मार्च 31, 2024 तक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) द्वारा MSME सेक्टर को दिए गए कुल कर्ज का आंकड़ा ₹28.04 लाख करोड़ पर पहुंच गया, जिसमें से ₹1.25 लाख करोड़ गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) थीं। वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में लोकसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि MSME सेक्टर में SCBs का सकल एनपीए प्रतिशत 4.46% था, जो कुल ऋण और अग्रिमों के 2.74% से अधिक है।
पिछले छह वर्षों में MSME सेक्टर में एनपीए सबसे कम स्तर पर पहुंचा है। वित्त वर्ष 2023 में यह ₹1.31 लाख करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2022 में ₹1.54 लाख करोड़ से 14% कम था। वहीं, वित्त वर्ष 2024 में यह और घटकर ₹1.25 लाख करोड़ रह गया। हालांकि, एनपीए ने वित्त वर्ष 2020 में ₹1.83 लाख करोड़ के शिखर को छुआ था और तब से इसमें लगातार गिरावट देखी गई है।
दूसरी छमाही में बढ़ सकते हैं MSME के एनपीए
हालांकि, 2024 की दूसरी छमाही में MSME सेक्टर में एनपीए बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। FICCI-IBA बैंकर सर्वे (जनवरी-जून 2024) के अनुसार, बैंकों के लिए MSME को लाभदायक तरीके से कर्ज देना चुनौती बनता जा रहा है। सर्वे में शामिल 22 बैंकों के 38% उत्तरदाताओं ने आगामी छह महीनों में MSME एनपीए में वृद्धि की आशंका जताई। रिपोर्ट में MSME ऋण देने की प्रक्रिया को पूरी तरह से पुनःपरिभाषित करने का सुझाव दिया गया है, जिसमें बैंक स्टेटमेंट, कर रिकॉर्ड और पेमेंट गेटवे डेटा जैसे डिजिटल साधनों का उपयोग किया जा सकता है।
मई 2024 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर आरोप लगाया था कि 2014 से पहले बैंकिंग सेक्टर "बुरे कर्ज, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन" का शिकार था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान बैंक छोटे कारोबारों को बढ़ाने के लिए आवश्यक ऋण देने से बचते थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि MSME सेक्टर की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए डिजिटल नवाचार और सतत् वित्तीय नीतियों की आवश्यकता है।