व्यवसाय विचार

नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे : ईवी उद्योग में कौशल विकास की आवश्यकता

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Oct 04, 2024 - 8 min read
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कौशल विकास और प्रशिक्षण प्रोग्राम ईवी क्षेत्र में कुशल और सक्षम कार्यबल तैयार करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे पर प्रस्तुत पहलों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो न केवल उद्योग को मजबूत करेंगे, बल्कि भविष्य के स्थायी परिवहन समाधान में भी योगदान देंगे।

नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे के अवसर पर ईवी उद्योग में कौशल विकास और प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। वैश्विक स्तर पर, ईवी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम इस परिवर्तनकारी यात्रा में सफल हो सकें, हमें योग्य पेशेवरों की आवश्यकता है। ईवी उद्योग ने हाल के वर्षों में टेक्नोलॉजी इनोवेशन, सरकारी नीतियों, और उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता ने ईवी उद्योग को एक समृद्ध क्षेत्र में बदल दिया है, लेकिन इसके लिए उच्च स्तर की तकनीकी दक्षता की आवश्यकता है। इसीलिए, कुशल श्रमिकों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन गई है।

एएसडीसी (ASDC) के प्रेसिडेंट एफआर सिंघवी ने कहा भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनकारी विकास को मान्यता देना आवश्यक है। वर्ष 2022 में मैन्युफैक्चरिंग ने भारत की जीडीपी में 17.4 प्रतिशत का योगदान दिया और 2025 तक इसे 25 प्रतिशत तक पहुँचाने की महत्वाकांक्षा है। इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों का अनुमान है कि 2030 तक यह 49 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ेंगे, और रोबोटिक्स में भी दो अंकों की वृद्धि हो रही है, जो कुशल श्रमिकों की आवश्यकता को उजागर करता है।

एएसडीसी में हम समझते हैं कि भविष्य के लिए तैयार मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित कार्यबल की आवश्यकता है। हमारे व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम, जो रोबोटिक्स, ऑटोमेशन, और सतत मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति आधुनिक मैन्युफैक्चरिंग की चुनौतियों के लिए तैयार हों।

उद्योग के प्रमुखो और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग के माध्यम से हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग वृद्धि के लिए प्रतिभा का एक प्रवाह तैयार कर रहे हैं। वर्ष 2030 तक 1 करोड़ से अधिक नई नौकरियों की उम्मीद है, और हम इन अवसरों के लिए पेशेवरों को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग डे पर, हम भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में इनोवेशन और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के अपने समर्पण को फिर से दोहराते हैं।

कौशल विकास का महत्व

ईवी मैन्युफैक्चरिंग में काम करने वाले श्रमिकों के लिए विशेष तकनीकी कौशल और ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसमें बैटरी टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल डिज़ाइन, स्वचालन, और डेटा एनालिटिक्स शामिल हैं। इस दिशा में, शिक्षा संस्थानों और औद्योगिक कंपनियों को मिलकर एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने की आवश्यकता है जो इन आवश्यकताओं को पूरा कर सके। कई संस्थान और कंपनियाँ ईवी उद्योग के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जिसमें कार्यशालाएं, इंटर्नशिप, और विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान श्रृंखला शामिल हैं। ये कार्यक्रम न केवल युवाओं को सशक्त बनाते हैं, बल्कि उन्हें ईवी मैन्युफैक्चरिंग में वास्तविक अनुभव भी प्रदान करते हैं।

ओएमआई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऐश्वर्या रमन ने कहा नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे पर भारत के ईवी उद्योग को भविष्य के लिए तैयार करने में कौशल विकास(स्किल डेवलपमेंट) और प्रशिक्षण(ट्रेनिंग) की भूमिका पर प्रकाश डालना महत्वपूर्ण है। मैन्युफैक्चरिंग का भविष्य एक गतिशील, अनुकूलनीय कार्यबल को विकसित करने पर निर्भर करता है, जो उन्नत तकनीकी क्षमताओं से लैस हो।

