नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के महत्व को रेखांकित करना और इसके नवीनतम तकनीकी विकास को उजागर करना है। आज जब दुनिया तेजी से स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रही है और ईवी को न केवल एक नया परिवहन विकल्प माना जा रहा है, बल्कि यह एक संपूर्ण क्रांति का प्रतीक है। आइए जानते हैं कि ईवी उत्पादन में हो रहे बदलाव कैसे हमारे भविष्य के परिवहन को फिर से परिभाषित कर रहे हैं।
आधुनिक ईवी मैन्युफैक्चरिंग फ्लांट में स्वचालन और रोबोटिक्स का उपयोग उत्पादन प्रक्रिया को तेज और सटीक बनाने के लिए किया जा रहा है। पारंपरिक वाहनों की तुलना में ईवी की संरचना और ड्राइवट्रेन अलग होते हैं, जिनके लिए विशेष तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है। रोबोटिक्स का उपयोग वाहन असेंबली के विभिन्न चरणों में किया जाता है, जैसे बैटरी मॉड्यूल इंस्टॉलेशन, वेल्डिंग, और जटिल पेंटिंग प्रक्रियाओं में। इसके साथ ही, ईवी के उत्पादन में सस्टेनेबल मैटीरियल का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जो पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता है। कई निर्माता अब कार के आंतरिक हिस्सों के लिए पुनर्नवीनीकरण (रिसाइक्लड) प्लास्टिक और बायो-बेस्ड मैटीरियल का उपयोग कर रहे हैं। इससे न केवल निर्माण प्रक्रिया का कार्बन फुटप्रिंट घटता है, बल्कि वाहन के हल्के होने से उसकी ऊर्जा दक्षता भी बढ़ती है।
ईबाइकगो के को-फाउंडर और सीओओ हरि किरण ने कहा हम सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन नहीं बना रहे हैं, बल्कि ये सोच रहे हैं कि इन्हें और बेहतर तरीके से कैसे बनाया जाए। हमने स्मार्ट तकनीक और आर्टीफिशियल इन्टेलीजेंसी (AI) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन प्रक्रिया को बदल दिया है। हमारा मुख्य ध्यान हर चरण में ऊर्जा की बचत करना और बेकार मैटीरियल या कचरे को कम करना है, ताकि ईवी को ज्यादा पर्यावरण के अनुकूल तरीके से बनाया जा सके।
यह केवल दक्षता की बात नहीं है—ये इनोवेशन हमें ऐसे वाहन बनाने में सक्षम बनाते हैं, जो परफॉर्मेंस और विश्वसनीयता के मामले में बेहतरीन होने के साथ-साथ हमारे पर्यावरणीय लक्ष्यों के भी अनुरूप हैं। हमारे उत्पादन प्रक्रियाओं में किया गया हर छोटा बदलाव हमें एक ग्रीन प्लेनेट के लक्ष्य के और करीब ले जाता है। नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे पर, हमे यह समझना जरूरी है कि पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने में तकनीक कितनी अहम भूमिका निभाती है।
नई-नई निर्माण तकनीकों की मदद से हम प्रदूषण को कम कर रहे हैं और ऐसी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें चीजों का दोबारा उपयोग और पुनर्नवीनीकरण (रिसाइक्लिग) किया जा सके। ये प्रगति केवल भविष्य के परिवहन को ही नहीं बदल रही हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही हैं कि जो भविष्य हम बना रहे हैं, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ-सुथरा, स्वस्थ और अधिक टिकाऊ हो। हमें गर्व है कि हम उस पहल का हिस्सा हैं जो मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की रूपरेखा को नए सिरे से गढ़ रही है और ईवी उद्योग में सार्थक बदलाव ला रही है।
ईवी बैटरी में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और प्रभाव
बैटरी किसी भी ईवी का हृदय होती है और इसमें लगातार इनोवेशन हो रहे हैं। नई लिथियम-आयन बैटरियों के अलावा, सॉलिड-स्टेट बैटरी जैसी तकनीकें बाजार में आ रही हैं, जो अधिक चार्जिंग क्षमता, लंबी जीवन अवधि और सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये उन्नत बैटरी ईवी की लागत को कम करने और उनकी रेंज को बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं। इसके अलावा, ईवी उत्पादन में "डिजिटल ट्विन" का उपयोग एक प्रमुख तकनीक बन गया है, जो वाहन के वास्तविक मॉडल का डिजिटल वर्जन है। इससे इंजीनियर वास्तविक निर्माण से पहले डिज़ाइन, मैटीरियल, और परफॉर्मेंस का सटीक आकलन कर सकते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है और उत्पादन प्रक्रिया अधिक कुशल बनती है।
