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- निवेशकों को लुभाती यूपी की नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022
लखनऊ: फरवरी 2023 में होने वाले 'यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 को लागू करने की मंजूरी दे दी। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसे जारी करने से पहले सभी स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर ली गई है।
औद्योगिक विकास मंत्री 'नंदी' ने बताया कि इस नीति का मकसद प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने वाले प्रगतिशील और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना है। प्रदेश में निवेश संबंधी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने के बाद उनकी ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा सकेगी। ट्रैकिंग के लिए अलग से एक पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिस पर निवेशक पंजीकरण कराने के बाद अपनी समस्याएं लिख कर बता पाएंगे।
निवेश की चार प्रमुख श्रेणियां
नई नीति के तहत निवेश को चार प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है। इन श्रेणियों में निवेशक को निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी के तीन अलग-अलग विकल्प दिए जाएंगे, जिनमें पूंजीगत सब्सिडी, शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन ‘टॉपअप’ सब्सिडी शामिल है। निवेशकों को इन विकल्पों में से एक को चुनने का अवसर प्रदान किया गया है, जो इस प्रकार हैं...
1. वृहद (50 करोड़ रुपये से ज्यादा लेकिन 200 करोड़ रुपये से कम)
2. मेगा (200 करोड़ या उससे ज्यादा लेकिन 500 करोड़ से कम)
3. सुपर मेगा (500 करोड़ या उससे ज्यादा मगर 3,000 करोड़ से कम)
4. अल्ट्रा मेगा (3,000 करोड़ या उससे अधिक)
निजी औद्योगिक पार्कों के लिए ऑफर
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री ने बताया कि निजी औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए इस नीति में कई लुभावने ऑफर दिए गए हैं, जिनका मकसद राज्य में उपलब्ध भूमि बैंकों में वृद्धि करना है। निवेश क्षेत्र के आधार पर (1) बुंदेलखंड में 45 करोड़ रुपये की सीमा के तहत, (2) पूर्वांचल में 20 एकड़ या उससे अधिक के निजी औद्योगिक पार्क को, और (3) मध्यांचल और पश्चिमांचल में 30 एकड़ या उससे ज्यादा के औद्योगिक पार्कों के विकासकर्ताओं को 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा (4) 100 एकड़ से अधिक के पार्कों के लिए अधिकतम सब्सिडी की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं, (5) निजी औद्योगिक पार्कों में डॉरमेट्री स्थापित करने के लिए 25 करोड़ रुपये तक की सीमा के तहत 25 प्रतिशत तक की पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसका मकसद वहां कार्यरत लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
निवेशकों के लिए पोर्टल
अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास एवं निवेश अरविंद कुमार ने बताया कि फरवरी 2023 में प्रस्तावित वैश्विक निवेशक सम्मेलन में निवेशकों के लिए एक पोर्टल का उद्घाटन किया जाएगा, जिसके जरिए प्रदेश में दी जा रही विभिन्न रियायतों का वे लाभ ले सकेंगे। उद्यम लगाने के लिए आशय पत्र जारी होने के बाद उद्यमी इस पोर्टल पर सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकेंगे।
निवेशकों को सीधे भूमि आवंटन
इसके तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरण या विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में निवेशकों को सीधे भूमि आवंटन किया जा सकेगा। निवेशक को जमीन उपलब्ध कराने के काम में तेजी लाने के लिए फास्टट्रैक सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके तहत 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने वालों को औद्योगिक क्षेत्र अथवा प्राधिकरणों की उपलब्ध जमीन का तुरंत आवंटन कर दिया जाएगा। अगर जमीन उपलब्ध नहीं है तो निवेशक के खर्च पर सरकार उसे अधिग्रहीत करने का काम करेगी।
जमीन आवंटन में मदद करेगी सरकार
नीति के तहत प्रदेश में निजी उद्योगों या औद्योगिक परियोजनाओं की स्थापना के लिए गैर कृषि योग्य बंजर जमीन व इसी तरह की ग्राम समाज की जमीन उपलब्ध कराने के भी विभिन्न उपाय किए गए हैं। किसान अगर अपनी खेती योग्य जमीन स्वेच्छा से उद्योगों के लिए देना चाहें तो वो सरकार से इस आशय का अनुरोध कर सकते हैं। किसानों की जमीन के स्वामित्व की जांच के बाद व विवादरहित होने की दशा में सरकार उसे उद्यमियों को उपलब्ध करा देगी।
भूमि बैंक बनाने के लिए प्रोत्साहन
केंद्र व राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की औद्योगिक परियोजनाओं के लिए तेजी से जमीन आवंटन का प्रस्ताव भी इसमें शामिल है। नई नीति की एक और विशेषता प्रदेश में भूमि बैंक का सृजन करना है। नीति में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए गैर कृषि, बंजर और अनुपयोगी जमीन की पूलिंग को बढ़ावा देकर भूमि बैंक बनाने को प्रोत्साहन देने की कोशिश की गई है। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि नई औद्योगिक नीति में सुपर मेगा और उससे अधिक की निवेश परियोजनाएं आती हैं।