व्यवसाय विचार

बाज़ारों तक पहुंच पर ग्राहकों को बनाए रखना एमएसएमई के लिए सबसे बड़ी चुनौती

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Oct 10, 2023 - 3 min read
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द इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) की रिपोर्ट में बताया गया कि एमएसएमई के लिए अन्य चुनौतियों में भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बाधाएं, ऋण और कुशल श्रम तक पहुंच की कमी और विलंबित भुगतान का मुद्दा शामिल है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने एक सर्वे में बाजारों तक पहुंचने, ग्राहकों को बनाए रखने और अपने उत्पादों को प्रभावी ढंग से बाजार में लाने में असमर्थता को शीर्ष चुनौतियों में से एक बताया है। द इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) की रिपोर्ट में 4 नवंबर, 2022 से 20 जनवरी, 2023 के बीच कुल 2,007 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का सर्वे किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल सैंपल में से 65 प्रतिशत कंपनी आकार में सूक्ष्म थीं, 19 प्रतिशत छोटी थीं, और शेष 16 प्रतिशत मध्यम थीं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई, जो बिक्री के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, आमतौर पर युवा और अधिक शिक्षित व्यक्तियों द्वारा संचालित और स्वामित्व में होते हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि टर्नओवर, लाभप्रदता और रोजगार लाभों की हिस्सेदारी जैसे महत्वपूर्ण प्रदर्शन संकेत पर औसतन, एकीकृत एमएसएमई गैर-एकीकृत एमएसएमई से बेहतर स्थिति में हैं। सर्वेक्षण के समय, 1,005 उद्यम पहले से ही ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ जुड़े हुए थे, जबकि शेष 1,002 उद्यम नहीं थे। सर्वे में सुझाव दिया गया कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ सहयोग से एमएसएमई को बाजारों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलती है और वित्त तक उनकी पहुंच भी बढ़ती है, जिससे उनके विकास में प्रमुख बाधाएं प्रभावी ढंग से दूर हो जाती हैं। इसलिए, सर्वे ने एमएसएमई को प्रभावी ढंग से और समावेशी रूप से विकसित करने के लिए डिजिटल परिवर्तन की आवश्यकता को रेखांकित किया।

सर्वे में शामिल अधिकांश कंपनियों ने व्यापक भौगोलिक आधार को कवर करने के लिए अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद करने के लिए ई-कॉमर्स के दायरे को पहचाना। ई- कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ एमएसएमई के एकीकरण को सक्षम करने के लिए सरकारी नीति का समर्थन देना महत्वपूर्ण था।

बाजारों तक पहुंच से संबंधित बाधाओं के अलावा, सर्वेक्षण में शामिल एमएसएमई ने भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बाधाओं, ऋण और कुशल श्रम तक पहुंच की कमी और विलंबित भुगतान के मुद्दे के संबंध में कई अन्य चुनौतियों की ओर इशारा किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चुनौतियों का समाधान ढूंढने के लिए  केंद्र और राज्य स्तर पर सरकार ने वित्तीय सहायता, टेक्नोलॉजी और उन्नयन सुविधाओं तक पहुंच, इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इनमें आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट, क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना, एमएसएमई सार्थक योजना (कर्नाटक), और ग्रामीण शिल्प और सांस्कृतिक केंद्र (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि उत्तरदाताओं का दृढ़ विश्वास है कि इन योजनाओं को समेकित और तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।

एमएसएमई ने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को भी रेखांकित किया और कंपनियों को एक ही स्थान पर नीतिगत प्रोत्साहन और कार्यक्रम खोजने की अनुमति देने के लिए एक विस्तृत एमएसएमई नीति पर जोर दिया।

सर्वे में छह उत्पाद श्रेणियों में एमएसएमई को शामिल किया गया, अर्थात् खेल के सामान (16.7 प्रतिशत), खिलौने (15.7 प्रतिशत), प्रसंस्कृत और संरक्षित खाद्य उत्पाद (16.9 प्रतिशत), परिधान (17 प्रतिशत), फर्नीचर (17.6 प्रतिशत), और हस्तशिल्प उत्पाद (16.1 प्रतिशत)। ये कंपनियाँ 11 शहरों, अर्थात् अहमदाबाद, भुवनेश्वर, दिल्ली, जयपुर, लखनऊ, लुधियाना, जालंधर, आगरा, मेरठ, सहारनपुर और चेन्नई में फैली हुई थीं।

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