- Home
- Article
- व्यवसाय विचार
- जानें किस तरह 'आयुष्माम भारत' भारत के हेल्थकेयर तंत्र का निर्माण कर रहा है
'आयुष्मान भारत' योजना के तहत सबसे ज्यादा अनदेखा किए जाने वाला ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र जिन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र (PHCs) कहा जाता है को जल्द ही पूरे भारत में 1.5 लाख स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्रों में बदल दिया जाएगा। यह योजना 10.74 करोड़ गरीब और गरीब परिवारों को आर्थिक सुरक्षा देगी और शहरी कर्मचारी/मजदूरों के परिवारों को हर साल 500000 प्रति परिवार का लाभ भी देगी।
ग्रामीण आबादी के लिए लाभ
इन केंद्रों का सेटअप पंचायत स्तर पर किया गया है क्योंकि इन योजनाओं का लक्ष्य दुरस्त गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना है। ये केंद्र पूरी तरह सभी सुविधाओं से सुसज्जित हैं जैसे टेलीमेडिसन जिसकी वजह से रोगी को दूर गए बिना विशेषज्ञ की सलाह मिलती है। इन हेल्थ और वेलनेस केंद्रों में अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं जिसमें गर्भावस्था, दांतों, बीपी, डायब्टीज, दिमागी स्वास्थ्य, जैरिएट्रिक समस्याएं, मुंह का कैंसर, सर्विक्स कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और आंखों की जांच आदि की जांच-पड़ताल होती है। योग की क्लास भी इन केंद्रों के पड़ोसी इलाकों में दी जाती है ताकि लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार लाने का अवसर मिल सके।
चुनौतियां
हालांकि हेल्थकेयर सेक्टर देश में सभी सेक्टर में सबसे बड़ा और तेजी से विकास करने वाला सेक्टर है जिसके 2020 तक 280 करोड डॉलर तक पहुंचने की आशा है। लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं जैसे ज्यादा खर्च, कम आर्थिक सुरक्षा और बहुत ही बेकार स्वास्थ्य बीमा कवरेज। शुरुआत में इसे लागू करने में आने वाली सबसे बड़ी चुनौती यह है कि देश प्राइवेट हेल्थकेयर सेक्टर में बहुत ज्यादा विश्वास करता है लेकिन दुखद बात यह है कि यह सेक्टर भ्रष्टाचार से भरा हुआ है।
सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के विस्तार के लक्ष्य को तब तक नहीं पाया जा सकता जब तक देश के हेल्थकेयर सेक्टर के फ्रेमवर्क का मजबूत और संपूर्ण विकास न हो जाए। यह मापदंड न सिर्फ सिस्टम में ज्यादा जिम्मेदारी और पारदर्शिता को लाता है बल्कि लोगों के विश्वास और स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति आत्म्विश्वास को फिर से पाने में सहायता करेगा। लेकिन आज के संपूर्ण हेल्थकेयर को सुधारना सबसे ज्यादा जरूरी कदम है।