 मैटेरियल, सन मोबिलिटी और एग्जिकॉम टेक्नोलॉजीज समेत पावरट्रेन के लिए जेएसटी कोरिया के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

वर्तमान में आज ओएसएम के चार कारखाने हैं, जिनमें से तीन फरीदाबाद और एक पुणे में हैं। साल 2018 से शुरू हुई फरीदाबाद स्थित आरएंडडी और मैन्यूफैक्चरिंग फेसिलिटी में प्रतिवर्ष 7200 गाड़ियां तैयार करने की क्षमता है। साल 2022 में शुरू की गई फरीदाबाद स्थित दूसरी फेसिलिटी इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर मैन्यूफैक्चरिंग में प्रतिवर्ष 15 हजार गाड़ियां तैयार की जाती हैं। साल 2021 में शुरू की गई फरीदाबाद स्थित तीसरी फेसिलिटी मैन्यूफैक्चरिंग फेसिलिटी ऑफ इलेक्ट्रिक टू व्हीलर में प्रतिवर्ष 12 हजार व्हीकल तैयार करने की क्षमता है। साल 2022 में पुणे में शुरू की गई चौथी फेसिलिटी मैन्यूफैक्चरिंग फेसिलिटी ऑफ इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर की क्षमता प्रति माह छह हजार गाड़ियों के निर्माण की है। बहुत जल्द हम आंध्र प्रदेश में इलेक्ट्रिक ट्रक फेसिलिटी, पंजाब में रेट्रोफिटिंग फेसिलिटी, चेन्नई में ईपैसेंजर व्हीकल फेसिलिटी और फरीदाबाद में बैट्री पैक्स और पावरट्रेन फेसिलिटी लेकर आ रहे हैं।

मैंने ओईएम का काफी विकास किया है। हम हर छोटे-मझोले शहर की भौगोलिक परिस्थितियों में काम करने वाले व्हीकल और पावरट्रेन पहुंचाने पर काम कर रहे हैं। असल में इस उद्योग में बैटरी, पॉवर, पुर्जे, हर क्षेत्र में बहुत काम है, जिनके लिए बेहद समर्पित कारोबारियों की जरूरत है।

प्रश्न: देश के बाहर और अंदर, आपने दोनों जगह काफी काम किया है। आपको क्या लगता है, इस क्षेत्र में भारतीय उद्यमियों के लिए कौन-कौन सी चुनौतियां हैं? उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

इस क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन), वित्तपोषण (फाइनेंसिंग), अनुसंधान और विकास (आरएंडडी), डीलरशिप सुविधा, निवेश, निर्माण संयंत्र से जुड़ी कई चुनौतियां हैं। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्ता और सुरक्षा की है। यही वजह है कि मैं आरएंडडी में बहुत ज्यादा समय लगाता हूं। अपनी बैटरी, पावरट्रेन, मोटर्स को मैंने काफी रिसर्च करके तैयार किया है। एक व्यवसायी के तौर पर आपको दूर का सोचना होगा, तभी आप यहां सफल हो पाएंगे।

प्रश्न: ईवी सेक्टर को लेकर सरकारों की संजीदगी को आप किस तरह देखते हैं?

हमारे प्रधानमंत्री और परिवहन मंत्री विद्युतीकरण के क्षेत्र में काफी काम कर रहे हैं। आप दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड समेत देश के सुदूर प्रदेशों में कहीं भी चले जाएं, पूरे देश में ईवी की लहर चल रही है। सरकारी-निजी कंपनी भागीदारी मिलकर रोजगार पैदा कर सकते हैं। ये महिला सशक्तिकरण और शिक्षा से जुड़े विकास कार्यों के लिए भी मददगार हो सकते हैं। रोजगार पैदा करने के लिए हमें निर्माण कार्यों में बढ़ोतरी करनी ही होगी। हमारे पास युवा शक्ति है, कामगार हैं, शिक्षा है, सामर्थ्य है। हालांकि हमारे यहां तकनीकी कौशल बढ़ाने की जरूरत है। हमारे विश्वविद्यालयों में जिस तरह की शिक्षा दी जा रही है, वो किताबी है, उसका कोई लाभ नहीं है। हमें समय के साथ चलने की जरूरत है। मैं हर नौजवान से कहता हूं कि वे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को भूलकर अपने देश के लिए कंपनियां खड़ी करें। जो तरक्की इस देश में है, वह कहीं और नहीं है। यह सच है कि इस क्षेत्र में बहुत सारी परेशानियां हैं, चुनौतियां हैं लेकिन यहां संभावनाएं भी काफी हैं।

प्रश्न: अब तक आप कितना निवेश कर चुके हैं और कंपनी का टर्नओवर क्या है?

बीते पांच वर्षों में हमने 200 करोड़ रुपये निवेश किए हैं और यह पूरा निवेश अंदरुनी स्रोतों से हुआ है। इस वित्त वर्ष 23-24 में अनुमानतः हम 500 करोड़ रुपये का निवेश करने वाले हैं। वित्त वर्ष 2021-2022 में कंपनी का टर्नओवर 56 करोड़ रुपये था, जो 22-23 में 225 करोड़ रुपये का हो गया और चालू वित्त वर्ष में हमें उम्मीद है कि 500 करोड़ रुपये का टर्नओवर होगा।

प्रश्न: आप अपने बिजनेस की फ्रैंचाइजिंग के बारे में भी सोच रहे हैं?

निश्चित तौर पर यह कारोबार बढ़ाने के विकल्पों में सबसे दमदार है। यदि आप हमारे वितरक बनना चाहते हैं तो आपको शहर के हिसाब से दो से 10 लाख रुपये तक की रकम जमा करानी होगी, जो बाद में लौटा दी जाएगी। इसके लिए हम लोन भी दिलाते हैं। कुल मिलाकर टियर थ्री और फोर में 15 से 20 लाख रुपये में काम हो जाता है। आपको डीलरशिप मिल जाती है। एक या दो गाड़ियां भी लेनी होती है। तमिलनाडु के कई ग्रामीण इलाकों में तो हमने आठ लाख रुपये में भी डीलरशिप दी हुई हैं। ऐसे ग्रामीण इलाके, जहां उन्नति कम हो, वहां निवेश कम भी हो तो काम हो जाता है। असल में बाज़ार की जरूरतों को ध्यान में रखकर भी डीलरशिप तय की जाती है।

प्रश्न: इस उद्यम से जुड़ने की चाहत रखने वालों को क्या सलाह देना चाहेंगे?

अगर आप इस मैराथन का हिस्सा बनना चाहते हैं तो विजयी जरूर होंगे, लेकिन इसमें काफी समय लग जाएगा इसलिए संयम रखें। मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) कारोबार में हर साल फायदा नहीं होता। यह वैसा व्यवसाय नहीं है, जहां आप आज पैसे लगाएं, तो कल से ही लाभ कमाने लग जाएंगे। अगर आप इस मानसिकता के साथ काम कर रहे हों कि आपको आज से ही रिटर्न मिलना चाहिए तो मेरी सलाह होगी कि आप यह व्यवसाय न करें। तरक्की, अवसर, आपको यहां सबकुछ मिलेगा, लेकिन शुरुआत से ही नहीं। दस वर्षों में आप यह मान सकते हैं कि यहां आपको कुछ फायदा नजर आएगा। इस उद्यम में कदम रखने वालों को मेरी सलाह होगी कि इस व्यवसाय में पहले थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें।

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