एलएमएल के एमडी और सीईओ डॉ योगेश भाटिया ने कहा ईवी उद्योग एक क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जहां मैन्युफैक्चरिंग में तकनीकी प्रगति स्थिरता और दक्षता दोनों को बढ़ावा दे रही है। स्वचालन, AI-आधारित उत्पादन और एडवांस मैटीरियल का उपयोग परफॉर्मेंस को बेहतर बना रहा है, जबकि पर्यावरणीय पर डलने वाले बुरे प्रभाव को महत्वपूर्ण रूप से कम कर रहा है। ग्रीन बैटरी टेक्नोलॉजी, हल्के कॉम्पोनेंट, और सुव्यवस्थित असेंबली प्रक्रियाएं कार्बन फुटप्रिंट को कम कर रही हैं और उद्योग में उत्पादन को बढ़ा रही हैं। ऊर्जा-कुशल पावरट्रेन, सॉलिड-स्टेट बैटरी, और स्मार्ट फैक्ट्री सेटअप मिलकर तेजी से उत्पादन करने में मदद कर रहे हैं, जबकि कम कचरा पैदा हो रहा है। इससे पूरे उत्पादन की प्रक्रिया अधिक पर्यावरण के अनुकूल हो रही है।
इस नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे पर हम इस बात का जश्न मनाते हैं कि ये इनोवेशन पूरे ईवी परिदृश्य को कैसे बदल रहे हैं, जो कि साफ-सुथरे और अधिक जिम्मेदार गतिशीलता समाधानों की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जो परिवहन के भविष्य को आकार देगा। परफॉर्मेंस में सुधार के साथ-साथ, उद्योग के उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स) का उपयोग करने और मैटीरियल को पुनर्नवीनीकरण (रिसाइक्लिंग) करने पर ध्यान पर्यावरणीय देखभाल के प्रति एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का संकेत देता है। मेरा मानना है कि ये इनोवेशन न केवल ईवी के उत्पादन के तरीके में, बल्कि ऑटोमोटिव क्षेत्र में स्थिरता और टेक्नोलॉजी के प्रति हमारे दृष्टिकोण में भी एक परिवर्तनकारी बदलाव का संकेत देते हैं। मोबिलिटी का भविष्य आज आकार ले रहा है, जिसमें उन्नत निर्माण इस विकास के केंद्र में है।
उद्योग में परिवर्तन: एक नया युग
इन टेक्नोलॉजी इनोवेशन के अलावा, ईवी उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत सुधार भी हो रहे हैं। जैसे- अमेरिका, यूरोप, और एशिया के कई देशों ने 2030 या 2040 तक पूरी तरह से पेट्रोल और डीजल वाहनों को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके साथ, सरकारी सब्सिडी और निजी निवेश भी इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि कर रहे हैं।
सरकारी सहायता के साथ, निजी निवेश भी इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे नई कंपनियों का उदय हो रहा है और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। यह सब मिलकर ईवी उद्योग को नई दिशा दे रहा है और उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प प्रदान कर रहा है। साथ ही, यह स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, नीतियों और तकनीकी नवाचारों का यह संयोजन न केवल ईवी उद्योग को सशक्त बना रहा है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर एक स्थायी परिवहन प्रणाली की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।
मैन्युफैक्चरिंग उद्योग में ईवी का प्रभाव
ईवी उत्पादन के लिए आवश्यक नई तकनीक और कौशल के कारण, इस क्षेत्र में लाखों नई नौकरियों का सृजन हो रहा है, जिससे इंजीनियरों और तकनीशियनों के साथ-साथ उत्पादन, डिज़ाइन और सप्लाई चेन मैनेजमेंट में भी नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। इसके साथ ही, ईवी उत्पादन के लिए आवश्यक मैटीरियल और पुर्जों के लिए एक नई सप्लाई चेन विकसित हो रही है, जैसे बैटरी के लिए लिथियम, कोबाल्ट, और निकल जैसी धातुओं की मांग बढ़ रही है, जिसके चलते खनन, रिसाइक्लिंग और मैटीरियल प्रोसेसिंग के नए कारखाने खुल रहे हैं। इसके अलावा, ईवी के बढ़ते प्रचलन के कारण पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहनों की मांग में कमी आ रही है, जिससे पारंपरिक वाहन निर्माताओं पर दबाव है कि वे भी ईवी की ओर रुख करें और अपनी उत्पादन लाइन को परिवर्तित करें।
ओमेगा सिकी मोबिलिटी के फाउंडर और चेयरमैन उदय नारंग ने कहा नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे पर हमारे पास इस बात पर विचार करने का एक अनूठा अवसर है कि इनोवेशन ईवी क्षेत्र में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ईवी उत्पादन में हुए विकास न केवल संचालन की दक्षता को बढ़ाते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्थिरता प्रयासों में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। ओमेगा सिकी मोबिलिटी में हम अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो मैन्युफैक्चरिंग परिदृश्य को नया आकार देती हैं।
