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- बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम का विस्तार करने की योजना
नीति आयोग ने "इलेक्ट्रॉनिक्स: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को नई शक्ति दे रहा है" एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का गहराई से विश्लेषण किया गया है। इसमें इस क्षेत्र की संभावनाओं और चुनौतियों पर खास ध्यान दिया गया है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत को एक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाने के लिए कौन-कौन से खास कदम उठाने होंगे।
आधुनिक विनिर्माण में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (जीवीसी) बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें दुनिया भर के अलग-अलग देशों के बीच सहयोग होता है जैसे डिजाइन,उत्पादन, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन। इस तरह से, एक ही उत्पाद के निर्माण और बिक्री में कई देशों का योगदान होता है।
वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (जीवीसी) अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 70 प्रतिशत हिस्सा बनाती हैं। इसलिए, भारत को अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स,सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स इन क्षेत्रों में ध्यान देना बहुत जरूरी है। इलेक्ट्रॉनिक्स का क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका 75% निर्यात जीवीसी से ही होता है। जीवीसी दुनिया के व्यापार का बड़ा हिस्सा हैं।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है जो वित्त वर्ष 2023 में 155 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को छू गया। इसका उत्पादन वित्त वर्ष 2017 के 48 अरब अमेरिकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 2023 में 101 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो मुख्य रूप से मोबाइल फोन की बदौलत संभव हुआ है, और जिसकी हिस्सेदारी कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में अब 43 प्रतिशत है। भारत ने स्मार्टफोन आयात पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है, जिसका 99 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग अब देश में ही हो रहा है।
मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल, बेहतर अवसंरचना एवं कारोबार करने में आसानी के साथ-साथ विभिन्न प्रोत्साहनों ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को काफी हद तक बढ़ाया है और विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। इनमें हासिल प्रगति के बावजूद भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार अब तक अपेक्षाकृत बेहद सामान्य ही बना हुआ है, जिसकी हिस्सेदारी वैश्विक बाजार में केवल चार प्रतिशत है, और जिसने डिजाइन एवं विभिन्न कलपुर्जों के निर्माण में अपनी सीमित क्षमता के साथ अब तक मुख्य रूप से असेंबली पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया है।
4.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार पर चीन, ताइवान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों का दबदबा है। भारत वर्तमान में सालाना लगभग 25 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात करता है, जो वैश्विक मांग में चार प्रतिशत हिस्सेदारी के बावजूद कुल वैश्विक हिस्सेदारी के एक प्रतिशत से भी कम है। प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए भारत को उच्च प्रौद्योगिकी वाले कलपुर्जों का स्थानीयकरण करने, अनुसंधान एवं विकास में निवेश के माध्यम से डिजाइन संबंधी क्षमता को मजबूत करने, और दिग्गज वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारियां करने की आवश्यकता है। वित्त वर्ष 2023 में भारत का कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 101 अरब अमेरिकी डॉलर है। इसमें 86 अरब अमेरिकी डॉलर ( तैयार माल (जैसे टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर) का उत्पादन और 15 अरब अमेरिकी डॉलर कलपुर्जों (जैसे चिप्स, सर्किट बोर्ड) का उत्पादन।
इसी अवधि के दौरान भारत से निर्यात कुल मिलाकर तकरीबन 25 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। जहां तक देश में मूल्य वर्धन का सवाल है, इस क्षेत्र ने भी 15 प्रतिशत से 18 प्रतिशत के बीच योगदान दिया है और लगभग 1.3 मिलियन रोजगार सृजित किए हैं।
सामान्य कारोबारी (बीएयू) परिदृश्य में अनुमानों से पता चलता है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग वित्त वर्ष 2030 तक बढ़कर 278 अरब अमेरिकी डॉलर हो सकता है। इस पूर्वानुमान में 253 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के तैयार माल का उत्पादन और 25 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के कलपुर्जों का मैन्युफैक्चरिंग शामिल है। रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है जो बढ़कर लगभग 3.4 मिलियन को छू जाएगा, जबकि निर्यात 111 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा।
मोबाइल फोन जैसे स्थापित क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने और कलपुर्जों के मैन्युफैक्चरिंग में पैर जमाने पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, पहनने योग्य उपकरणों, आईओटी उपकरणों, और ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उभरते क्षेत्रों में विविधीकरण करने पर भी जोर दिया जाना चाहिए। यह रणनीतिक विविधीकरण उपभोक्ताओं की उभरती मांगों और तकनीकी प्रगति का लाभ उठाएगा, जिससे भारत वैश्विक मंच पर अभिनव इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में अग्रणी बन जाएगा।
रिपोर्ट में भारत को एक मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्टम बनाने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाने की सिफारिश की गई है। इन कदमों में शामिल हैं:राजकोषीय, वित्तीय, नियामकीय और बुनियादी ढांचा सुधार, कलपुर्जों और पूंजीगत वस्तुओं का निर्माण, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और डिजाइन और तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित करना, टैरिफ को युक्तिसंगत बनाना, कौशल संबंधी पहल, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास जैसी सुविधाएं विकसित करना है।
भारत के पास इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में खुद को वैश्विक स्तर पर अग्रणी के रूप में स्थापित करने की अपार क्षमता है। उभरते अवसरों का लाभ उठाकर, मूल्य श्रृंखला के एकीकरण को बढ़ाकर, तथा मौजूदा चुनौतियों से पार पाकर भारत अपने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की एक आधारशिला में बदल सकता है।