- Home
- Article
- व्यवसाय विचार
- नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: ईवी उद्योग के लिए इनोवेशन के नए अवसर
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ, हरित और स्थायी ऊर्जा समाधान को बढ़ावा देना है। इस मिशन के तहत, हाइड्रोजन टेक्नॉलोजी में अनुसंधान और विकास को गति देने, हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ाने और इसके व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र (Centers of Excellence) स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र न केवल हाइड्रोजन ईंधन सेल टेक्नॉलोजी में इनोवेशन को बढ़ावा देंगे, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग को भी नई दिशा देंगे। इस लेख में, इस मिशन के उद्देश्यों, उत्कृष्टता केंद्रों से होने वाले लाभ और ईवी कंपनियों द्वारा अपेक्षित इनोवेशन पर चर्चा करेंगे।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत को स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा की दिशा में अग्रसर करना है। इस मिशन के तहत, ग्रीन हाइड्रोजन को ऊर्जा उत्पादन और परिवहन क्षेत्रों में एक प्रमुख स्रोत के रूप में स्थापित किया जाएगा। हाइड्रोजन का उपयोग विभिन्न उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। विशेष रूप से, यह मिशन बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) और हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEVs) की तकनीक में सुधार की दिशा में काम करेगा।
एलएमएल इमोशन के एमडी और सीईओ डॉ.योगेश भाटिया ने कहा नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत के ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों के लिए एक स्थायी और आत्मनिर्भर भविष्य की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। इस मिशन के तहत उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना से रिसर्च, नीतिगत ढांचे और उद्योग सहयोग में अग्रणी पहल होने की उम्मीद है, जो ईवी तकनीक में प्रगति को गति देंगे।
इलेक्ट्रिक वाहन व्यवसाय के लिए, यह मिशन ग्रीन हाइड्रोजन को एक व्यवहार्य ऊर्जा स्रोत के रूप में एकीकृत करने के अवसर प्रदान करता है, जिससे हाइब्रिड फ्यूल मॉडल और लंबी दूरी तक चलने वाले वाहनों जैसी इनोवेशन की संभावना बनेगी। ईवी कंपनियां फ्यूल-सेल तकनीकों, किफायती एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशन और कुशल हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में प्रगति की प्रतीक्षा कर रही हैं।यह न केवल आयातित लिथियम और अन्य मैटिरियल पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा, बल्कि भारत को स्थायी परिवहन समाधानों में एक वैश्विक प्रमुख के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बेटेक्स के सह-संस्थापक और सीटीओ विक्रांत सिंह ने कहा भारत में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के माध्यम से देश को नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाना है। यह मिशन हाइड्रोजन उत्पादन, लागत में कमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता रखता है। इसके साथ ही, यह मिशन स्थिरता और इनोवेशन को प्रोत्साहित करते हुए विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग में सुधार करेगा। मिशन के तहत भारत में सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा, जिससे न केवल ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि देश के हरित लक्ष्यों को भी मजबूती मिलेगी।
यह मिशन हाइड्रोजन ईंधन-सेल वाहनों और बैटरी चालित वाहनों को एकीकृत करने के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर केंद्रित है। इसमें हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशनों और स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना से लेकर सुरक्षित और विश्वसनीय तकनीक विकसित करने के लिए R&D में निवेश शामिल है। इसके अलावा, हाइब्रिड वाहनों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जो बैटरी और हाइड्रोजन ईंधन सेल दोनों पर आधारित होंगे। नीतिगत सपोर्ट और टेक्नोलॉजी में इनोवेशन के माध्यम से, मिशन लागत प्रभावी समाधानों को अपनाने और व्यावसायिक वाहनों में लंबे समय तक चलने वाली तकनीक के विकास में मदद करेगा। यह पहल न केवल भारत को स्थायी परिवहन समाधानों में वैश्विक प्रमुख बनाएगी, बल्कि उद्योग और अर्थव्यवस्था में इनोवेशन और सहयोग के नए अवसर भी खोलेगी।
उत्कृष्टता केंद्रों(COE) का महत्व
