आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हमारे जीवन में जिस तरह से अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं, उसे देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि वह दिन दूर नहीं, जब लोग कंप्यूटर के साथ सीधे बातचीत करना शुरू कर देंगे। इसके लिए न तो किसी तरह की कोडिंग की जरूरत रह जाएगी और न ही डी-कोडिंग की। हालांकि, जीवन के उस पड़ाव तक पहुंचने से पहले जरूरी है कि आज की हमारी पीढ़ी के हर एक बच्चे को स्कूल में ही कोडिंग सिखाई जाए ताकि वे कंप्यूटर की भाषा को आसानी से समझ सकें और उसे समझा सकें कि आखिर उन्हें क्या चाहिए। द बिग लीग और एडमिटकार्ट के सह-संस्थापक पीयूष भारतीय ने अपाॅरच्युनिटी इंडिया की वरिष्ठ संवाददाता सुषमाश्री से इस बारे में विस्तार से बात की। पेश हैं उसके मुख्य अंश...
ओआई : आपकी नज़र में कोडिंग क्या है?
भारतीय : कोडिंग असल में एक नई भाषा को जानने जैसा है, जिसके जरिए आप कंप्यूटर के साथ बातचीत कर सकते हैं। इससे आप वह दर्शाने में सक्षम हो जाते हैं, जो भी आपकी जरूरत हो या जो भी आप करना चाहते हैं, और यही बात आसानी से कंप्यूटर को समझाने में भी आप सक्षम हो सकते हैं। आज C, C++, JAVA, PYTHON, जैसी कंप्यूटर की कितनी ही भाषाएं हैं, जिन्हें समझने और जानने की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है। अंग्रेजी भी ऐसी ही भाषाओं में से एक है, जिन्हें सीखने की जरूरत हम हमेशा से महसूस करते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच हम अपनी बात रख सकें।
ओआई : कोडिंग सिखाने की आवश्यकता क्यों है और क्या यह बच्चों के पाठ्यक्रम के लिए सटीक बैठता है?
भारतीय : बिल्कुल। मैं मानता हूं कि यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे कि हम अंग्रेजी, हिंदी, मराठी या कोई भी नई भाषा सीखते हैं। आज जबकि हमारे ज्यादातर काम कंप्यूटर के जरिए हो रहे हैं, और इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस क्षेत्र में हैं, हमें अपने-अपने क्षेत्र में कंप्यूटर के साथ समय बिताना ही पड़ता है, उससे मतलब रखना ही होता है, क्योंकि आज के समय में यह सबसे महत्वपूर्ण हो चुका है। ऐसे में यह समझने में सक्षम होना कि कंप्यूटर किस तरह से सोचता है, या किस तरह से समझता है, यह शिक्षा के हर क्षेत्र के लिए बहुत ज्यादा अहम होने वाला है। पहले कोडिंग बहुत ज्यादा गणितीय और तार्किक होता था, जहां बहुत ज्यादा फैक्ट्स, सिन्टैक्स आदि का प्रयोग किया जाता था, ताकि हम कंप्यूटर की भाषा लिख और समझ सकें, लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि आज बड़े पैमाने पर भाषा का माॅडल ऐसा तैयार किया जा चुका है कि वह पहले के मुकाबले काफी आसान महसूस होता है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग आसानी से अब एक-दूसरे के साथ बातचीत कर पाते हैं। हालांकि, कोडिंग की बात करें तो सबसे पहले हमारे लिए यह समझना जरूरी हो जाता है कि हम ऐसा क्या लिखें, ताकि कंप्यूटर हमारी भाषा को समझ सके, जिससे हम आसानी से अपनी जरूरतों को उस तक पहुंचा सकें। इसलिए आप कह सकते हैं कि आने वाली पीढ़ी के लिए कोडिंग सीखना बहुत ज्यादा जरूरी है, ताकि किसी भी तरह के काम के लिए वह उपयुक्त हो सकें।
