ग्रीन भारत समिट में नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपनाने में तेजी लाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "भारत अभी भी डिजिटल युग में टाइपराइटर बेच रहा है," जबकि चीन और यूरोप जैसे देश ईवी में आगे निकल चुके हैं।
कांत ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि जहां चीन 50% से अधिक EV उपयोग में है और यूरोप 10% पर है, वहीं भारत केवल 2% पर अटका हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर भारत को प्रतिस्पर्धी बने रहना है तो 2030 तक 60% और 2035 तक 100% EV उपयोग का लक्ष्य रखना होगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि भारत EV क्रांति में पांच साल पीछे है और अगले पांच से छह वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र, जो लगभग 3.4 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, तकनीकी बदलावों के कारण पिछड़ सकता है यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए।
कांत ने सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की धीमी प्रगति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "2021 में लॉन्च की गई इस योजना के तहत अब तक एक भी पैसा इस्तेमाल नहीं हुआ। फोकस EV उत्पादन बढ़ाने पर होना चाहिए, न कि केवल आंकड़ों पर।"
उन्होंने अमेरिका के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों का लाभ उठाने और चीन पर लगाए गए वैश्विक शुल्कों से फायदा लेने की अपील की।
भारतीय स्टार्टअप्स की प्रशंसा करते हुए कांत ने कहा, "दो-पहिया वाहनों के क्षेत्र में 1,432 स्टार्टअप्स हैं, लेकिन अगर यह सिर्फ पुराने खिलाड़ी (लेगसी प्लेयर्स) के भरोसे होता, तो तस्वीर बहुत अलग होती।" उन्होंने इसे एक "उद्यमशीलता का मुद्दा" बताते हुए कहा कि निर्माताओं को पहले ही उत्पादन तेज करना चाहिए था।
अमिताभ कांत ने भारत को EV बाजार में वैश्विक प्रमुख बनाने के लिए सरकार और उद्योग से साहसिक और त्वरित कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "10 गुना अधिक प्रयास की जरूरत है।"