आज के समय में छोटे और मध्यम उद्योगों की महत्वता बढ़ गई है। इसके अंदर बहुत से उद्योग आते है जैसे की आटा चक्की, शोचालय साबुन निर्माण, अगरबत्ती बनाने का व्यवसाय आदि। इस तरह के व्यवसाय को आप ट्रेड फेयर में भी देख सकते है जो आज के समय में बहुत ही अच्छी भूमिका निभा रहे है।
अगर आप साबुन बनाने का व्यवसाय करते है तो आप अंतराष्ट्रीय व्यापार मेले के हॉल नंबर 7 के एमएसएमई पवेलियन में जाकर युनिक चीज़ो को देख सकते है और आपको अपने व्यवसाय में जो खामिया नज़र आ रही है उस स्टॉल में जा कर आप उन खामिया को दूर कर सकते है और अपने व्यवसाय में नई चीज़ो को जोड़ सकते है। आपको बता दे इस पवेलियन में साबुन का स्टॉल लगा है जो दूसरे साबुन से बिलकुल अलग है। इस स्टॉल में जो साबुन या फेस पैक मिल रहा है वह मंदिरों में चढ़े फूल और सब्जियों से बना हुआ हैं। ऐसा व्यवसाय बहुत ही अच्छा लाभ दे सकता है क्योकि आजकल लोग अपनी त्वचा पर बिना कैमिकल वाले प्रोडक्ट को यूज करना बेहद पसंद करते है। यदि आप अपने व्यवसाय की शुरूआत कर रहे है तो आप इस केमिकल - फ्री साबुन का व्यवसाय शुरू कर सकते है।
दूसरे व्यवसाय की बात करे तो सर्दियों का समय है और गुड़ से बने हुए पकवान सबको बहुत ही अच्छा लगते है तो आप इस तरह के व्यवसाय को शुरूआत में कम लागत के साथ शुरू कर सकते है। जो आपको भविष्य में अच्छा लाभ भी दे सकता है। यदि आपको अपने व्यवसाय को युनिक बनाना है तो आप ट्रेड फेयर के हॉल नंबर-2 के यूपी पविलियन के स्टॉल नंबर-11 पर जा सकते है जहां पर 80 रूपये से लेकर 51 हजार रूपये किलो का गुड़ मिल रहा है जो सुनने में महंगा तो लगा रहा है लेकिन इसकी खासियत यह है कि इस गुड़ पर सोने की परत चढ़ी हुई है और इस गुड़ को राम की नगरी अयोध्या से लाया गया है।
इस स्टॉल में आकर आपको कई किस्म के गुड़ देखने को मिलेगे जैसे की मूंगफली, चॉकलेट, आम, गुलाब, इलायची, अजवाइन, हल्दी, हींग, अश्वगंधा आदि। अगर हम इस गुड़ की कीमत की बात करे तो हर गुड़ की कीमत अलग है जैसे की सादा गुड़ 60 रुपये किलो है,फ्लेवर्ड गुड़ 300 रुपये किलो से शुरु है और आनंदम गुड़ की कीमत 8 हजार रुपये किलो है। लेकिन सबसे महंगा गुड़ सोने की परत वाला है जिसकी कीमत 51 हजार रुपये किलो है।
आप इस स्टॉल से देख सकते है कि एक सस्ता गुड़ किस तरह से मंगा हुआ है और कई वैरायटी के गुड़ आप अपने व्यवसाय में भी शामिल कर सकते है जो आपको एक नई पहचान दे सकता है और ग्राहकों को भी लुभा रहा है। यह गुड़ बेशक महंगा है लेकिन इस गुड़ को ग्राहक खरीदना पसंद कर रहे है क्योकि यह दिल्ली वासियों के लिए बहुत ही युनिक है।
अब हम बात करते है कोकोनट के वेस्ट से बने गणेशजी की मुर्ती के बारे में जो इस कोयर हैडीक्राफट गुजरात स्टॉल में लगा हुआ है। नंदन वन ग्राहम उद्योग अम्मा जी से जुड़े हितेंद्र हनामी ने बताया कि हमने 1998 में कोकोनट वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को शुरू किया था और उसमें हमने यह प्लेन किया था की बड़े मंदिरों में नारियल का चढ़ावा चढने वाले वेस्ट को कैसे उपयोग किया जाए। गुजरात में विश्व का सबसे बढ़ा मंदिर अम्बा जी का मंदिर है। वहां के लोगा जो नारियल चढाते है उस नारियल के छिलके से हम गणेशजी को बनाते है।