ईवी उद्योग अपनी विविधता के लिए अनोखा है, जिसमें बैटरी टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एआई-आधारित डायग्नोस्टिक्स और सतत डिज़ाइन जैसी विभिन्न क्षेत्रों का समावेश होता है। इसके लिए नए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो पारंपरिक मैन्युफैक्चरिंग कौशल को अगली पीढ़ी की तकनीकों के साथ जोड़ते हैं।
हमने एक अध्ययन किया है जिसमें 13 महत्वपूर्ण क्षेत्रों के तहत 35 तरह की नौकरियों की पहचान की गई है, जिनमें मैन्युफैक्चरिंग भी शामिल है। इसके साथ ही, हमने यह भी बताया है कि इन नौकरियों के लिए कौन-कौन से कौशल (skills) जरूरी हैं। भारत को चाहिए कि वह बड़े पैमाने पर ऐसे कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करे, जो उद्योग की जरूरतों से जुड़े हों। इससे हमारे युवा, महिलाएं और हाशिए पर रहने वाले समुदाय इन नए अवसरों के लिए तैयार हो सकेंगे।

भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) क्रांति महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने का एक महत्वपूर्ण मौका है। इससे महिला नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा, सरकारी और निजी कंपनियों के बीच सहयोग जरूरी है ताकि ट्रेनिंग प्रोग्राम ईवी बनाने वाली कंपनियों की असली जरूरतों के साथ मेल खा सकें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारी कार्यबल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके।

आज भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में कम से कम 700 स्टार्टअप और कई छोटे और मध्यम व्यवसाय (एमएसएमई) शामिल हैं, जो लाखों करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य न केवल देश की जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि भारत को इलेक्ट्रिक गाड़ियों के नवाचार का एक बड़ा केंद्र बनाना भी है। अगर हम सही कौशल विकसित करें और स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए एक अच्छा माहौल बनाएं, तो भारत ईवी क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है। इससे हमारे देश में आर्थिक विकास बढ़ेगा और सभी के लिए समावेशी विकास होगा।

सरकारी पहल और सहयोग

भारत सरकार ने भी इस दिशा में कई पहल की हैं, जैसे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' योजनाएँ, जो विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करती हैं। इसके साथ ही, सरकार ने शैक्षिक संस्थानों को प्रोत्साहित किया है कि वे ईवी उद्योग के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करें। इस तरह की सामूहिक प्रयासों से हम एक सक्षम और तकनीकी रूप से कुशल कार्यबल तैयार कर सकते हैं, जो ईवी उद्योग में विकास को गति देने में मदद करेगी।

सायरा(SAERA) इलेक्ट्रिक ऑटो लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर नितिन कपूर ने कहा जैसे-जैसे हम ज्यादा सस्टेनेबल मोबिलिटी सॉल्यूशंस की ओर बढ़ रहे हैं, एक कुशल और अनुकूलनशील कार्यबल में निवेश करना आवश्यक है। कर्मचारियों को आधुनिक ज्ञान और व्यावहारिक विशेषज्ञता से लैस करके, हम न केवल उत्पादकता को बढ़ा रहे हैं, बल्कि इनोवेशन को भी बढ़ावा दे रहे हैं जो परिवहन उद्योग के भविष्य को आकार देगा। तकनीक के विकास के साथ, यह महत्वपूर्ण है कि हम कार्यबल को प्रशिक्षित करें और उन्हें आवश्यक ज्ञान और उपकरण प्रदान करें ताकि वे ईवी निर्माण की बदलती आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।

