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- दिल्ली सरकार ने 2024-25 के बजट में शिक्षा के लिए Rs.16,396 करोड़ किए आवंटित
दिल्ली सरकार ने सोमवार को घोषित वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने बजट में शिक्षा के लिए 16,396 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। दिल्ली की शिक्षा व वित्त मंत्री आतिशी मार्लेना ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बड़े बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा, "पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बड़े बदलाव किए गए हैं। हमने राष्ट्रीय राजधानी में शिक्षा के लिए बजट दोगुना कर दिया है। आज हम दिल्ली में शिक्षा के लिए 16,396 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव कर रहे हैं।
शिक्षकों के प्रशिक्षण पर काम कर रही दिल्ली सरकार
उन्होंने कहा, "केजरीवाल सरकार से पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति अच्छी नहीं थी। लोगों को पढ़ने के लिए निजी स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किया गया था। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में शिक्षा परिदृश्य में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।" दिल्ली की शिक्षा व वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार शिक्षकों के प्रशिक्षण पर काम कर रही है और अब तक 47,914 शिक्षकों को नियमित कर चुकी है, जबकि 7,000 रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है। केजरीवाल सरकार के तहत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों के परिणामों में सुधार हुआ है और वे अब निजी स्कूलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
आतिशी ने यह भी कहा कि राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में सीटों में 20,000 की वृद्धि की गई है और वर्तमान में इन संस्थानों में कुल 93,000 छात्र नामांकित हैं। आतिशी ने सोमवार को राज्य विधानसभा में 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश किया और कहा कि सरकार 'राम राज्य' के सपने को साकार करने की कोशिश कर रही है। दिल्ली सरकार एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक बजट देकर अन्य राज्यों के मुकाबले अव्वल साबित हो रही है। स्कूल और उच्च शिक्षा से लेकर तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए दिल्ली सरकार ने यह बजट पेश किया है।
दिल्ली का 21 प्रतिशत बजट 'शिक्षा' पर खर्च
आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022-23 में दिल्ली का 21 प्रतिशत बजट शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया गया। जबकि भारतीय रिजर्व बैंक की राज्य बजट विश्लेषण रिपोर्ट से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ (18.2 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (17.6 प्रतिशत) जैसे अन्य राज्य शिक्षा पर तुलनात्मक रूप से कम खर्च कर रहे हैं। जबकि शिक्षा पर खर्च करने के मामले में राष्ट्रीय औसत 13.3 प्रतिशत ही रहा है। दिल्ली सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में साल दर साल खर्च करने में बढ़ोतरी की है। दिल्ली में साक्षरता की दर 86.2 प्रतिशत है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर 73 प्रतिशत की दर से काफी अधिक है।
यूडीआईएसई रिपोर्ट 2021-22 की मानें तो दिल्ली में शिक्षा के सभी स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात (जीडीआर) और शुद्ध नामांकन अनुपात (एनईआर) अखिल भारतीय स्तर की तुलना में कहीं ज्यादा है। इस तरह से दिल्ली में बच्चे न केवल स्कूल में प्रवेश लेते हैं, बल्कि शिक्षा पूरी भी करते हैं। वर्ष 2022-23 में दिल्ली के सभी स्कूलों के मुकाबले सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकन का प्रतिशत 41.61 रहा है। दिल्ली में 5488 मान्यता प्राप्त विद्यालय है, जिनमें 46.29 लाख बच्चों का नामांकन किया गया है। दिल्ली में चल रहे कुल 22.59 फीसदी स्कूलों में से दिल्ली सरकार के कुल 1240 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय हैं।
बच्चों के लिए प्रोजेक्ट वॉयस
उच्च शिक्षा निदेशालय के प्रतिभा सह माध्यम से जुड़े वित्तीय सहायता स्कीम के तहत आकलन वर्ष 2021-22 के 10,650 विद्यार्थी लाभान्वित हुए। हालांकि, यह योजना अभी दिल्ली उच्च और तकनीकी शिक्षा सहयोग स्कीम (दिल्ली उच्च शिक्षा सहायता ट्रस्ट के तहत) के रूप में संशोधित किए जाने के लिए प्रस्तावित है। यह प्रस्ताव अभी कैबिनेट की मंजूरी के लिए सौंपा गया है। प्रशिक्षण और तकनीकी विश्वविद्यालयों में छह वर्षों में सीटों की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। सीटों की संख्या 2018-19 में 7,432 से बढ़कर 19,293 हो गई है।
सरकार की ओर से सभी स्कूलों में तीसरी से 12वीं तक की कक्षाओं के बच्चों के लिए प्रोजेक्ट वॉयस शुरू किया जा रहा है, ताकि वे बोलकर अपने विचार अभिव्यक्त कर सकें। जीबी पंत इंटीग्रेटेड कांप्लेक्स का निर्माण 526 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा है। इससे डिप्लोमा और डिग्री कार्यक्रमों में 300 विद्यार्थियों को समायोजित करने के लिए 1,93,641 वर्गमीटर क्षेत्र जुड़ेगा। इसके लिए वित्तीय बोली खोली जा चुकी है और कार्य आवंटित कर दिया गया है।