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- जानिए सरकारी योजनाओं के बारे में जो भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को बना रही हैं मजबूत
भारत में केंद्र सरकार उद्यमियों को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों को शुरू करने के साथ-साथ स्टार्टअप को उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता, सब्सिडी और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रही है।
भारत में 60,000 से ज्यादा स्टार्टअप काम कर रहे हैं और देश में अब 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं। हालांकि, उन सभी के पास इकोसिस्टम में पनपने और मजबूत उपस्थिति बनाने के लिए सही संसाधन नहीं हैं। चलिए आपको बताते है सरकारी योजनाओं के बारे में जो स्टार्टअप और उद्यमियों को बनाने, विकसित करने और प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है:-
1.मल्टीप्लायर ग्रांट स्कीम
इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट (डीईआईटीवाई) द्वारा शुरू की गई, मल्टीप्लायर ग्रांट स्कीम का उद्देश्य उत्पादों और पैकेजों के विकास के लिए उद्योग और संस्थानों के बीच रिसर्च एंड डेवलपमेंट को सशक्त बनाना है। अगर उद्योग उन उत्पादों के विकास के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट का सपोर्ट करता है, जिन्हें संस्थान स्तर पर व्यावसायिक किया जा सकता है, तो सरकार उद्योग द्वारा प्रदान की गई राशि से दोगुना तक वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी। योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने का प्रस्ताव उद्योग और संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत किए जाने हैं।
सरकारी अनुदान प्रति परियोजना अधिकतम 2 करोड़ रुपये तक सीमित होगा, और प्रत्येक परियोजना की अवधि दो साल से काफी कम हो सकती है। यह 4 करोड़ रुपये तक जाएगा और इसमें तीन साल का उद्योग संघ शामिल होगा।
2.सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन (एसएमएएम)
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 मे शुरू की गई एक पहल, कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) का लक्ष्य ऐसे क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच का विस्तार करना है जहां उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए कृषि शक्ति की उपलब्धता काफी कम है। इस स्किम के तहत केंद्र सरकार और राज्य दोनों 75 और 25 प्रतिशत का योगदान देंगे। इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण गतिविधियों और हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना है। छोटे और सीमांत किसानों को कम मशीनीकृत क्षेत्रों में उपकरण और मशीनरी किराए पर लेने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा।
3.समृद्धि स्कीम
समृद्धि योजना भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसे नवनियुक्त इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था जो स्टार्टअप्स को विकास और उत्पाद नवाचार में मदद करता है। इसे स्टार्टअप को फंडिंग सहायता प्रदान करने के साथ कौशल सेट को एक साथ लाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो उन्हें सफलतापूर्वक विकसित होने में मदद करेगा।
4.न्यूजेन आईईडीसी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड द्वारा शुरू की गई एक पहल, जिसका नाम न्यूजेन इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट सेंटर है। इसका उद्देश्य मेंटरशिप, सपोर्ट और मार्गदर्शन के माध्यम से उद्यमिता और नवाचार की भावना को विकसित करना है।यह पांच साल का कार्यक्रम है जो एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में प्रदान किया जाएगा। इस योजना के पहल का लक्ष्य 20 नई परियोजनाओं का सपोर्ट करना है।चुने गए इंस्टीट्यूट को 25 लाख रुपये तक का वित्तीय अनुदान और 10 लाख रुपये तक का आवर्ती व्यय मिलेगा।
5.डेयरी उद्यमिता विकास स्कीम
डेयरी उद्यमिता विकास योजना डेयरी क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विभाग द्वारा शुरू की गई एक योजना है। इस योजना का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र की संरचना में परिवर्तन लाना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रारंभिक दूध प्रसंस्करण गांवों में हो।
6.सिंगल प्वाइंट रजिस्ट्रेशन स्कीम
सिंगल प्वाइंट रजिस्ट्रेशन स्कीम वर्ष 2003 में राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) द्वारा शुरू की गई थी। एनएसआईसी एमएसई (एसपीआरएस के तहत भारत में सूक्ष्म और लघु उद्यम) को पंजीकृत करता है ताकि वे सरकारी खरीद में भाग ले सकें। इन उद्यमों को निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु या मध्यम के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। योग्य एमएसएमई इकाइयों को उद्योग आधार पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। 358 से अधिक आइटम एमएसएमई से विशेष खरीद के लिए आरक्षित हैं।
7. द वेंचर कैपिटल असिस्टेंस स्कीम
किसान-उद्यमियों के कल्याण और उनके व्यवसायों को विकसित करने के लिए लघु किसान कृषि-व्यवसाय संघ (एसएफएसी) द्वारा द वेंचर कैपिटल असिस्टेंस स्कीम शुरू की गई थी। यह कृषि-उद्यमियों के पोषण और प्रशिक्षण को बढ़ावा देता है। इस पहल को वित्तीय संस्थानों द्वारा अनुमोदित किया गया है और बैंक को आरबीआई द्वारा रेगुलेट किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को लोन के रूप में सहायता प्रदान करना है ताकि वे अपनी परियोजनाओं को लागू करने के लिए फंड की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। लोन की मात्रा प्रमोटर की इक्विटी का 26 प्रतिशत होगा।इस योजना के तहत दिए जाने वाले लोन की अधिकतम राशि 50 लाख रुपये होगी।