आज के बदलते परिदृश्य में स्किल डेवलपमेंट और ट्रेनिंग प्रोग्राम वैश्विक बाजार में हमारी प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए एक आधार बन गए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्नत पीएलआई योजनाओं और ईवी की बढ़ती मांग के साथ ऑटो निर्माताएं पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ परिवहन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो उपभोक्ताओं की अंतिम आवश्यकताओं को पूरा करता है। हमने उद्योग की बदलती आवश्यकताओं के साथ खुद को भी संरेखित किया है और इन कार्यक्रमों में निवेश करके हमारा लक्ष्य एक ऐसी कार्यबल तैयार करना है जो नवीनतम ईवी तकनीक, जैसे कि बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम से लेकर सतत (सस्टेनेबल) उत्पादन तकनीकों में सक्षम हो। ये उपाय उत्पादकता को बढ़ाते हैं और एक हरे भविष्य की ओर बदलाव को गति देते हैं।

इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा

जब कार्यबल में नवीनतम तकनीकी कौशल होते हैं, तो यह उद्योग में इनोवेशन को बढ़ावा देता है। प्रशिक्षित श्रमिक अधिक प्रभावी और कुशल तरीके से काम कर सकते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होती है। कुशल श्रमिक नई तकनीकों और विधियों को अपनाने में सक्षम होते हैं, जो उत्पादन प्रक्रिया को तेजी से और अधिक सटीक बनाने में मदद करते हैं। यह न केवल लागत को कम करता है, बल्कि ग्राहक संतोष को भी बढ़ाता है, जो किसी भी व्यवसाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, एक प्रतिस्पर्धात्मक कार्यबल ग्राहकों की बदलती आवश्यकताओं और बाजार की मांगों के प्रति संवेदनशील होता है। जब श्रमिक नवीनतम रुझानों और तकनीकों से अवगत होते हैं, तो वे तेजी से अनुकूलन कर सकते हैं, जिससे संगठन को एक कदम आगे रहने में मदद मिलती है। इस प्रकार, तकनीकी कौशल और नवाचार एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं और उद्योग में समग्र विकास को सुनिश्चित करते हैं।

जेमोपाई (Gemopai) के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अमित राज सिंह ने कहा इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए प्रशिक्षण और कौशल विकास बहुत जरूरी हो गए हैं। नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे यह बताता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के बारे में खास जानकारी हासिल करना ज़रूरी है ताकि हम एक मजबूत और टिकाऊ उद्योग बना सकें। कर्मचारियों को नए तकनीकी बदलावों के साथ चलने के लिए ट्रेनिंग और विकास की जरूरत है। उन्हें यह देखना होगा कि क्वालिटी के मानक कैसे होते हैं और उन्हें ऐसा काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए, जिससे उद्योग में विकास हो सके।

हम ट्रेनिंग प्रोग्राम को बेहतर बनाकर एक ऐसी कार्यबल तैयार कर सकते हैं जो भविष्य के लिए तैयार हो और निरंतर प्रगति को बढ़ावा दे सके। यह एक सफल और तकनीकी रूप से उत्कृष्ट उद्योग की नींव रखेगा, साथ ही लोगों को परिवर्तनों के लिए तैयार करेगा। इस समय हमें ऐसे मजबूत और सस्टेनेबल इकोसिस्टम बनाने की ज़रूरत है, ताकि भविष्य में आने वाली समस्याओं को कम किया जा सके। इससे हम उद्योग को लंबे समय तक विकास और सफलता की ओर ले जा सकेंगे।

निष्कर्ष

नेशनल मैन्युफैक्चरिंग डे पर हमें यह समझने की आवश्यकता है कि ईवी उद्योग में कौशल विकास और प्रशिक्षण सिर्फ एक आवश्यकता नहीं, बल्कि हमारे भविष्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जब हम योग्य पेशेवरों को तैयार करते हैं, तो हम न केवल अपने उद्योग को मजबूत करते हैं, बल्कि एक सतत और पर्यावरण के अनुकूल भविष्य की दिशा में भी कदम बढ़ाते हैं। इस प्रकार, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हम सभी स्तरों पर इस क्षेत्र में सही शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करें, ताकि हम एक सशक्त और सक्षम कार्यबल तैयार कर सकें।

 

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