भारत हर साल 2.2 बिलियन फुटवियर के जोड़े तैयार करता है। जिसमें से 90 प्रतिशत का उपभोग देश में किया जाता है जबकि बाकी बचे 10 प्रतिशत को यूरोपियन देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, इटली, फ्रांस और अन्य देशों में निर्यात किया जाता है। भारतीय मुद्रा रेट में 20 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट से यह विकास कर रही है। वर्तमान में विदेशी देश भी भारतीय फुटवियर इंडस्ट्री में अपने विस्तार करने के लिए आंखे गढ़ाएं बैठे है। 71.5 बिलियन से बढ़कर 180 बिलियन तक भारत में उद्यमी/कारोबारी/इंडस्ट्रलिस्ट फुटवियर इंडस्ट्री में क्रांति ला रहे हैं।
नयापन
देश के आज के फेशन ट्रेंड को देखते हुए फुटवियर ब्रांड अब वेगन और शुद्ध चमड़े के प्रकारों को पेश कर रहे हैं। बहुत से निवेशक किफायती लग्जरी प्रीमियम फैशन सेगमेंट को दिमाग में ध्यान रखते हुए इस इंडस्ट्री में प्रवेश कर चुके हैं। मोडेलो डोमानी के मालिक आयुष दीवान ने बताया, 'हमारा नारा है हेप्पी फीट फॉर ऑल और अपने इस नारे के साथ हमने वेगन और शुद्ध चमड़े के प्रकारों को पेश किया है। यह इंडस्ट्री लगातार बदल रही है क्योंकि बहुत से नए फैशन ट्रेंड इस इंडस्ट्री में प्रवेश कर रहे हैं।'
मुख्य ट्रेंड
फुटवियर के चुनाव पर मौसम के फैशन का बहुत अधिक प्रभाव होता है। महिलाओं में डिजाइनर लेकिन आरामदायक फुटवियर की मांग या पुरूषों में एथलेटिक जूतों की मांग बढ़ रही है जिससे बहुत से जूते निर्माण करने वालों के लिए अवसर खुल गए हैं। लेकिन वर्तमान में, आराम एक ऐसा कारक है जो ग्राहक के फुटवियर खरीदने का प्रभावित करता है। फ्रैंचाइज़ अपने फुटवियर प्रोडक्ट में नयापन ला रहे हैं ताकि उन्हें ये स्टाइलिश के साथ-साथ आरामदायक भी बना सकें।
चुनौतियां
बाकी इंडस्ट्री की ही तरह फुटवियर इंडस्ट्री की अपनी कुछ चुनौतियां होती है। चुनौतियां जैसे समय पर डिलीवरी, ऊंचे रिटर्न, स्टॉक इंवेन्टरी, रेवेन्यू की कीमत आदि ऐसी ही कुछ चुनौतियां है जिनका सामना नियमित रूप से फुटवियर निवेशकों को करना पड़ता है। Whitesoul.in के संस्थापक मयुष कुकरेजा ने बताया, 'बहुत से वेयरहाउस और स्टोर का मैनेजमेंट देखना एक बड़ी चुनौती है जिसका सामना हमारे ब्रांड को करना पड़ता है। यह बहुत जरूरी है कि इन स्टोर को ठीक से व्यवस्थित किया जाएं ताकि स्टॉक का प्रयोग प्रभावी ढंग से किया जा सके।'