इन दिनों लोग अपने उबाऊ क्युबिकल्स और कॉर्पोरेट जॉब्स में अटक से गए हैं। इसीलिए वो छोड़ कर खुद का स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं या उद्यमी और व्यवसायी बनने का रास्ता अपना रहे हैं, लेकिन सपने देखना और उन्हें पूरा करना, इनमें बहुत बड़ा फासला होता है। इसीलिए अपनी कंपनी सुचारू रूप से चलाने के लिए पहले किसी एक विशिष्ट क्षेत्र में महारत हासिल करना जरूरी होता है।
कंसलटेंट या परामर्शदाता एक ऐसा व्यक्ति है, जिसके पास कंपनियां, संगठन और व्यव्यसायी अपनी व्यवस्था का संचालन सुचारू रूप से चलता रहे, इसलिए जाते हैं।
आजकल कंसलटेंट का व्यवसाय जोरों पर है। आप या तो स्वयं के बल पर, या फिर समान विचार रखने वाले व्यवसायियों के साथ मिलकर अपना कंसल्टिंग व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
भारत में अपना कंसल्टिंग व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे व्यवसायियों के लिए यहां कुछ काम की चीजें दी जा रही हैं:
जैसे ही मन में व्यवसाय की योजना उभरती है, उसे कागज़ पर उतारें और पंजीयन करवा लें। व्यवसाय के पंजीयन से आपके व्यवसाय को एक विश्वसनीयता और वजन प्राप्त होगा। साथ ही, लोगों को शुल्क आकारने के लिए आवश्यक मानसिक बल और आत्मविश्वास भी आपको प्राप्त होगा। और तो और, जब सलाह लेने, क्लाइंट्स पाने या स्टाफ को प्रशिक्षित करने की बात आएगी तब, व्यवसायी कंपनियां औरों के मुकाबले आपको ज्यादा तरजीह देंगी। किसके साथ काम करना है और कितना मूल्य मांगना है, इन बातों की आजादी किसे चाहिए नहीं होती है?
कंसल्टिंग ऐसा व्यवसाय है जो अच्छे जनसंपर्क या नेटवर्क के बिना असंभव है। कुछ लोगों को तो कंसल्टिंग नाम का कोई व्यवसाय है और वह स्वतन्त्र रूप से कार्यरत होता है, इस बात की ज़रा भी कल्पना नहीं होती है। इसीलिए एक साफ़-सुथरा और करारा ब्रोशर बनाएं, जिसमें आपकी विशेषज्ञता, अलग-अलग सेवाओं के लिए आपके शुल्क और आप कैसे दैनिक जीवन में लोगों की मदद कर सकते हैं, ये सब महत्वपूर्ण बातें होनी चाहिए। मुद्दा ये है कि, आप अपने विशिष्ट क्षेत्र की विशेषज्ञता के साथ उनकी मदद के लिए हमेशा उपलब्ध हैं, ये बात उन तक पहुंचानी है।