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जी-20 सम्मेलन खोलेगा भारत में शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े मौके

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 07, 2023 - 5 min read
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जी-20 सम्मेलन में शिक्षा एक अहम मुद्दा है। जी-20 सदस्य देश, भारत की नई शिक्षा नीति-2020 को लेकर बेहद आश्वस्त हैं। उन्हें यकीन है कि नई शिक्षा नीति उन्हें भारत में निवेश के कई मौके उपलब्ध करेगी। क्या कहते हैं विशेषज्ञ, आइए जानें...

इस वर्ष भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 सम्मेलन से संबंधित विभिन्न आयोजनों में शिक्षा आपसी विमर्श का एक अहम मुद्दा रहा है। दुनिया के 19 देशों और यूरोपीय संघ के इस संगठन को बदलते दौर की जरूरतों के हिसाब से शिक्षा, कौशल विकास, कौशल उन्नयन यानी अपस्किलिंग और पहले की तुलना में अलग तरह का कौशल प्रशिक्षण यानी रिस्किलिंग पर बल देने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि जी-20 के भारत जैसे सदस्य देश दुनियाभर के लिए उत्पादन का नया केंद्र बन रहे हैं और यहां विदेशी कंपनियों को नई तकनीकों से लैस कर्मचारियों की जरूरत पड़ने वाली है। जानकारों का मानना है कि जी-20 का यह आयोजन आने वाले दशकों के लिए भारत में रोजगार-आधारित शिक्षा को नई दिशा दे सकता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि नई शिक्षा नीति उन्हें भारत में निवेश के कई मौके उपलब्ध करेगी।

इस हफ्ते 8 से 10 सितंबर तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में जी-20 सदस्य देशों का सम्मेलन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कई बार इस पर प्रकाश डाल चुके हैं कि दुनिया के कई देश भारत की नई शिक्षा नीति-2020 को लेकर आशावान हैं। इससे न केवल हमारी शिक्षा का स्तर बेहतर होने की संभावना है, बल्कि यह उम्मीद की जा रही है कि इससे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया के कई देश निवेश के लिए भी आगे बढ़ेंगे।

अपने शुरुआती चरण में शिक्षा के क्षेत्र में एआई

जी-20 सम्मेलन में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े और कौन-कौन से मुद्दों पर बातचीत हो सकती है या निवेश को लेकर चर्चा हो सकती है, और देश में शिक्षा के किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा निवेश आने की उम्मीद है, इस पर आसोका एंड एमबीडी ग्रुप की एमडी मोनिका मल्होत्रा कंधारी का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आज भी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन इसके अंदर वह क्षमता है, जिससे सीखने का स्तर बेहतर किया जा सकता है। हालांकि, हम जिस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बढ़ रहे हैं, उसे बनाने और लंबे समय तक बनाए रखने के लिए इस क्षेत्र में फिलहाल और भी निवेश की आवश्यकता है।

इसी मुद्दे पर उत्तर प्रदेश स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी के डीन एफएमएस और डायरेक्टर एमिटी बिजनेस स्कूल डॉ. संजीव बंसल का कहना है कि उच्च शिक्षा में निवेश की सबसे अधिक गुंजाइश है। कौशल शिक्षा भी निवेश का अच्छा अवसर हो सकती है।

कंधारी के अनुसार जी-20 विश्व के नेताओं के लिए ज्ञान साझा करने, मौजूदा चिंताओं की पहचान करने और समस्या-समाधान के लिए एक साथ आने का एक उत्कृष्ट मंच है। यह शिक्षा क्षेत्र में अत्यंत आवश्यक निवेश आकर्षित करने का मार्ग प्रशस्त करता है। उनकी इस राय से सहमत होते डॉ. बंसल कहते हैं कि विकास का मूल होने के कारण शिक्षा और अनुसंधान पर निवेश के क्षेत्रों पर बहुत ध्यान दिया जाएगा।