अगर आप कोडिंग सिखाने को लेकर बच्चों के पाठ्यक्रम पर गहराई से विचार करना चाहते हैं तो मैं कहूंगा कि C, C++, JAVA, PYTHON जैसे लैंग्वेज काफी पुराने हैं। यही वजह है कि इस उम्र में ज्यादातर बच्चों के लिए उसे समझ पाना आसान नहीं है। यह कहीं ज्यादा जटिल है, यही वजह है कि एक सामान्य छात्र के लिए इसे समझ पाना आसान नहीं है। आप ज्यादातर एडटेक कंपनियों को देख लीजिए, वे अपने छात्रों को लाॅजिक सिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा छात्रों को वे कंप्यूटर एप्लीकेशंस को अलग ढंग से सिखाने की कोशिश भी कर रहे हैं, जैसे कि ड्रैग एंड ड्राॅप मैथड्स। यही नहीं, वे उन्हें कोडिंग सिखाने के भी अलग-अलग तरीके समझाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे समझ सकें कि आखिर यह लाॅजिक कंपाइल करने की जरूरत क्यों है? तो आप कह सकते हैं कि छात्रों को पाठ्यक्रम में कुछ आधारभूत समझ पैदा करने की कोशिश की जाती है, भाषा के स्तर पर नहीं, बल्कि अन्य कुछ आधारभूत काॅन्सेप्ट को समझने और उस पर फोकस करने की कला छोटे बच्चों को समझाने की कोशिश की जा रही है। आज के समय में ऐसे कितने ही प्लेटफाॅर्म यानी मंच हैं, जहां आप उनका प्रयोग कर सकते हैं और आसानी से कोडिंग सिन्टैक्स की समझ छात्रों के अंदर पैदा कर सकते हैं, जो कि किसी भी स्कूल के पाठ्यक्रम में प्रायोरिटी के तौर पर रखा नहीं जाता।
आज के समय में यह बहुत ज्यादा जरूरी हो चुका है क्योंकि बहुत जल्द, अगले पांच से दस वर्षों में आप वह समय देखेंगे, जब लोग डी-कोडिंग नहीं करेंगे बल्कि कंप्यूटर को सीधे यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर उनकी जरूरत है क्या और वे क्या जानना चाहते हैं। इसके लिए स्कूलों में पाठ्यक्रम का स्तर बेहतर करना अति आवश्यक है। हो सकता है कि छात्र कंप्यूटर सिन्टैक्स को नहीं जानते हों, जोकि कंप्यूटर खुद ही अपने लिए ढूंढ़ लेगा। एआई के आने के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है, जो इस परिप्रेक्ष्य में हमें देखने को मिलने वाला है। आने वाले समय में कौन-कौन से कौशल बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे, एआई के बढ़ते कदम देखकर आसानी से समझा जा सकता है। आज हर किसी को यह समझने की जरूरत है कि यही वास्तविकता है।
ओआई : किस उम्र में बच्चे कोडिंग सीख सकते हैं?
भारतीय : मैं मानता हूं कि यह एक आधारभूत गणितीय समझ है, और इसे सीखने के लिए बेसिक लाॅजिकल समझ होना जरूरी है। मेरा मानना है कि जरूरी नहीं कि छोटे बच्चों को आप कोडिंग सिखाना ही शुरू कर दें, लेकिन हां, उनके अंदर तार्किक कौशल बेहतर होना चाहिए। उनके अंदर यह समझ होनी चाहिए कि किसी भी समस्या को वे किस तरह से फ्रेम कर सकते हैं और फिर किस तरह से उसका समाधान निकाल सकते हैं, वगैरह। आज के समय में बच्चे 10 से 12 की उम्र में ही कंप्यूटर साइंस सीख रहे हैं। यही वजह है कि चीजों को वे बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। मुझे लगता है कि यह सही समय है, जब उन्हें कोडिंग भी सिखाया जा सकता है।