दीपावली और क्रिसमस त्योहार के लिए हम कॉर्पोरेट ऑफिस के लिए नारियल के वेस्ट से बने बुक्स, फाइल, बैग आदि जैसे सामान को भी बनाते है और इस प्रोजेक्ट के 20 से भी ज्यादा सेक्शन है। 20 साल के बाद हम लोग अब 2000 से भी ज्यादा प्रोडक्ट को बनाते है।
गणेशजी की मूर्ती 5 इंच से लेकर 25 फिट तक की होती है जिसकी किमत 50 रूपये से लेकर 50 लाख तक है। गणेश चतुर्थी पर इसकी ज्यादा मांग होती है जो की अगस्त के महिने में आता है। इस महोत्सव के आने के 6 महिने पहले इस मूर्तियों को बनाने की तैयारी करते है। गणेश जी के 100 से भी ज्यादा डिजाइन की मूर्तियों को बनाते है।
उन्होंने आगे बताया कि जहां पर 5 हज़ार से ज्यादा का फूट फॉल है जैसे की साई बाबा मंदिर और भी बढ़े मंदिर वहां पर अपने प्रोजक्ट को शुरू किया है और सराकार भी हमे शामिल कर रही है ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और आत्मनिर्भर भारत मोदी जी की जो योजना है उनके सहयोग से इस प्रोजक्ट को आगे बढ़ा रहे है।
तीसरा स्टॉल जम्मू- कश्मीर का लगा हुआ है आप इस पवेलियन के स्टॉल नंबर 129 में जाकर कश्मीरी सूट की वैराइटी को देख सकते है और खरीद भी सकते है। कई तरह के सूट आपको कई फैब्रीक में देखने को मिलेगे जैसे की वुल ,पशमीनन, जोरजट, कोटन आदि। आगर आप कोई महिला है और सुटो का काम करना चाहती है तो इस तरह के सुट को आप आपने व्यवसाय में शामिल कर सकती है।
इस ट्रेड फेयर में छोटे और बड़े व्यवसाय की भागीदारी 3,000 के पार है और व्यवसाय को संभालने वाली महिलाओं के लिए खास बात यह है कि एमएसएमई एंटरप्रेन्योर को मुफ्त में स्टॉल दिये गए है और रही बात स्टार्टअप की तो आईटीपीओ ने उन्हे 40 फीसदी की छूट दी है।
इस बार भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में भारत भर से 316 एमएसएमई ने भाग लिया है। आयुष, सिरेमिक, केमिकल, कॉस्मेटिक, इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रॉनिक्स, कढ़ाई, फूड, फुटवियर, हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम, होम डेकोर, शहद, जूट, लेदर, धातु विज्ञान, रत्न और आभूषण, वस्त्र, खिलौने सहित लगभग 20 क्षेत्रों के एमएसएमई की मेजबानी कर रहा है।
इस पवेलियन में आपको आत्मनिर्भर भारत का स्टॉल देखने को मिलेगा जिसमें लोगों की सेफ्टी को देखते हुए कई तरह की टेक्नोलॉजी को बनाया गया है और साथ ही एमएसएमई टूल रूम और टेक्निकल इंस्टीट्यूट के बारे में जानने का मौका भी आपको मिलेगा। कई राज्यों में इनके इंस्टीट्यूट बने हुए है जैसे की सीआईएसटी (CIST) इंस्टीट्यूट है जो की जालंधर और लुधियाना में है, आईजीटी (IGT) अहमदाबाद, सीटीटीसी (CTTC) भुवनेश्वर आदि। यह सब ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है जो टेक्निकल ट्रेनिंग प्रोवाइड कराते है।
सीटीटीसी (CTTC) भुवनेश्वर ने एक पॉवर मशीन बनाई है जैसे कोविड के समय लोगों को समस्या आ रही थी उन समस्याओ को देखते हुए इस मशीन को बनाया गया है। इस पर अभी रिसर्च एंड डेवलपमेंट चल रही है। इसरो के लिए इस इंस्टीट्यूट ने कुछ पार्टस भी बनाए है जो चंद्रयान अभी गया था उसके पार्टस को भी फेयर में डिसप्ले किया गया है।