मांग-उपलब्धता में अंतर बड़ा मुद्दा

वर्तमान में उद्योगों की जरूरत और प्रशिक्षित कामगारों की उपलब्धता के बीच बड़ी खाई है, जो एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। इसे पाटने में जी-20 के देश कैसे मददगार साबित हो सकते हैं, इस पर कंधारी कहती हैं कि जी-20 देश एक व्यापक वैश्विक कौशल एजेंडा विकसित करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं, जो उद्योगों और क्षेत्रों में सबसे अधिक मांग वाले कौशल की पहचान करता है। यह विविध उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में काम करेगा।

वहीं, डॉ. बंसल मानते हैं कि भारत की जी-20 प्राथमिकताओं में वैश्विक व्यापार में एमएसएमई के एकीकरण में तेजी लाने, विकास के लिए व्यापार की भावना लाने, श्रम अधिकारों को बढ़ावा देने व श्रम कल्याण को सुरक्षित करने, वैश्विक कौशल अंतर को संबोधित करने और समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला व खाद्य प्रणालियों का निर्माण करने आदि की महत्वाकांक्षा शामिल है। वैश्विक कौशल अंतर का मुद्दा कुशल श्रम की उपलब्धता और आवश्यकताओं के बीच अंतर को पाटने पर केंद्रित होगा।

भारत में दुनियाभर के लिए बड़े अवसर

भारतीय शिक्षा जगत में दुनिया के कई देशों के निवेशक काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। आपके हिसाब से उन्हें भारत में ऐसा क्या मिल सकता है, जो दुनिया के दूसरे देशों से अलग हो? साथ ही, भारत को वैश्विक निवेश आकर्षित करने के लिए शिक्षा जगत में किस तरह के बदलावों की जरूरत है? इस बारे में कंधारी भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या, विशेषकर सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या को निवेशकों को लुभाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला देख रही हैं। उनका कहना है कि विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में एक आदर्श विकल्प नजर आ रहा है। इसके अलावा, भारत उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए एक विशिष्ट वातावरण प्रदान कर रहा है, जो दूर-दराज के निवेशकों को एक अनुकूल और बड़ा बाजार मुहैया कराने की क्षमता रखता है।

वैसे, सच यह है कि जनसांख्यिकीय लाभ के साथ-साथ भारत विभिन्न शैक्षिक आवश्यकताएं पूरी करना जानता है। वह जी-20 जैसे बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों के माध्यम से वैश्विक शिक्षा समुदाय में देश की विजिबिलिटी और क्रेडिबिलिटी (दृश्यता और विश्वसनीयता) बढ़ाकर, खुद को वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर सकता है। इसके साथ ही यह भी सच है कि शिक्षा के क्षेत्र को पाठ्यक्रम विकसित करते समय पहले से अधिक समावेशी बनने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव आ रहे हैं और यह उन्नत हो रहा है, वैसे-वैसे हमें भी इसके साथ अपने अंदर बेहतर बनने पर जोर देना होगा।

प्रणालियां भिन्न, लक्ष्य एक

डॉ. बंसल कहते हैं कि दुनिया के विभिन्न देशों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा वास्तव में अलग-अलग है। जिन सिद्धांतों पर शिक्षा प्रणालियां बनाई जाती हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए, वे हर देश के लिए अलग-अलग हैं। फिर भी उद्देश्य एक ही है, मानव मस्तिष्क को रचनात्मक बनाना। भारत में शिक्षा जैविक है, क्योंकि यह समय और मानव मस्तिष्क के साथ बढ़ती और विकसित होती रहती है। भारतीय शिक्षा प्रणाली उन स्तंभों पर विकसित की गई है, जो संपूर्ण सैद्धांतिक ज्ञान का समर्थन करते हैं। यह छात्रों को विभिन्न देशों में मौजूद कुछ सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार करता है इसलिए, अन्य विकसित देशों की शिक्षा प्रणालियां अधिक लचीली हैं। यह छात्रों को केवल मुख्यधारा के विकल्पों के अलावा विभिन्न करियर अवसरों को अपनाने की अनुमति दे रहा है।

भारतीय शिक्षा तुलनात्मक रूप से लागत प्रभावी भी है। भारत 2030 तक शिक्षा शक्ति बनने जा रहा है और निजी शिक्षा क्षेत्र इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत को अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए गुणवत्ता मानदंड बनाए रखते हुए विदेशी शिक्षा नीति में आसानी के साथ आगे आना चाहिए।

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