बेहतर महसूस करने और बेहतर दिखने के साथ पुरूषों के ग्रूमिंग सेक्टर में ज्यादा ब्रांडों के आने से भारतीय बाजार अब बहुत से पुरूषों के लिए विकल्पों और अवसरों से भर गया है। हम आपको इस सेक्टर से जुड़े लाभकारी अवसरों के बारे में ज्यादा जानकारी देंगे।
भारतीय पुरूषों की ग्रूमिंग इंडस्ट्री बहुत से कारणों की वजह से तेज विकास कर रही है जैसे दूसरों की तुलना में ज्यादा बेहतर दिखने की चाहत, बेहतर लुक्स से करियर में विकास आदि। डिपो-द मेल टूल्स एंड कंपनी एक इटालियन ब्रांड है जो भारतीय जनता के लग्जरी के लिए पुरूषों के ग्रूमिंग प्रोडक्टों का निर्माण करता है। जिस कंपनी को भारत में अंतर्राष्ट्रीय लेबलों के डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार प्राप्त है वह SSIZ इंटरनेशनल है जो भारत में ब्यूटी एंड कॉस्मेटिक्स सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों का वितरण करता है।
इसके डायरेक्टर रयीद मर्चेंट ने हमें बताया, 'जब बात अपनी केयर को लेकर आती है तो पता चलता है कि आजकल पुरुषों में जागरूकता का विकास हो रहा है और मैं भारतीय पुरुष सेलिब्रिटी की बात नहीं कर रहा हूं जो हमेशा से अपने ग्रूमिंग गेम के शीर्ष पर रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि ये भी एक कारण है कि क्यों ज्यादातर भारतीय पुरुष क्लीनअप के लिए जाना चाहते हैं। ये अपनी डेट को प्रभावित करने के लिए नहीं है बल्कि वे यह कार्य अपने कार्यक्षेत्र में अतिरिक्त अंक पाने के लिए करते हैं। यह तथ्य एक रिपोर्ट के अनुसार दिया गया है जो ग्लोबल मार्केटिंग रिसर्च फर्म नेल्सन द्वारा पिछले साल किया गया था। भारत में पुरूषों के ग्रूमिंग बाजार की कीमत 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा है और ये तेजी से विस्तार करती जा रही है क्योंकि भारतीय पुरूष अपने कार्यक्षेत्र में अपने बॉस के सामने अच्छे अंक पाना चाहते हैं और कॉरपोरेट जगत की सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं।'
मर्चेन्ट ने कहा, 'पिछले दशक से पुरुषों के ग्रूमिंग प्रोडक्टों में आई तेजी के कारण कंपनियों को पुरूषों के लिए केवल शेविंग जेल, रेजर और डियोड्रेंट से हटकर ज्यादा कुछ बनाने के लिए प्रेरित किया है। वर्तमान में बाजार में शैम्पू ओर फेयरनेस क्रीम भी आ गई है जो केवल पुरुषों के लिए बनाई गई है। कुछ स्टोर अपने स्टॉक में बियर्ड बाम या दाढ़ी पर लगाएं जाने वाले बाम और बियर्ड शैम्पू का भी स्टॉक रखते हैं। पुरुषों की फेस क्रीम की बिक्री दोगुने से भी ज्यादा हो गई है, जबकि 2009 से 2016 तक भारत में पुरुषों के फेस क्लीजिंग के प्रोडक्टों के प्रयोग में 60 गुना उछाल देखने को मिला है।'
पुरुषों को कौन तैयार कर रहा है?
