व्यवसाय विचार

फेमस हो रहे हैं को-वर्किंग स्पेस, जानें कारण

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Dec 19, 2018 - 3 min read
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को-वर्किंग स्पेस का विषय बड़े कॉर्पोरेट का भी ध्यान खींच रहा है। जो अपने ऑफिस की जगह और खर्चों को कम करने की योजना बना रहे हैं।

डेस्कमैग के 2017 के ग्लोबल को-वर्किंग सर्वे के अनुसार, हर साल को-वर्किंग स्पेस 22 प्रतिशत तक बढ़ रहे हैं और हर साल को-वर्किंग सदस्यों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। बिजनेस दिग्गज जैसे इंस्टाग्राम और उबर भी को-वर्किंग स्पेस को विकसित कर रहे हैं।को-वर्किंग ने दुनिया भर के काम करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। ये बहुत तेजी से बढ़ती प्रवृत्ति है, खासतौर पर नए इकोसिस्टम के लिए। उद्यमी भावना के तेजी से बढ़ने के साथ ज्यादा से ज्यादा पेशेवर, निर्णय लेने की लालसा चाहते हैं कि वे कब और कैसे काम करें। साथ ही अपने माहौल को चुनने का लचीलापन उन्हें प्रोत्साहित करता है।
को-वर्किंग स्पेस ने बड़े कॉर्पोरेट का भी ध्यान खींचा है, जो अपने ऑफिस स्पेस और खर्च को कम करने की योजना बना रहे हैं।

प्रभावी लागत

को-वर्किंग स्पेस बड़ी संभावनाओं के विकास में लागत प्रभावी विकल्प है। इसने रियल एस्टेट मार्केट को भी अवसर दिए हैं और ये प्रोपर्टी मालिकों के लिए आकर्षक विकल्प के रूप में उभर कर आ रहा है जो खाली जगह का कुशल उपयोग करने की तलाश में हैं।

लचीलापन

को-वर्किंग स्पेस की लोकप्रियता का एक अन्य कारण है व्यापार की जरूरत के अनुसार सामर्थ्य और गुणवत्ता के लचीलेपन का स्तर। लचीलेपन का अर्थ यहां रेंटल समझौते, बेहतर नेटवर्किंग, विस्तारित टीम के निर्माण, पे ऐज़ यू यूज़ यानी जिनता इस्तेमाल करें उतना भुगतान करें जैसे विकल्पों आदि का होना है। को-वर्किंग की अवधारणा समुदाय की भावना को बढ़ाती है और ये उन लोगों के लिए सर्वोत्तम है जो लोग अपने ऑफिस स्पेस को शेयर करना पसंद करते हैं।

किफायती

जैसे- जैसे व्यवसाय बढ़ते रहते हैं, को-वर्किंग स्पेस टीम को मापने का एक व्यवहारिक विकल्प देता है। साथ ही यह बहुत ही किफायती मूल्यों और कम लागत पर स्टार्ट-अप पर आधारित व्यवसाय को लाभ देती है। यदि ऑफिस स्पेस किफायती कीमतों पर मिल जाएं तब भी अपने व्यवसाय के लिए उपकरणों और फर्नीचर खरीदने, लाइसेंस पाने, कॉन्ट्रेक्टर से जुड़ने, आदि में लगने वाला समय आपके कीमती संसाधन है जो आपके व्यवसाय के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा को-वर्किंग स्पेस केन्द्र की तरह कार्य करता है जिससे व्यवसायों को अधिक किफायती मासिक किराया और उपयोगिता लागत के लिए जगह की गुणवत्ता को त्यागना नहीं पड़ता है।

को-वर्किंग स्पेस का अर्थ है ग्राहकों, सलाहकारों और संभावित भागीदारों से घिरा रहना, जो विशेष प्रोजेक्ट या समयबद्ध कार्यों के लिए आसानी से प्रतिभाशाली व्यक्ति को आउटसोर्स करने की क्षमता को उत्पन्न करता है। इस प्रकार, ये कह सकते है कि स्व-रोजगार बढ़ रहा है और को-वर्किंग स्पेस ने कई लोगों के खर्चों को कम करने में मदद की है।

संख्या के अनुसार जगह

को-वर्किंग स्पेस का एक और लाभ ये है कि उसमें मीटिंग स्पेस देने की क्षमता है जिसमें 2-20 लोगों को सर्विस देने का सामार्थ्य है। यह एक निश्चित ब्रांड की छवि बनाने में सहायक होता है। इनके द्वारा ऑफर की गई सेटिंग बेहद शानदार और स्टाइलिश होती है और ये पूरे दिन के लिए डायनिंग रेस्टोरेंट, कैफे एंड कॉकटेल बार और मैंबर्स लौंज के साथ होती है। सुविधाएं जैसे शॉर्ट टर्म लीज़ और मॉडल में लचीलापन जिसे बढ़ाया और कम किया जा सकता है नए स्टार्टअप के लिए बहुत अच्छा काम करता है। इस प्रकार, को -वर्किंग स्पेस का निश्चित लेआउट उस जगह के प्रभावी ढंग से उपयोग को रोकता है।
लगातार बदलती जरूरतों और बहुत सी आवश्यकताओं को पूरा करने से उपयोगकर्ता की संतुष्टि बढ़ती है। उपर्युक्त सभी बिंदुओं के प्रकाश में, ये कोई आश्यर्च की बात नहीं है कि को-वर्किंग आजकल मेट्रोपॉलिटन शहरों में बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है और इसके बाद टियर 2 और टिर 3 में भी।

(यह आलेख आशीष गुप्ता, सेरेनिया के संस्थापक को-वर्किंग स्पेस और आईएचडीपी द्वारा लिखा गया हैं।)

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