वैश्विक शिक्षा उद्योग में भारत का एक महत्वपूर्ण स्थान है। देश में 1.4 मिलियन से ज्यादा विद्यालय है, जिसमें 227 मिलियन से भी ज्यादा बच्चों का नाम दर्ज है और 36000 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थान है। भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली, दुनिया की सबसे बड़ी उच्च शिक्षा प्रणालियों में से एक है।
2020 तक मौजूदा सकल नामांकन अनुपात को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का सरकार का लक्ष्य, भारत में दूरस्थ शिक्षा के विकास को बढ़ावा देगा। आने वाले सालों में भारत में शिक्षा क्षेत्र में बड़ी वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि 2020 के अंत तक भारत में तृतीयक उम्र की सबसे बड़ी आबादी और दूसरी सबसे बड़ी स्नातक प्रतिभा तैयार होने वाली है। वित्त वर्ष 2015-16 में शिक्षा का बाजार करीब 100 बिलियन अमरीकी डॉलर का था और वित्त वर्ष 2016-17 तक इसके 116.4 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
सी.ए.जी.आर. की रिपोर्ट कहती है कि भारत में शिक्षा प्रणाली में और अधिक विकास होने की अभी भी बहुत संभावनाएं हैं।
इसलिए जो लोग कोचिंग क्लासेस और ट्योटोरियल्स के व्यवसाय में अपने हाथ आजमाना चाहते हैं, वह अगर सफल कोचिंग संस्थान शुरू करना चाहते है, तो यहाँ कुछ बिंदु दिए गए हैं, जो उन्हें ध्यान में रखने चाहिए।
विषय का निर्धारण करें
बाजार के विस्तृत अध्ययन के बाद आप यह समझने में सक्षम हो जाएंगे कि आप ग्राहकों या छात्रों को क्या देने वाले हैं। यदि आप उस विषय में माहिर है तो फिर तो ब्रह्मांड ने सितारों को तोड़ कर आपकी गोद में डाल दिया है
या अगर स्थिति इससे विपरित हैं, तो भी इसमें कोई मुश्किल की बात नहीं है, क्योंकि आपको केवल सही लोगों को नियुक्त करना है, जो छात्रों को वह विषय अच्छे से पढ़ा सके।
संस्थान कहाँ पर स्थित है
ऐसे कुछ विशिष्ट स्थान होते हैं, जो वहाँ पर चलाई जाने वाली कोचिंग क्लासेस की वजह से जाने जाते हैं। ऐसे स्थानों को ढूंढ़ने का प्रयास करें और किराये पर ले या अपने लिए जगह बुक कर लें।
अगर इस तरह का कोई इलाका नहीं है, तो यह आपके लिए अनुकूल परिस्थिति है, क्योंकि अब आप ऐसी जगह ढूंढ सकते हैं, जो विद्यालयों और महाविद्यालयों से ज्यादा दूर न हो, ताकि छात्रों के साथ ही उनके शिक्षक और पालक भी उनकी सुरक्षा के विषय में तनाव मुक्त हो सकें और साथ ही पालकों के लिए विद्यालय या महाविद्यालय और ट्यूटोरियल में बच्चे के शैक्षणिक रिकार्ड रखना आसान हो जाएगा।
शुल्क ढांचा
कम शुल्क के साथ शुरूआत करने की कोशिश करें, जिससे ज्यादा से ज्यादा छात्र आकर्षित होंगे। इस व्यवसाय में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इसलिए नीचे की सीढ़ी से जाने की कोशिश करें और एक बार रफ्तार पकड़ने पर आप अर्द्ध-वार्षिक या वार्षिक राशि बढ़ा सकते हैं।
कुछ लोग उच्च शुल्क दर की वजह से अपने बच्चों को कोचिंग क्लासेस में भेजने में समर्थ नहीं हो पाते। इसलिए शुरूआत में अगर आप शुल्क कम रखेंगे, तो बाद में गुणवत्ता और प्रदर्शन के आधार पर पालक अपने बच्चे की शिक्षा के लिए खर्च करने में संकोच नहीं करेंगे।
गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं
यह व्यवसाय गुणवत्ता के आधार पर चलता है। इसलिए जब प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता की बात आती है, तो समझौते के लिए कोई जगह नहीं होती।
यह एक तरह से मुख्य कड़ी है, जो या तो आपके ब्रांड को बनाएगी या बिगाड़ेगी। लोग अपने बच्चे की प्रगति रिपोर्ट में बदलाव देख सकते हैं।
विज्ञापन और विपणन
विभिन्न विज्ञापनों और विपणन रणनीतियों के माध्यम से लोगों को व्यापार उपक्रम के बारे में जानने का मौका दे। अपने ब्रांड का प्रचार करने के लिए सामाजिक मीडिया सबसे उत्तम मंच है, क्योंकि आधे युवा, जिसमें छात्र से लेकर पालकों और शिक्षकों तक सब होते हैं, ऑनलाइन रहते हैं।
समाचार पत्र विज्ञापन, रेडियो विज्ञापन और पोस्टर्स भी ब्रांड को प्रमाणित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं साथ ही वह लोगों को बार-बार याद दिलाते रहते हैं कि इस विचार में बारे में सोचें।
कोचिंग क्लासेस, कक्षा की शिक्षाओं जितनी ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि ज्ञान का परिमार्जन करने के साथ ही शिक्षकों से नई-नई बातें भी सीखने का अवसर मिलता है।
अपने विद्यालय के और दूसरे विद्यालय के सहपाठियों के साथ बै़ठ कर पढ़ना, दूसरे सहपाठियों के साथ घुलना-मिलना दिलचस्प लगता है। इसके साथ ही जो शंकाएं अपने विद्यालय के शिक्षकों के सामने व्यक्त नहीं कर पाते उन शंकाओं को भी यहाँ व्यक्त कर पाते हैं।