मुबंई का आईडीईएमआई (IDEMI) सेंटर है जिन्होंने हैंड सैनिटाइजर मशीन बनाई है। यह ऑटोमेटिक हैंड सैनीटाइजर मशीन है, इसमें सेंसर का यूज किया गया है।
कैटल एंटी थेफ्ट डिवाइस है यह गांव के लोगों और किसानों के लिए बहुत ही अच्छी है जैसे की किसान लोग अपने पालतू जानवरों को बाहर बाधते है। आगर कोई आपकी गाय को चोरी करके ले जाता है तो एक दम से आलार्म बज जाता है और इस डिवाइस के माध्यम से चोर आसानी से पकड़ा जा सकता है। इसकी कोस्ट 3000 रूपये है।
उत्तराखंड के राम नगर में स्थित एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर ने अल्ट्रावायलेट सैनिटाइजेशन बॉक्स बनाया है जो पेपर, डॉक्यूमेंट, वॉलेट, ऑफिस फाइल आदि जैसी चीजों पर लगे हुए जर्म को डिसइनफेक्ट करता है। इस बॉक्स में एक रोड लगी है जिसे यूवी कहते है जो वॉयरस को मार गिराती है।
आईजीटी (IGT) अहमदाबाद ने एक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया है। यह मशीन छत में पानी भरने से जो ब्लॉकेज होता है उसे हटाने का काम करती है।
अब बात करते है फ्लोर की सुरक्षा की जैसे की आप अपने हैंड को सैनिटाइज करते है उसी तरह यूवी फलोर डिसइनफेक्टर आपके फ्लोर में लगे जर्म को दूर करता है। यह मशीन एक कार की तरह है जो आपके घर में घूम-घूम कर कीटाणुओं का सफाया करती है।
अब आपको लेकर चलते है वर्चुल दुनिया में जहां पर आप देख सकते है कि एआरवीआर (ARVR) के माध्यम से आप बच्चों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दे सकते है जैसी की आपको किसी स्टूडेंट को एसी रिपेयर सिखाना है तो ARVR आपको वर्चुअल में ले जाएगा। आपके कम्प्यूटर में एसी रीपेयर लैब खुल जाएगा और आप एसी के कम्पोनेन्ट को देख सकते है और सर्विस भी कर सकते है जो छात्रों को एक तरह से स्किलड बनाता है।
दूसरा एर (AR) के माध्यम से आप पीसीबी सर्केट को सिख सकते है। इसमें एक पेपर इनपुट होता है। आपके फोन में पूरा का पूरा प्रोसेस आ जाएगा जैसे की आप अपने मोबाइल में पेपर इनपुट को स्कैन करेगे तो पूरा का पूरा सर्केट आपके मोबाइल में आ जाएगा। आगर आपको कोई पिन नही पाता है तो आसानी से आपको बता देगा। उपर जो हमने बात कही है यूवी फलोर डिसइनफेक्टर की उसमें पीसीबी सर्केट का उपयोग किया गया है।
इस तरह से हमारी सरकार विकास की ओर बढ़ रही है और छात्रों को भी टेकनॉलोजी में शिक्षित करके आत्मनिर्भर भारत को एमएसएमई क्षेत्र में अपना पूरा सहयोग दे रही है।
आपको बता दे एमएसएमई मंत्रालय पहले से ही विभिन्न देशों में विभिन्न क्षेत्रों की प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों में भाग लेने वाले एमएसएमई को हवाई किराया, स्पेस रेंट, फ्राइट शुल्क, विज्ञापन और प्रचार शुल्क और प्रतिपूर्ति के आधार पर प्रवेश या पंजीकरण शुल्क के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना चलाता है।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नारायण राणे ने कहा कि सरकार की औद्योगिक नीति और एमएसएमई मंत्रालय द्वारा लागू की गई विभिन्न योजनाएं एमएसएमई क्षेत्र को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण को प्राप्त करने की पूरी क्षमता का एहसास करने में मदद कर रही हैं।