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस(COE), जो राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत स्थापित किए जाएंगे, ईवी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेंगे। ये केंद्र इनोवेशन और अनुसंधान के हॉटस्पॉट के रूप में काम करेंगे, जहां हाइड्रोजन ईंधन सेल और बैटरी टेक्नोलॉजी में सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास किया जाएगा।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत स्थापित उत्कृष्टता केंद्र हाइड्रोजन और बैटरी तकनीक के संयोजन से हाइब्रिड वाहनों के लिए नई टेक्नॉलोजी का विकास करेंगे, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज और परफॉरमेंस में सुधार होगा। इसके अलावा, हाइड्रोजन-आधारित चार्जिंग स्टेशन विकसित करने से ईवी फ्लिट्स के लिए चार्जिंग समय कम होगा और अधिक स्थायी समाधान मिलेंगे। ग्रीन हाइड्रोजन बैटरी निर्माण प्रक्रिया को डिकार्बोनाइज कर बैटरी के जीवनकाल और दक्षता को भी बढ़ाएगा।
ईवी कंपनियों के लिए इन केंद्रों से महत्वपूर्ण इनोवेशन की उम्मीद है, जैसे हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक में सुधार, जो लंबी रेंज और त्वरित रिफ्यूलिंग की सुविधा प्रदान करेगा। साथ ही, हाइड्रोजन के उपयोग से बैटरी की उम्र बढ़ सकती है और लागत कम हो सकती है। बैटरी और हाइड्रोजन फ्यूल सेल का संयोजन हाइब्रिड ऊर्जा समाधान को बढ़ावा देगा, जिससे ईवी की रेंज और चार्जिंग क्षमता में सुधार होगा।
बीलाइव के सीईओ और सह-संस्थापक समर्थ खोलकर ने कहा नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत के कार्बन तटस्थता लक्ष्यों को प्राप्त करने और विभिन्न उद्योगों में स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एक स्थायी परिवहन के प्रति प्रतिबद्ध कंपनी के रूप में, हम बीलाइव (BLive) में इस मिशन के प्रस्तावित उत्कृष्टता केंद्रों में अपार संभावनाएं देखते हैं। ये केंद्र ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकों पर अग्रणी रिसर्च के हब के रूप में काम करेंगे और ऐसे इनोवेशन को प्रोत्साहित करेंगे, जो ईवी इकोसिस्टम को सीधे लाभ पहुंचाएंगे। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन फ्यूल सेल के एकीकरण में प्रगति इलेक्ट्रिक वाहनों की परिचालन सीमा को बढ़ा सकती है, विशेष रूप से लास्ट-माइल डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में, जहां लंबी दूरी और विश्वसनीय विकल्पों की मांग होती है।
इसके अलावा, उत्कृष्टता केंद्र हाइड्रोजन आधारित चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, जिससे ग्रिड पावर पर निर्भरता कम होगी और ईवी बेड़े के लिए हरित और अधिक लचीला चार्जिंग विकल्प उपलब्ध होगा। हम इन केंद्रों के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं, ताकि हाइड्रोजन और बैटरी-इलेक्ट्रिक तकनीक को मिलाकर हाइब्रिड समाधान विकसित किए जा सकें। यह हमारे बेड़े की दक्षता को बढ़ाएगा और कुल उत्सर्जन को कम करेगा। ऐसे इनोवेशन ईवी बेड़े ऑपरेटरों के लिए एक लागत-प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल समाधान प्रदान करेंगे, जिससे वे अपने संचालन को बड़े पैमाने पर विस्तार दे सकेंगे। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक नया अध्याय है, और हम इस परिवर्तनकारी मिशन का हिस्सा बनकर उत्साहित हैं।
कोमाकी इलेक्ट्रिक डिवीजन के डायरेक्टर गुंजन मल्होत्रा ने कहा नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना सरकार द्वारा स्थायी भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जब दुनिया इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ग्रीन मोबिलिटी की ओर तेजी से बढ़ रही है, यह मिशन ईवी उद्योग को अपेक्षित प्रोत्साहन देने की अपार संभावनाओं के साथ आता है। उत्कृष्टता केंद्र सहकारी अनुसंधान को बढ़ावा देने की संभावना रखते हैं, विशेष रूप से ईवी में बैटरी तकनीक की मजबूती के लिए। इनोवेशन के हॉटस्पॉट के रूप में काम करते हुए, ये केंद्र बैटरी तकनीक के उन्नयन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। बैटरियों की दक्षता बढ़ाने के साथ, ये केंद्र ईवी अवसंरचना की स्थायी वृद्धि को प्रोत्साहित करेंगे, क्योंकि लिथियम-आयन बैटरियां ईवी को शक्ति प्रदान करने का मुख्य आधार हैं।
इनोवेशन और अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हुए, उत्कृष्टता केंद्रों(COE)से हाइड्रोजन-आधारित टेक्नोलॉजी के विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। लिथियम-आयन तकनीक व्यवसायों के लिए संसाधन और दृष्टिकोण प्रदान करते हुए, ये केंद्र हाइड्रोजन अनुसंधान और बैटरी तकनीक के बीच संभावित सहयोग को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। इससे बैटरियों की लंबी उम्र, दक्षता और सामर्थ्य में वृद्धि हो सकती है। मिशन के हिस्से के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक के एकीकरण से ईवी उद्योग को लाभ मिलेगा, क्योंकि यह ईवी क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे पर्यावरणीय प्रभाव, चार्जिंग अवसंरचना और रेंज एंग्जायटी से निपटने की दिशा में कार्य करेगा। ये केंद्र लिथियम-आयन बैटरियों के परफॉरमेंस को सुधारने के लिए हाइब्रिड ऊर्जा समाधान विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे, जिससे लंबी ड्राइविंग रेंज और तेज़ चार्जिंग समय सुनिश्चित होगा।
