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- दूध उत्पादक कंपनियों की खरीद पांच साल में होगी तीन गुना: एनडीडीबी
किसानों के स्वामित्व वाली दूध उत्पादक कंपनियों की दूध की खरीद तीन गुना से ज्यादा होने का अनुमान है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने कहा है कि दूध उत्पादक कंपनियों (एमपीसी) द्वारा दूध की खरीद का मूल्य अगले पांच वर्षों में 18,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंचने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 5,575 करोड़ रुपये है।
एनडीडीबी के प्रेसिडेंट मीनेश शाह ने कहा वर्तमान में, एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज द्वारा 20 किसान-स्वामित्व वाली दूध उत्पादक कंपनियां (एमपीसी) हैं, जो प्रतिदिन 40 लाख लीटर दूध खरीदती हैं। अगले पांच वर्षों में, एमपीसी द्वारा दैनिक दूध की खरीद बढ़कर 10 मिलियन लीटर हो जाएगी। लगभग 0.75 मिलियन (लगभग 7.50 लाख) किसानों ने 20 एमपीसी बनाए हैं, जिनमें 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं। किसानों की जो खुद की कंपनियां है, उनमें 5 लाख से ज्यादा महिलाएं सदस्यों के साथ बिक्री आय का 85 प्रतिशत तक बढ़ाने में योगदान दे रही हैं। यह महिलाओं के सशक्तिकरण को दर्शाता है, जो सही मायनों में उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाते हैं। 12 दूध उत्पादक कंपनियों ( एमपीसी) का स्वामित्व महिला सदस्यों के पास है।
शाह ने कहा कि एमपीसी से जुड़े किसानों ने पिछले दस वर्षों में 175 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए हैं और सामूहिक रूप से 400 करोड़ रुपये से ज्याद का भंडार और अधिशेष है। शाह ने कहा कि एमपीसी एनडीडीबी द्वारा बनाई गई श्वेत क्रांति की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसने इन किसान संगठनों, एनडीएस की सुविधा, तकनीकी और संगठनात्मक सहायता के निर्माण की अवधारणा की है।
शाह ने 12-15 सितंबर के दौरान ग्रेटर नोएडा में आयोजित आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 में कहा स्टार्टअप अवधारणा हाल ही में आई है, असली स्टार्टअप एमपीसी है, जो लंबे समय से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एनडीडीबी हर महत्वाकांक्षी जिले में एमपीसी स्थापित करने में मदद करेगी। एनडीडीबी के अनुसार, श्रीजा मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी तिरुपति में स्थित है और इसे दुनिया की सबसे बड़ी महिला एमपीसी होने का गौरव प्राप्त है, क्योकि इसमे महिलाएं काम करती हैं।
दूध के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका को पछाड़कर 1998 के बाद से भारत दुनिया के दूध उत्पादक देशों में पहले स्थान पर है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, भारत का दूध उत्पादन लगभग 6.2 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 2020-21 में 209.9 मिलियन टन(लगभग 20.99 करोड़) हो गया, जो 2014-15 में 146.3 मिलियन टन(14.63 करोड़) था।
देश में उत्पादित दूध का लगभग 50 प्रतिशत स्थानीय खपत के लिए रखा जाता है, बाकी बचा हुआ 50 प्रतिशत– या विपणन योग्य अधिशेष – सहकारी समितियाँ देश के 23 प्रतिशत गांवों में लगभग 20 प्रतिशत ग्रामीण दूध उत्पादक परिवारों से लगभग 17 प्रतिशत खरीद करती हैं।