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- बड़े पैमाने पर निवेश के बावजूद उच्च शिक्षा में नामांकन कम, असम CM ने जताई चिंता
असम में उच्च शिक्षा सकल नामांकन अनुपात 17 से 18 प्रतिशत पर स्थिर होने को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंता बिस्व सरमा ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि उच्च शिक्षा में जिस तरह का निवेश हो रहा है, उसके अनुसार यहां नामांकन लेने वाले छात्रों का अनुपात कम है।
सीएम सरमा ने कहा कि बीते दशक में उच्च शिक्षा में जितना ज्यादा निवेश हुआ है, उसे ध्यान में रखकर यह कहना होगा कि 17 से 18 प्रतिशत पर स्थिर नामांकन अनुपात बहुत कम है और यह प्रदेश के लिए वाकई चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पूरे राज्य को मिलजुलकर इसका कारण तलाशने की जरूरत है, ताकि राज्य को इस बाबत एक बेहतरीन परिणाम प्राप्त हो सके।
सीएम ने कहा, उच्च शिक्षा से संबंधित सभी लोगों का कर्तव्य है कि वे राज्य में उच्च शिक्षा को हर वर्ग के छात्रों की पहुंच में बनाएं, खासकर जो योग्य हैं, चाहे उनका सामाजिक-आर्थिक स्तर कुछ भी क्यों न हो!
असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की उपस्थिति में सरमा ने असम के उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लागू होने को लेकर हुई प्रगति पर आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित किया। इसका आयोजन असम के राजभवन, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और गुवाहाटी के खानापारा स्थित असम प्रशासनिक कर्मचारी विभाग के सामान्य प्रशासनिक विभाग द्वारा मंगलवार को किया गया था।
कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को समीक्षा बैठक आयोजित करने की भूमिका पर आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल की तारीफ की और कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान पूरे असम में राज्यपाल शुरुआत से ही लगातार राज्य प्रशासन और उच्च शिक्षण संस्थानों में एनईपी-2020 लागू करने को लेकर प्रयासरत रहे हैं। उन्होंने राज्य के योग्य छात्रों के लिए उच्च शैक्षणिक संस्थानों में चलाए जा रहे कोर्सेस के लिए स्कॉलरशिप को लेकर नई संभावनाएं तलाशने की बात भी की।
सीएम डॉ. सरमा ने कहा, उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों को छात्रों के कल्याण के केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए डायरेक्टर ऑफ स्टुडेंट्स वेलफेयर के लिए एक पोस्ट तैयार करने की संभावनाओं की ओर संस्थान का ध्यान दिलाने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने शैक्षणिक संस्थानों के विफल होने के पीछे छात्रों का शैक्षणिक व पाठ्यक्रम संबंधी मामलों से लेकर राजनीतिक विषयों तक कई अन्य क्षेत्रों को लेकर आंदोलन करने को भी इस विफलता का कारण बताया।
उन्होंने राज्य में स्थित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अनुरोध किया कि अपनी क्षमता के अनुरूप वे अपने अधीनस्थों और छात्रों के कल्याण के लिए कुछ न कुछ अवश्य करें, जिससे छात्र उन्हें एक नेतृत्वकर्ता के तौर पर देख सकें और उन्हें अपना आदर्श बना सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा, कुलपतियों को अपने संस्थानों को लेकर इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने स्थापन के पीछे के उद्देश्यों को लेकर न्याय करें। उन्होंने यह भी कहा कि असम में नामांकन को लेकर किसी भी तरह की अनियमितताओं को प्रश्रय नहीं दिया जाएगा। संबंधित लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि नामांकन को लेकर सीटें रिक्त न रहें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उच्च शैक्षणिक संस्थानों के कैंपस में किसी भी तरह के भाई-भतीजावाद जैसी प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने और नैपोटिज्म जैसे मुद्दों को आगे बढ़ाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने इससे संबंधित सरकारी अधिकारियों को भी उच्च शैक्षणिक संस्थानों की देखरेख का ध्यान रखने और उसकी अगुवानी करने के लिए कहा। संस्थानों के प्रमुख से उन्होंने संस्थान के विकास के लिए योजनाएं तैयार करने के लिए भी कहा ताकि देश के ताजा शैक्षणिक जरूरतों को ध्यान में रखकर वे अपनी आवश्यकताओं और मांग को संबंधित लोगों तक पहुंचा सकें। उच्च शिक्षा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी और संस्थानों में मौजूद रिसोर्सेज को लेकर राज्य के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में बेहतर काम हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
इस मौके पर असम के शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगु, असम सरकार में शिक्षा सलाहकार नोनी गोपाल महंता और असम सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव वीएस समल भी मौजूद थे।