व्यवसाय विचार

फ्रैंचाइजिंग के माध्यम से दिल्ली में अपने सेंटर खोलने की योजना बना रहा है वंडरलैंड

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Feb 05, 2019 - 3 min read
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Technavio में बाजार रिसर्च विशेषज्ञ ने यह अनुमान लगाया है कि भारत में अनुमानित समयावधि में प्री स्कूल या बच्चों की देखभाल का बाजार बहुत भी प्रभावी ढंग से बढ़ रहा है। साथ ही 2020 तक इसके कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट में लगभग 22 प्रतिशत तक जाने की संभावना है।

वंडरलैंड एक अर्ली लर्निंग इंस्टीट्यूट है जो 2012 में 15 छात्रों के साथ शुरू हुआ था और मात्र छह सालों के समय अंतराल में 2018 तक इसके छात्रों की संख्या 50000 तक पहुंच गई है। इस अर्ली लर्निंग इंस्टीट्यूट के सफर की शुरुआत तब हुई थी जब इसके संस्थापक प्रदीप जॉली और सुगंधा जॉली अपनी बेटी के लिए सही प्री स्कूल को नहीं खोज पाए थे। जॉली ने कहा, 'वंडरलैंड ने मात्र छह सालों के सफर में ही 50000 से भी ज्यादा बच्चों और उनके अभिभावकों तक अपनी पहुंच बनाई है।'

बच्चे का संपूर्ण विकास

किसी भी बच्चे के जीवन में शुरुआती सीख बहुत ही अहम् भूमिका निभाती है क्योंकि यह आपके बच्चे के भविष्य को आकार देती है। इसलिए प्री स्कूल बच्चे के संपूर्ण विकास और सीखने में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जितना उसके अभिभावक के जीवन में। ये गुण वंडरलैंड के फाउंडरों ने ज्यादातर प्री स्कूलों में नहीं देखा था। जॉली ने कहा, 'हमारे प्रोग्राम को 18 महीने से 5 साल के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकता को सहयोग करने के आधार पर बनाया गया है। एडल्ट और चाइल्ड प्रोग्राम में बच्चों और उनके अभिभावकों दोनों को शामिल किया जाता है और दोनों ही एक साथ मिलकर कला, पर्यावारण/माहौल, संगीत, गतिविधि और स्टोरी-टेलिंग को एक साथ सीखते हैं। छात्रों को उनके अभिभावकों के साथ रखा जाता है ताकि उन्हें इस बात का आश्वासन मिल जाए कि उनके बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित वातावरण में हैं। बाकी तीन प्रोग्राम में बच्चों को स्वतंत्र रूप से बिना अभिभावकों के अकेले रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। प्रोग्राम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे बच्चों में रचनात्मकता का संचार करें और उनमें महत्वपूर्ण जीवन कुशलता का विकास कर सकें।'

बच्चों की पसंद को समझना

बच्चे की रूचि को अपनी सुविधा के अनुसार किसी अन्य जगह पर आकार देना बहुत ही गैर जिम्मेदारी भरा कार्य है, साथ ही बहुत ही अमानवीय भी है। इसलिए यह आवश्यक है कि बच्चे के हित को समझने के लिए इंस्टीट्यूट को इतना सक्षम होना चाहिए कि वे बच्चे की रूचि के अनुसार विकल्पों का निर्माण कर सकें और उन्हें आकार दे सकें।

जॉली को विश्वास है कि ये आपकी जिम्मेदारी है कि हर बच्चे को वह सब कुछ मिले जिसका वह हकदार है। उन्होंने कहा, 'हम स्कूल में बहुत सारी कला, क्राफ्ट और संगीत की वर्कशॉप आयोजित करते रहते हैं। इस बात का आश्वासन देने के लिए कि उसमें सही गुण आए और बड़े होकर वे एक बेहतरीन वयस्क बनें। हम बहुत से विषयों पर वर्क शॉप भी आयोजित करते हैं जैसे ऑरगेनिक खेती, जानवरों का ख्याल रखना, एक पेट को गोद लेना, पर्यावरण को बचाना, अपने खाने को समझना, आदि। इस बात पर ध्यान दिया जाता हैं कि बच्चे के भीतर सद्भाव का विकास हो और वह सभी जीवों व अपने पर्यावरण से प्यार करें।'

विस्तार योजना

जॉली ने साझा किया है, 'मैं अपने क्षेत्र से बाहर निकलने से पहले फ्रैंचाइज़ी के माध्यम से अपने और भी बहुत से सेंटर दिल्ली में शुरू करने की योजना बना रहा हूं। हम 30-35 प्रतिशत तक रेवेन्यू का अनुमान लगा रहे हैं, जिसके साल 2020 के अंत तक 2 मिलियन डॉलर होने की संभावना है। हम 10 और अतिरिक्त सेंटरों के साथ वंडरलैंड अर्ली लर्निंग सेंटर के तीसरे शिक्षा विंग को भी शुरू करने की योजना बना रहे हैं।'

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