स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग प्रथाओं को अपनाकर—जैसे कि ऑटोमेशन, डेटा एनालिटिक्स, और सस्टेनेबल मैटीरियल का उपयोग—हम न केवल अपनी प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं; बल्कि हम एक ऐसे भविष्य की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं जहां पर्यावरणीय देखभाल और औद्योगिक विकास एक साथ चलते हैं। हर इनोवेशन जो हम लागू करते हैं, यह हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ऐसे वाहनों को बनाने की दिशा में एक कदम है जो उन उपभोक्ताओं की नई पीढ़ी के मूल्यों के साथ मेल खाते हैं, जो स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं।
इस दिन का जश्न मनाते हुए, आइए हम परिवर्तन को आगे बढ़ाने में मैन्युफैक्चरिंग समुदाय के सामूहिक प्रयास को स्वीकार करें। भविष्य के वाहन एक स्थायी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं। इनोवेशन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता केवल एक व्यावसायिक रणनीति नहीं है; यह हमारे ग्रह और आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। इसके अलावा, हमने अपनी सभी निर्माण सुविधाओं को सौर ऊर्जा से संचालित किया है, इसलिए कंपनी में स्थिरता हमारे उत्पादों/वाहनों के निर्माण से ही शुरू होती है। जब बात हमारे नए इलेक्ट्रिक वाहनों की आती है, तो हम ट्रकों, एम्बुलेंस, ट्रैक्टर्स और ड्रोन के साथ-साथ अन्य ईवी पर काम कर रहे हैं।
भविष्य की राह
ईवी के उत्पादन में हो रहे ये बदलाव केवल प्रारंभिक कदम हैं। भविष्य में हम अधिक सस्टेनेबल निर्माण प्रक्रिया, लंबी रेंज वाली बैटरियां, और स्वायत्त ड्राइविंग जैसी तकनीकों के साथ ईवी उद्योग को और आगे बढ़ते हुए देखेंगे। नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे जैसे कार्यक्रम इन इनोवेशन को उजागर करके हमें यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे तकनीक और निर्माण एक साथ मिलकर हमारे परिवहन के भविष्य को गढ़ रहे हैं।
ऊनो मिंडा के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर रवि मेहरा ने कहा भारत का एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग शक्ति के रूप में उभरना दिखाई दे रहा है। 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी रणनीतिक पहल ने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए एक मजबूत नींव तैयार की है। प्रमुख ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी के रूप में हम भारत की प्रतिबद्धता को फिर से स्पष्ट करते हैं, क्योंकि इसमें एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने की अपार क्षमता है, जो वैश्विक मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
भारत को ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में शीर्ष स्थान पर लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कारण हैं जैसे की बड़ा घरेलू बाजार, किफायती लागत, तकनीकी विकास, सरकारी सहायता और कुशल श्रमिकों की उपलब्धता। इन ताकतों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके और उद्योग के हितधारकों के बीच सहयोगी वातावरण को बढ़ावा देकर, हम मिलकर मैन्युफैक्चरिंग में असली आत्मनिर्भरता हासिल कर सकते हैं और भारत को वैश्विक ऑटोमोटिव क्षेत्र में एक अद्वितीय प्रमुख के रूप में स्थापित कर सकते हैं। जब हम भविष्य की कल्पना करते हैं, तो उद्योग इनोवेशन को आगे बढ़ाने, उत्पादकता बढ़ाने और भारत को एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के रूप में आगे बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है। भारतीय मैन्युफैक्चरिंग का भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल है।
निष्कर्ष
नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे हमें यह याद दिलाता है कि मैन्युफैक्चरिंग सिर्फ उत्पादन प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह इनोवेशन और परिवर्तन का केंद्र भी है। ईवी उत्पादन में हो रहे ये बदलाव हमें एक स्वच्छ, हरित, और अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जा रहे हैं। यह समय है जब हम इन तकनीकी विकासों का स्वागत करें और इस बदलाव के हिस्सेदार बनें।