केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया। उन्होंने कहा कि यह बजट ‘सबका विकास’ के लक्ष्य को हासिल करने और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में मदद करेगा। इस बजट में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों) को देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाला क्षेत्र बताया गया है। इसके लिए सरकार ने कई नई योजनाओं की घोषणा की है।
एमएसएमई के लिए बड़ा कदम
सरकार एमएसएमई को बेहतर तकनीक और पूंजी तक आसान पहुंच देने के लिए उनके वर्गीकरण की निवेश और कारोबार सीमा को 2.5 और 2 गुना तक बढ़ाएगी। इससे एमएसएमई को बड़े उद्योग बनने और अधिक रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।
वर्तमान में 1 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई भारत में 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहे हैं और देश के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 36% योगदान कर रहे हैं। इसके अलावा, भारत के कुल निर्यात में 45% योगदान भी इन्हीं का है।
ऋण गारंटी कवर बढ़ाया गया
सरकार ने एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी बढ़ाने की घोषणा की है—
- सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए: ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़
- स्टार्टअप्स के लिए: ₹10 करोड़ से बढ़ाकर ₹20 करोड़
- बेहतर प्रदर्शन करने वाले निर्यातक एमएसएमई के लिए: ₹20 करोड़ तक का सावधि ऋण
स्ट्रेटफिक्स कंसल्टिंग के को-फाउंडर मुकुल गोयल ने कहा "केंद्रीय बजट 2025 ने भारत की आर्थिक संरचना में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) की महत्वपूर्ण भूमिका को सही रूप में रेखांकित किया है। 1 करोड़ से अधिक पंजीकृत एमएसएमई भारत के विनिर्माण उत्पादन में लगभग 36% योगदान देते हैं और कुल निर्यात में 45% की हिस्सेदारी रखते हैं, जिससे उनकी अहमियत और बढ़ जाती है।
सरकार द्वारा एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ाने का निर्णय एक सराहनीय कदम है। इससे अधिक उद्यमों को एमएसएमई लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता और वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, सूक्ष्म उद्यमों के लिए ऋण गारंटी कवर ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ करने का निर्णय बेहद महत्वपूर्ण है। इस पहल से अगले पांच वर्षों में ₹1.5 लाख करोड़ का अतिरिक्त ऋण उपलब्ध होगा, जिससे छोटे व्यवसाय नवाचार और विस्तार में निवेश कर सकेंगे।
हालांकि, इन उपायों के सकारात्मक प्रभाव के बावजूद, एमएसएमई द्वारा झेली जा रही कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। छोटे व्यवसायों के लिए समय पर और किफायती ऋण प्राप्त करना आज भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। ऋण वितरण प्रक्रिया को सरल बनाना और नौकरशाही अड़चनों को कम करना जरूरी है, ताकि सरकार की योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे।
इसके अलावा, डिजिटलीकरण और तकनीकी अपनाने पर दिया गया जोर एक स्वागत योग्य कदम है। एमएसएमई को डिजिटल उपकरणों के उपयोग के लिए प्रेरित करना उनके संचालन को अधिक कुशल बना सकता है और नए बाजारों के द्वार खोल सकता है। टेक्नोलॉजी अपनाने और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
छोटे उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड
सरकार सूक्ष्म उद्यमों के लिए ₹5 लाख तक की सीमा वाला क्रेडिट कार्ड शुरू करेगी। पहले साल में 10 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे, जिससे छोटे कारोबारियों को तुरंत फंड मिलने में मदद मिलेगी।
निर्यात संवर्धन मिशन शुरू होगा
निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार ‘निर्यात संवर्धन मिशन’ शुरू करेगी। यह मिशन वाणिज्य मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा मिलकर चलाया जाएगा। इससे—
- निर्यात के लिए ऋण आसानी से उपलब्ध होगा
- क्रॉस बॉर्डर फैक्टरिंग यानी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भुगतान की दिक्कतों को हल किया जाएगा
- एमएसएमई को विदेशी बाजारों में गैर-शुल्कीय बाधाओं (Non-Tariff Barriers) से निपटने में मदद मिलेगी
निष्कर्ष
बजट 2025-26 में एमएसएमई, और निर्यातकों के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य भारत को वैश्विक मै और निर्यात केंद्र बनाना है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और रोजगार के नए अवसर पैदा हों।