हस्तशिल्प और कारीगरी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इससे लाखों लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त होता है। यह क्षेत्र सामाजिक और आर्थिक स्थानों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और अधिक विकासशील बनता है। इसलिए, भारतीय हस्तशिल्प और कारीगरों को सशक्त बनाना देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार ने हस्तशिल्प और कारीगरों के लिए योजनाएं बनाई है, ताकि उन्हें इस क्षेत्र में बढ़ावा मिल सके और लाभ प्रदान किया जा सके।
1.पहचान योजना : हस्तशिल्प कारीगरों को नई पहचान प्रदान करने के लिए 2016 में पहचान योजना शुरू की गई थी ताकि योग्य कारीगरों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया जा सके। आधार से जुड़े पहचान कार्ड कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा उचित जांच के बाद जारी किए जाते हैं। पहचान कार्ड धारक कपड़ा मंत्रालय द्वारा लागू सभी हस्तशिल्प योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। देशभर में 30 जून 2023 तक 31.14 लाख हस्तशिल्प कारीगरों को पंजीकृत किया गया है। पहचान कार्ड के साथ पंजीकृत कारीगर कपड़ा मंत्रालय के राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस) का लाभ उठा सकते हैं।
योजनाओं के तहत पंजीकृत हस्तशिल्प कारीगरों को प्रदान किए गए वित्तीय लाभ और सहायता
1.कौशल और प्रशिक्षण उन्नयन, डिजाइन डेवलपमेंट वर्कशॉप, टूल किट डिस्ट्रीब्यूशन, मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सहायता।
2.मुद्रा लोन, ब्याज छूट और मुद्रा लोन पर मार्जिन मनी जैसे कारीगरों को व्यक्तिगत लाभ।
3. शिल्प गुरु और कुशल कारीगरों को राष्ट्रीय पुरस्कार।
4. पुरस्कृत कारीगरों को 8,000 रुपये की मासिक पेंशन।
वर्ष 2022-23 के दौरान विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय की विभिन्न योजनाओं से कुल 1.17 लाख कारीगर लाभान्वित हुए।
2. पीएम विश्वकर्मा योजना : इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ क्वालिटी में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि विश्वकर्मा घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी, पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ एक लाख रुपये (पहली किश्त) और दो लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की क्रेडिट सहायता प्रदान की जाएगी।
यह योजना आगे कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और मार्केटिंग सहायता प्रदान करेगी। यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के तहत पहली बार में अठारह पारंपरिक व्यापारों को शामिल किया जाएगा।
3.अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना : अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना (एएचवीवाई) एक छोटी क्लस्टर योजना है और कारीगरों के लिए हस्तक्षेप को लक्षित करने के लिए बुनियादी इकाई है। यह एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है। यह क्षेत्र को आवश्यकतानुसार संरचना देने का तंत्र भी है, चाहे वह कारीगर उत्पादक कंपनियों (एपीओ) या पंजीकृत स्वयं सहायता समूहों, सहकारी समितियों पद्धति के रूप में हो।यह योजना रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नयन, डिजाइन इनपुट के माध्यम से प्रतिस्पर्धात्मकता, मार्केटिंग सपोर्ट प्रोग्राम, ब्रांड प्रमोशन, संसाधन जुटाना और अन्य आवश्यकता-आधारित गतिविधियों को सुनिश्चित करेगी। इस योजना का उद्देश्य प्रभावी सदस्य भागीदारी और सहयोग के सिद्धांतों पर कारीगर समूहों को पेशेवर रूप से प्रबंधित और आत्मनिर्भर सामुदायिक उद्यम के रूप में विकसित करके भारतीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देना है। इस प्रकार गठित निर्माता कंपनियाँ मार्केटिंग के साथ व्यावसायिक तर्ज पर चलेंगी और एक प्रोफेशनल मैनेजमेंट टीम द्वारा संचालित होंगी।
1.हस्तशिल्पकारों को उनके कौशलों को सुधारने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार होती है।
2.योजना के अंतर्गत, हस्तशिल्पकारों को उनके काम के लिए वित्तीय सहायता और लोन प्रदान किये जाते है।
3.योजना के तहत, हस्तशिल्पकारों के उत्पादों को बेहतर बाजार पहुंच के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होती है।
4.हस्तशिल्पकारों को विशेषज्ञता प्रदान करने और उनके कौशलों को सुधारने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
5.हस्तशिल्पकारों के बीच साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए योजना में साक्षरता कार्यक्रम भी शामिल होता है।6.नए उत्पादों और तकनीकों के लिए अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे हस्तशिल्पकारों की मार्केटिंग क्षमता में सुधार होता है।
4.हस्तशिल्प पेंशन योजना : इस योजना के माध्यम से हस्तशिल्प से जुड़े कारीगरों को प्रतिमाह पेंशन उपलब्ध करवाई जाएगी। यह पेंशन 500 रूपये प्रति माह की होगी। इस योजना के अंतर्गत पात्रता के लिए कारीगरों की न्यूनतम आयु 60 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यह योजना हस्तशिल्प कारीगरों की आय में वृद्धि करने में कारगर साबित होगी। इसके अलावा इस योजना के संचालन से हस्तशिल्प कारीगर सशक्त एवं आत्मनिर्भर भी बनेंगे। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए नागरिकों के पास आधार कार्ड होना अनिवार्य है। इस योजना का उद्देश्य हस्तशिल्प से जुड़े कारीगरों को प्रतिमाह आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना है। इस योजना के माध्यम से प्रतिमाह लाभार्थियों को 500 रूपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी,जिससे कि वह अपनी जरूरतें पूरी कर सकेंगे।