अरंका के एंगेजमेंट लीड, ग्रोथ एडवाइजरी वरुण बोरकर ने कहा नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकों के विकास और अपनाने में तेजी लाना है, जिससे भारत को स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक प्रमुख के रूप में स्थापित किया जा सके। इस मिशन के तहत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoEs) की स्थापना हाइड्रोजन फ्यूल सेल और संबंधित तकनीकों में प्रगति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ये केंद्र उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेंगे, जिससे उच्च परफॉरमेंस और लागत प्रभावी हाइड्रोजन समाधानों का विकास संभव होगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फ्यूल सेल की दक्षता में सुधार कर सकते हैं, उत्पादन लागत को कम कर सकते हैं और तेज़ रिफ्यूलिंग व लंबी दूरी की क्षमताएं सुनिश्चित कर सकते हैं, जो भारी-भरकम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रमुख चुनौतियों का समाधान होगा।
इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियों के लिए, इन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से आने वाले इनोवेशन ईंधन सेल तकनीक, हाइब्रिड सिस्टम और एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशन में महत्वपूर्ण प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। ये प्रगति हाइड्रोजन चालित वाहनों को बैटरी-इलेक्ट्रिक समाधानों के लिए एक प्रतिस्पर्धी विकल्प बना सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां उच्च ऊर्जा की मांग और तेज़ रिफ्यूलिंग आवश्यकताएं होती हैं, जैसे भारी-भरकम वाहन, लंबी दूरी का माल परिवहन और सार्वजनिक परिवहन। यह न केवल ईवी बाजार का विस्तार करेगा, बल्कि कार्बन-तटस्थ परिवहन इकोसिस्टम की ओर बदलाव को भी तेज करेगा।
ग्रीन हाइड्रोजन का भविष्य
ग्रीन हाइड्रोजन न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में काम करेगा, बल्कि यह भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता को भी बढ़ावा देगा। ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से किया जा सकता है, जिससे यह एक स्थायी और हरित समाधान बनता है। 2030 तक, भारत का लक्ष्य प्रति वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जो न केवल घरेलू ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है।
ब्राय-एयर के चेयरमैन, पाहवा ग्रुप और मैनेजिंग डायरेक्टर दीपक पाहवा ने कहा कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत स्थापित किए जाने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) देश के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इकोसिस्टम को मजबूत करने की अपार संभावनाएं रखते हैं। ये केंद्र हाइड्रोजन अनुसंधान और बैटरी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देंगे, जिससे ईवी उद्योग की संभावनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। ग्रीन हाइड्रोजन बैटरी निर्माण को डिकार्बोनाइज करने का स्थायी समाधान प्रदान करता है, जिससे कार्बन प्रभाव कम होगा।
ग्रीन हाइड्रोजन हाइब्रिड समाधान के रूप में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) और हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEVs) के सह-अस्तित्व का समर्थन करेगा, जिससे हरित भविष्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को सशक्त किया जाएगा। मिशन का लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन मैट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन वार्षिक उत्पादन क्षमता का निर्माण करना है, जो देश को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने और कार्बन तटस्थता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाएगा।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और इसके तहत स्थापित उत्कृष्टता केंद्रों से ईवी उद्योग को लाभ मिलने की संभावना है। हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी के साथ बैटरी टेकनॉलोजी के विकास से ईवी के परफॉरमेंस में सुधार होगा, और यह प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। ईवी कंपनियां इन इनोवेशन से लंबे समय तक लाभान्वित होंगी, और यह भारत को हरित और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में अग्रसर करेगा।