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- बजट हर क्षेत्र में विकास गति की तीव्रता सुनिश्चित कर रहा है: सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के पोस्ट बजट सत्र में कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के अनुसार जो लक्ष्य रखे गए थे, उससे कई गुणा ज्यादा असर देखने के लिए सार्वजनिक व्यय में वृद्धि जारी रहे।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “पिछले तीन-चार वर्षों से, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय पर लगातार जोर दिया गया है। पिछले साल और इस साल के बजट में पूंजीगत व्यय में 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। कई वर्षों में यह पहली बार है, जब पूंजीगत व्यय 10 प्रतिशत तक पहुंच गया है, यही वजह है कि इसे इस बार के बजट का स्पष्ट फोकस बनाया गया है।”
मुफ्त राशन कार्यक्रम जारी
केंद्रीय वित्त मंत्री ने आगे कहा, “पूंजीगत व्यय में कई प्रमुख उद्योगों को लाभ पहुंचाने की क्षमता है। इसे यह सुनिश्चित करने का एक प्रभावी माध्यम भी कहा जा सकता है कि क्या धन को ऐसी जगहों पर लगाया गया है, जहां इसका कई गुणा बेहतर प्रभाव देखने को मिल सके। हालांकि, हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उन लोगों का विशेष ध्यान रखें, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। जैसे कि हम इस साल भी मुफ्त राशन कार्यक्रम जारी रखेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक भी परिवार बगैर भोजन न रहे।”
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत फ्री राशन वितरण का कार्यक्रम अब दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया है। इसका लाभ सरकारी राशन की दुकानों के माध्यम से पूरे देश के लगभग सभी 81.35 करोड़ राशन कार्ड धारक परिवारों को मिलता रहेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बड़े फैसले में एनएफएसए के तहत एक साल के लिए दिसंबर 2023 तक मुफ्त राशन बांटने का फैसला लिया था। कॉमर्स एंड फूड मिनिस्टर पीयूष गोयल ने तब बताया था कि इस कदम से सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा, जो पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले, एनएफएसए के तहत लाभार्थियों को रियायती दरों पर चावल और गेहूं प्रदान किया जाता था।
अर्थव्यवस्था की रीढ़ 'एमएसएमई'
“इसके अलावा, हमारा प्रमुख ध्यान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर होना चाहिए, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। साथ ही, जो महत्वपूर्ण रोजगार सृजक भी हैं। महज़ लाभ कमाने के उद्देश्य से अक्सर ख़ास स्थानों पर रहने वाली बड़ी इकाइयों के विपरीत, एमएसएमई पूरे देश में मौजूद हैं। वे जहां भी हैं, वहां स्थानीय रोजगार पैदा करने में भी मददगार हैं।"
बता दें कि बजट 2023 में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा की थी कि एमएसएमई के लिए क्रेडिट कार्ड गारंटी स्कीम में कुछ बदलाव के बाद 1 अप्रैल 2023 से उसे लागू किया जाएगा। इसके लिए 9000 करोड़ रुपये के आवंटन का ऐलान भी किया गया था। सरकार ने देश में रोजगार को बढावा देने के लिए बजट 2023-24 में एमएसएमई मंत्रालय के लिए रिकाॅर्ड 22,138 करोड रुपये आवंटन करने का प्रस्ताव रखा था। वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को संसद में 2024 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया था।
वित्त मंत्री ने पीएचडीसीसीआई के पोस्ट बजट सत्र में यह भी बताया कि केंद्र सरकार राज्यों और पंचायत या वार्ड स्तर के प्रशासनों, जैसे- टीयर III प्रशासनों के साथ मिलकर काम कर रही है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एजेंडे में एमएसएमई प्राथमिकताएं सबसे ऊपर रहें।
वास्तविक महिला सशक्तिकरण
उन्होंने महिला सशक्तिकरण के महत्व के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, “गांवों में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वास्तव में महिला समूह ही हैं। वास्तव में, देश में 81 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन समूहों के पास संसाधनों, पेशेवर सहायता और बाजार से जुड़ाव की पहुंच काफी है, हम उनके पोर्टफोलियो में ब्रांडिंग और बाजार खोज गतिविधियों को भी जोड़ रहे हैं। इन पहलों के साथ हम महिला सशक्तिकरण को वास्तविक रूप में सक्षम करने की आशा करते हैं। हम उन्हें इस काबिल बनाना चाहते हैं, जिससे वे अपनी गतिविधियों को बढ़ा सकें। साथ ही, एक पेशेवर, लाभदायक और सरकार समर्थित महिला समूह चला सकें।"
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक जरूरतों पर सरकार के फोकस की और ध्यान दिलाया। साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के दीर्घकालिक दृष्टिकोण की उन्होंने सराहना की। उन्होंने कहा कि कृषि आय में वृद्धि, उद्योग के साथ कृषि क्षेत्र का सुस्थापित जुड़ाव और इस क्षेत्र के लिए खास तरह के समाधान, समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।