बहुत से ब्रांड अब पुरुषों के ग्रूमिंग प्रोडक्ट लॉन्च कर रहे हैं ताकि वे उन्हें सही ढंग से लक्षित कर पाएं। हाल ही में भारत की सबसे बड़ी उपभोक्ता प्रोडक्ट कीकंपनी हिन्दुस्तान लीवर और यूएस स्थापित रिटेलर अमेज़ॉन के भारतीय सहायक कंपनी ने पुरूषों के बालों और ग्रूमिंग प्रोडक्टों की एक श्रेणी का सहविकास किया है। दिसंबर 2017 में इमामी ने गुरुग्राम आधारित हेलियोस लाइफस्टाइल में 30 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी भी ली है। जो दि मैन कंपनी ब्रांड के तहत पुरूषों के ग्रूमिंग प्रोडक्टों को बेचते हैं। इसलिए पुरूषों के ग्रूमिंग क्षेत्र में आना अब एक ट्रेंड है। ब्रांड इस तरह से भारतीय पुरूषों को ज्यादा बेहतर विकल्प दे पा रहें हैं। पुरूषों के ग्रूमिंग इंडस्ट्री की तेजी के कारण आज पुरूषों के पास बहुत से विकल्प है। कंपनियां जैसे लॉरियाल, निविया और अन्य बहुत सी कंपनियों ने पुरूषों के ग्रूमिंग प्रोडक्टों में निवेश करने में बहुत अधिक रूचि दिखाई है।
चुनौतियां
हर अन्य इंडस्ट्री की ही तरह पुरूषों के ग्रूमिंग सेक्टर की भी अपनी कुछ चुनौतियां हैं। पुरुषों के ग्रूमिंग के क्षेत्र में ट्रूफिट एंड हिल भी एक अन्य उभरता ब्रांड है। Lloyds Luxuries के डायरेक्टर एंड को-फाउंडर इस्तयाक अंसारी ने कहा, 'कुछ साल पहले तक पुरुषों के ग्रूमिंग ब्रांड को स्थापित करना बहुत ही कठिन था। ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग सामान्यतः ग्रूमिंग और मैनस्कैपिंग (कॉस्मेटिक कारणों की वजह से पुरुषों के शरीर से बालों को हटाना या ट्रिम करना) के बीच अंतर नहीं कर पाते थे। आज भी अगर कोई पुरूष आईब्रो या मेनीक्योर-पेडीक्योर करवाएं तो इस चीज की सराहना नहीं की जाती है। इसलिए सौंदर्यीकरण कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक जाकर ही सीमित हो गया है। एक अन्य चुनौती जिसका हम सामना कर रहे है वह है पूर्वानुमान। ज्यादातर ट्रेंड अंतर्राष्ट्रीय रैंप और बॉलीवुड से प्रेरित होते हैं जो भारतीय बाजार को प्रभावित करते हैं और ये बड़े ट्रेंड सेंटर बन जाते हैं विशेष रूप से युवाओं में। हमें अपने आपको और यहां तक कि अपने स्टाफ को भी इसके लिए अपडेट करते रहना पड़ता है। तीसरा और सबसे जरूरी चुनौती जिसका सामना हम करते हैं वह है स्टाफ की ट्रेनिंग। कुशल प्रशिक्षित स्टाफ पाना या किसी शुरुआती उम्मीदवार को प्रशिक्षित करना दोनों ही बराबर की चुनौतियां है क्योंकि इनके पास ब्रांड को पेश करने की जिम्मेदारी होती है इसलिए इस सबसे जरूरी चीज का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।'
पुरुष महिलाओं की तरह बहुत से ग्रूमिंग रूटीन को अपनाने की आवश्यकता महसूस नहीं करते हैं। मर्चेंट कहते है, 'यहां तक की दक्षिणी कोरिया में जहां पर पुरुषों की ग्रूमिंग पर खर्च सामान्य की तुलना में ज्यादा है। यहां पर भी पुरुष ग्राहकों का प्रति व्यक्ति खर्च 29.00 यूएस डॉलर ही है। साथ ही पुरुषों का ग्रूमिंग केवल कुछ मूल्य बिक्री का मात्र 15 प्रतिशत ही आंका जाता है। चीन इस श्रेणी के विकास में आधे से ज्यादा स्रोत होने पर भी यहां के पुरूष बहुत इस क्षेत्र में बहुत सीमित खर्च करते हैं। औसतन एक चीनी पुरुष केवल 1.40 यूएस डॉलर ही ग्रूमिंग उत्पादों पर खर्च करता है।'
ज्यादा जागरूकता के साथ यह इंडस्ट्री आने वाले भविष्य में अपना बेहतर विकास कर सकती है। चुनौतियां बढ़ रही हैं और ज्यादातर ब्रांडों की मुख्य परीक्षा यह है कि वे दीर्घकाल तक अपने लक्षित ग्राहक को अपने साथ बनाए रख सकें और ग्राहकों में जो पुरुष ग्रूमिंग के प्रोडक्ट खरीदने के लिए संकोच या घबराहट है उसे दूर कर सकें।