पीएम ई-ड्राइव योजना: भारत में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा

पीएम ई-ड्राइव योजना: भारत में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा

पीएम ई-ड्राइव योजना: भारत में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा
पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए 10,900 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।

 

भारत सरकार ने देश में ग्रीन मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए 'पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट,(पीएम ई-ड्राइव) योजना' को 29 सितंबर 2024 को अधिसूचित किया। इस योजना का उद्देश्य ईवी के व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित करना और चार्जिंग अवसंरचना को मजबूत बनाना है। यह योजना 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2026 तक दो वर्षों की अवधि के लिए लागू की गई है, जिसके लिए सरकार ने 10,900 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। इसके अंतर्गत ईएमपीएस 2024 को भी शामिल किया गया है, जिसे 1 अप्रैल 2024 से 30 सितंबर 2024 तक लागू किया गया था।

पीएम ई-ड्राइव योजना की प्रमुख विशेषताएं

1. ई-वाउचर की शुरुआत

पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) ने इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों के लिए ई-वाउचर प्रणाली शुरू की है। इस प्रणाली के तहत, उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकारी सब्सिडी (मांग प्रोत्साहन) का लाभ मिलेगा। ई-वाउचर का मुख्य उद्देश्य ईवी की खरीद लागत को कम करना और उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करना है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में वृद्धि होगी। यह वाउचर सीधे मूल उपकरण निर्माता (OEM) को भुगतान किया जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर वाहन मिल सकें।

2. नए वाहन सेगमेंट की शुरुआत

योजना के तहत सरकार ने ई-एम्बुलेंस और ई-ट्रकों को शामिल किया है, जिससे इन महत्वपूर्ण परिवहन साधनों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के तहत लाया जा सके।

  • -एम्बुलेंस: इस पहल के तहत, सरकार ने 500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है ताकि मरीजों के लिए पर्यावरण-अनुकूल और सुगम स्वास्थ्य परिवहन प्रणाली विकसित की जा सके। यह विशेष रूप से उन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लाभकारी होगा जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच सीमित है। ई-एम्बुलेंस का उपयोग करके प्रदूषण-मुक्त आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी।
  • -ट्रक: योजना के तहत ई-ट्रकों के लिए भी 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह पहल लॉजिस्टिक्स और माल ढुलाई उद्योग को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर स्थानांतरित करने में मदद करेगी, जिससे डीजल ट्रकों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। ई-ट्रकों की कार्यक्षमता और रेंज को बढ़ाने के लिए सरकार कंपनियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है।

    3. वाहन परीक्षण एजेंसियों का उन्नयन

योजना के तहत 780 करोड़ रुपये की राशि वाहन परीक्षण एजेंसियों (Vehicle Testing Agencies) के उन्नयन( अपग्रेडेशन) के लिए आवंटित की गई है। इस पहल का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तकनीकी मानकों को मजबूत करना, सुरक्षा और गुणवत्ता परीक्षण की प्रक्रिया को सशक्त बनाना है।

  • सरकार आधुनिक प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों को अपग्रेड करेगी, जिससे नए और उन्नत इलेक्ट्रिक वाहन मॉडलों का व्यापक परीक्षण किया जा सके।
  • इससे ईवी निर्माताओं को उच्च गुणवत्ता वाले वाहन तैयार करने में मदद मिलेगी, जिससे भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जा सकेगा।
  • यह अपग्रेडेशन सुरक्षा मानकों को सुधारने, बैटरी टेस्टिंग, वाहन की मजबूती और परफॉर्मेंस को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को और अधिक विश्वसनीय और कुशल बनाया जा सके।

योजना के तीन प्रमुख कंपोनेंट

1. सब्सिडी (Demand Incentives)

पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत कुल 3,679 करोड़ रुपये की सब्सिडी इलेक्ट्रिक वाहनों की विभिन्न श्रेणियों के लिए प्रदान की जाएगी। इस प्रोत्साहन राशि का मुख्य उद्देश्य ईवी की खरीद लागत को कम करना और उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

  • -टू-व्हीलर (E-2W): इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जिससे आम जनता के लिए इनकी कीमतें अधिक सुलभ हो सकेंगी।
  • -थ्री-व्हीलर (E-3W): ऑटो-रिक्शा और माल ढुलाई के लिए उपयोग होने वाले इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों को सब्सिडी दी जाएगी, जिससे छोटे व्यवसायों और परिवहन सेवा प्रदाताओं को फायदा होगा।
  • -एम्बुलेंस: स्वास्थ्य सेवाओं में हरित ऊर्जा को अपनाने के लिए इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे आपातकालीन सेवाओं को अधिक प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल बनाया जा सके।
  • -ट्रक: लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में डीजल ट्रकों की जगह इलेक्ट्रिक ट्रकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दी जाएगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके।
  • अन्य नई ईवी श्रेणियां: भविष्य में आने वाली अन्य इलेक्ट्रिक वाहन तकनीकों को भी सब्सिडी के तहत प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि ईवी बाजार में नवाचार को बढ़ावा मिले।

    2. अनुदान (Grants)

योजना के तहत 7,171 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवंटित की गई है। यह अनुदान निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में उपयोग किया जाएगा:

  • -बसों की तैनाती: सार्वजनिक परिवहन को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए सरकारी और निजी बस फ्लीट्स में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जाएगा। इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हरित परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
  • चार्जिंग स्टेशनों का विकास: इलेक्ट्रिक वाहनों की सफलता के लिए मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यक है। सरकार इस अनुदान का उपयोग तेजी से चार्जिंग नेटवर्क को विस्तारित करने और नए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए करेगी, जिससे वाहन मालिकों के लिए चार्जिंग की सुविधा बढ़ेगी।
  • वाहन परीक्षण एजेंसियों का उन्नयन: इलेक्ट्रिक वाहनों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक परीक्षण सुविधाओं और अनुसंधान प्रयोगशालाओं का विकास किया जाएगा। यह अपग्रेडेशन ईवी उद्योग में वैश्विक मानकों को अपनाने में सहायक होगा।

    3. प्रशासनिक गतिविधियां (Administrative Activities)

योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और सुचारू प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रशासनिक गतिविधियों पर भी ध्यान दिया गया है। इसके अंतर्गत:

  • आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) पहल: इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने, प्रचार अभियान चलाने और सही जानकारी प्रदान करने के लिए इस योजना में आईईसी (Information, Education, and Communication) गतिविधियों को शामिल किया गया है।
  • परियोजना प्रबंधन एजेंसी (PMA) शुल्क: योजना के बेहतर संचालन के लिए एक समर्पित प्रबंधन एजेंसी की नियुक्ति की जाएगी, जो विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन का कार्य करेगी। इससे योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जा सकेगा और तय किए गए लक्ष्यों को समय पर प्राप्त किया जा सकेगा।

 योजना का उद्देश्य और लाभ

1. मांग प्रोत्साहन (Demand Incentives)

इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की खरीद लागत को कम करना है, ताकि अधिक से अधिक लोग और व्यवसाय ईवी को अपनाने के लिए प्रेरित हों।

  • सीधे उपभोक्ताओं को लाभ: जब उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहन खरीदेंगे, तो उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ मिलेगा। इससे ईवी की प्रारंभिक लागत कम होगी, जिससे यह ज्यादा किफायती बन जाएगा।
  • ओईएम (OEM) को प्रोत्साहन राशि की प्रतिपूर्ति: सरकार यह मांग प्रोत्साहन सीधे वाहन निर्माताओं (Original Equipment Manufacturers - OEMs) को देगी। यानी, जब उपभोक्ता ईवी खरीदेगा, तो निर्माता उसे कम कीमत पर उपलब्ध कराएगा और सरकार उस अंतर की भरपाई करेगी।
  • ईवी अपनाने की गति को बढ़ावा: यह पहल भारत में ईवी की बिक्री को तेजी से बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे पर्यावरणीय लाभ के साथ-साथ स्वदेशी उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

2.चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए वित्तीय सहायता

इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापक उपयोग के लिए मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये चार्जिंग नेटवर्क को मजबूत करने के लिए आवंटित किए हैं।

  • नए चार्जिंग स्टेशन की स्थापना: इस निधि का उपयोग राज्य सरकारों, नगर पालिकाओं और निजी कंपनियों के सहयोग से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए किया जाएगा।
  • तेजी से चार्जिंग की सुविधा: सरकार विशेष रूप से फास्ट चार्जिंग तकनीक को बढ़ावा दे रही है, ताकि बैटरी चार्जिंग समय कम हो और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग अधिक सुविधाजनक बने।
  • हाईवे और शहरी केंद्रों पर विस्तार: शहरों, हाईवे और प्रमुख परिवहन गलियारों में चार्जिंग स्टेशन विकसित किए जाएंगे, जिससे लंबी दूरी की यात्रा करने वाले ईवी उपयोगकर्ताओं को कोई समस्या न हो।

3.पूंजीगत परिसंपत्तियों के लिए अनुदान (Grants for Capital Assets)

सरकार ने इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन और ईवी उद्योग के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने के लिए विशेष अनुदान की घोषणा की है।

  • -बसेस की तैनाती:

O 4,391 करोड़ रुपये का अनुदान 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती के लिए आवंटित किया गया है।

O इससे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को अधिक टिकाऊ और किफायती बनाया जा सकेगा।

O यह पहल डीजल और पेट्रोल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने में तेजी लाएगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा।

  • वाहन परीक्षण एजेंसियों का उन्नयन:

O 780 करोड़ रूपये का बजट वाहन परीक्षण एजेंसियों के लिए निर्धारित किया गया है।

O इसका उपयोग ईवी की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों को उन्नत करने के लिए आधुनिक प्रयोगशालाओं और परीक्षण केंद्रों की स्थापना में किया जाएगा।

O यह पहल भारत में ईवी निर्माताओं को वैश्विक गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने में मदद करेगी और ईवी उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

योजना की निगरानी और लागू करना

योजना के लगू करने, निगरानी रखने और मंजूरी  के लिए समिति (PISC) का गठन किया गया है। यह भारी उद्योग सचिव की अध्यक्षता में कार्य करेगी और योजना की समग्र निगरानी, मंजूरी और लागू करने की सुनिश्चित करेगी। इस समिति को योजना के दौरान आने वाली किसी भी बाधा या समस्या का समाधान करने की जिम्मेदारी दी गई है।

निष्कर्ष

'पीएम ई-ड्राइव' योजना भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को बढ़ावा देने और चार्जिंग अवसंरचना को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना ईवी को अधिक सुलभ और सस्ती बनाने के साथ-साथ भारत को ग्रीन मोबिलिटी के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी।

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